उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी हैए और इस बार महाकुंभ का आयोजन न सिर्फ देशए बल्कि विदेशों में भी चर्चा का विषय बना हुआ है।हर तरफ राम भजन जयकारे और साधु.संतों की वाणी गूंज रही हैए जो इस आयोजन को एक अद्वितीय धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व दे रहे हैं। देश.विदेश से श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैंए इस भव्य पर्व में शामिल होने के लिए।इसी बीच एप्पल कंपनी के को.फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल भी महाकुंभ में पहुंच चुकी हैं। वह अपने गुरु स्वामी कैलाशानंद महाराज के पास दर्शन के लिए आई हैं।महाकुंभ में उनके आगमन से यह आयोजन और भी खास बन गया है। लॉरेन पॉवेल अपनी 40 सदस्यीय टीम के साथ महाकुंभ में पहुंची हैं जहां वह न केवल धार्मिक अनुष्ठानों में हिस्सा लेंगीए बल्कि साधु.संतों की संगत में रहकर सादगीपूर्ण जीवन बिताने का संकल्प भी लेंगी।लॉरेन पॉवेल ने महाकुंभ में संन्यासी का रूप धारण किया है। भगवा चोला पहने और रुद्राक्ष की माला गले में डाले वह साधु.संतों के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं।यह उनके गहरे आध्यात्मिक अनुभव और साधना के प्रति गहरी आस्था को दर्शाता है। वह यहां कल्पवास करेंगी और इस दौरान पूरी तरह से साधु जीवन जीने का प्रयास करेंगी।महाकुंभ का यह दृश्य न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण हैए बल्कि यह हमें यह भी दिखाता है कि दुनिया भर के लोग इस दिव्य आयोजन में अपनी आस्था और विश्वास को साझा करने के लिए यहां आ रहे हैं। यह घटना विश्वभर में भारतीय संस्कृति और धार्मिकता का सम्मान बढ़ाने का प्रतीक बन चुकी है।
स्वामी कैलाशानंद को मानती हैं पिता
महाकुंभ के आयोजन के दौरानए स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल का एक और दिलचस्प पहलू सामने आयाए जिसे जानकर हर कोई हैरान रह गया। उन्होंने न केवल महाकुंभ में हिस्सा लिया बल्कि अपने गुरु स्वामी कैलाशानंद गिरी के प्रति अपनी गहरी श्रद्धा और प्रेम को भी उजागर किया।शनिवार को वह अपने गुरु के पास निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी के आश्रम पहुंची। यहां उन्होंने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और अपनी आस्था को और अधिक प्रगाढ़ किया।इसके बाद वह काशी विश्वनाथ मंदिर भी गईं जहां उन्होंने भगवान शिव की पूजा.अर्चना की। काशी विश्वनाथ मंदिर में उनकी भक्ति और श्रद्धा देखने लायक थी।
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