प्रदेश में प्रशासनिक कसावट लाने के लिए कमिश्नर कलेक्टर कान्फ्रेंस के दौरान अधिकारियों के कामकाज की समीक्षा हो चुकी है अब विधायकों और मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा का दौर चलेगा। दरअसल किसी भी सरकार के लिए 2 वर्ष का समय महत्वपूर्ण होता है और मध्य प्रदेश की मोहन सरकार को दिसंबर माह में 2 वर्ष पूरे हो रहे हैं इस दौरान मुखिया के तौर पर डॉक्टर मोहन यादव अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के कामकाज की समीक्षा कर रहे हैं हाल ही में दो दिन कमिश्नर कलेक्टर कॉन्फ्रेंस राजधानी भोपाल में आयोजित की गई जिसमें अधिकारियों को उनकी खामियां भी बताई गई उपलब्धियां वाले अधिकारियों की सराहना भी की गई और भविष्य के लिए दिशा निर्देश भी दिए गए इसी कड़ी के तहत अब जनप्रतिनिधियों की बारी है खासकर विधायकों और मंत्रियों को समय समय पर जो भी निर्देश दिए गए सरकार की ओर से इस बात की समीक्षा होगी कि किसने कितना पालन किया और इसी समीक्षा के आधार पर आगे महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे खासकर मंत्रिमंडल विस्तार के लिए यह समीक्षा बहुत बढ़ा आधार बनेगी।
बहरहाल समय-समय पर सरकार द्वारा विधायकों और मंत्रियों को परिपत्र जारी कर कभी विधायक दल की बैठक में और कभी कैबिनेट की बैठक में आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए अब 2 वर्ष बाद इसकी समीक्षा का दौर आया है कि आखिर विधायकों ने और मंत्रियों ने कितना पालन किया विधायकों से 4 साल का रोड मैप बनाने के लिए कहा गया था उन्हें यह भी कहा गया था कि विधायक निधि का जनकल्याण में उपयोग करें सत्ता और संगठन द्वारा जो भी कार्यक्रम जारी किए जाते हैं अपने विधानसभा क्षेत्र में उन्हें शत प्रतिशत सफल बनाएं कार्यकर्ताओं और आम जनता के बीच समय दें उनकी समस्याओं का निराकरण करें इसी तरह मंत्रियों को भी बार-बार कहा गया कि वे गांव में रात्रि विश्राम करें गांव में चौपाल लगाई और प्रभार के जिलों में प्रतिमाएं दौरा करें वहां भी कम से कम एक रात्रि विश्राम करें इसके अलावा अधिकारियों के साथ संबंध में बनाकर कम करें संगठन से जुड़े पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं से मिले उनके कामकाज को महत्व दें राज्य सरकार और केंद्र सरकार से जो भी कार्यक्रम आते हैं उनको सफल बनाएं सत्ता और संगठन जो भी अभियान चलाते हैं उसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा ले और भी कुछ निर्देश कैबिनेट बैठक के दौरान दिए गए अब सरकार ने विधायकों और मंत्रियों की रिपोर्ट तैयार की है जिसमें इन सब तमाम दिशा निर्देशों का विधायकों और मंत्रियों ने कितना पालन किया आम जनता की कार्यकर्ताओं की संगठन पदाधिकारी की और मैदानी अधिकारियों की क्या राय विधायको और मंत्रियों के प्रति है। इसकी बिंदुवार जानकारी सरकार ने तैयार करवाई है और अब विधायकों और मंत्रियों के साथ वन-टू-वन चर्चा करने की तैयारी चल रही है जिसमें उनके समक्ष या रिपोर्ट रखी जाएगी और फिर उनका पक्ष लिया जाएगा ।
इस पूरी कवायद का उद्देश्य जहां विधायकों और मंत्रियों के कामकाज में कसावट लाना है वही आगामी दिनों जो भी मंत्रिमंडल में फिर बदल होना है निगम मंडलों में नियुक्तियां होना है उसमें इस प्रकार की समीक्षा से आधार बनेगा इसके पहले एक रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को भेज दी गई है और भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष की जानकारी में भी यह परफॉर्मेंस रिपोर्ट है हालांकि कुछ विधायकों को और मंत्रियों को इस रिपोर्ट की भनक लग गई है और तभी से इन विधायकों और मंत्रियों ने अपने कामकाज में सुधार किया है आम जनता से और कार्यकर्ताओं से सहजता मुलाकात भी शुरू कर दी है अब बहाने बनाने की बजाय जरूरी काम भी करने लगे हैं कहीं-कहीं तो आम जनता और कार्यकर्ता विधायक और मंत्री के स्वभाव में आए परिवर्तन से चकित भी है। कुल मिलाकर अधिकारियों के कामकाज की समीक्षा जहां कमिश्नर कलेक्टर कान्फ्रेंस के माध्यम से हो चुकी है वहीं अब विधायकों और मंत्रियों की समीक्षा होने वाली है जिसके लिए अंदर ही अंदर तैयारी चल रही है और अक्टूबर माह में दीपावली के बाद या फिर बिहार विधानसभा चुनाव के बाद यह महत्वपूर्ण समीक्षा होगी और उसी के आधार पर आगे के निर्णय लिए जाएंगे खासकर मंत्रिमंडल विस्तार में इस समीक्षा की बड़ी उपयोगिता होगी जहां कुछ मंत्रियों को विश्राम दिया जाएगा वही कुछ नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जाएगी। फिलहाल बिहार विधानसभा चुनाव में यादव बाहुल्य इलाकों में मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव को विशेष तौर पर प्रचार अभियान की कमान सौपी जा रही है इस कारण यह समीक्षा नवंबर माह के दूसरी पखवाड़े में भी हो सकती है लेकिन इतना तय है कि दिसंबर 2025 के पहले समीक्षा भी हो जाएगी और महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए जाएंगे।
श्री देवदत्त दुबे ,वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनैतिक समीक्षक, मध्यप्रदेश
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