प्रदेश के दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस अपने-अपने दल को दुरुस्त करने में लगे हुए देर से आएंगे लेकिन दुरुस्त आएंगे का भाव दलों में दिखाई दे रहा है सत्ताधारी दल भाजपा में जहां जिला कार्यकारिणी और प्रदेश कार्यकारिणी को लेकर मंथन चल रहा है वही कार्यकर्ताओं को उपकृत करने की भी तैयारी हो रही है वहीं विपक्षी दल कांग्रेस जिला अध्यक्षों की घोषणा अब जुलाई की बजाय अगस्त में कर सकती है क्योंकि जिला अध्यक्ष चयन तन मन धन की कसौटी भी है दरअसल प्रदेश में दो ही प्रमुख दल है तीसरे की संभावनाएं कहीं दिखाई नहीं दे रही इसमें भी भाजपा जहां लगातार एक के बाद एक चुनाव जीतकर जीत की निरंतरता बनाए रखने के लिए सत्ता और संगठन को सक्रिय भूमिका में रखती है पार्टी में एक सिस्टम काम करता रहता है पद पर कोई आए कोई जाए इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता 6 महीने के लंबे इंतजार के बाद हेमंत खंडेलवाल को पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष पद पर चयन किया और इसके बाद से ही हेमंत खंडेलवाल लगातार बैठकें ले रहे हैं और और सधे शब्दों में पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को आगाह भी करते जा रहे हैं ।
हाल ही में एक बैठक में उन्होंने कहा कि मेरे परिवार से केवल राजनीति में मैं ही हूं इसलिए मेरे नाम का कोई उपयोग करें तो उसके झांसे में मत आना यही नहीं उन्होंने इशारों इशारों में उन नेताओं को भी जता दिया है कि जो सातों दिन पार्टी कार्यालय में ही नजर आते हैं मैदान में नहीं जाते ऐसे लोगों से पार्टी को क्या फायदा जो भी प्रदेश पदाधिकारी बने वह मैदान में नजर आए वे नेता जो सिफारिशें कराकर पदाधिकारी बन जाते हैं और राजधानी भोपाल में ही घूमते रहते हैं अब शायद ही बनने वाली कार्यकारिणी में ऐसे लोगों को स्थान मिले पार्टी में साफ-साफ सभी वाले मैदानी चेहरों को मौका दिया जाएगा पार्टी में एक व्यक्ति एक पद का फार्मूला भी लागू किया जाएगा जो सांसद और विधायक पदाधिकारी बने हुए हैं और अपनी व्यवस्था ताकि कारण संगठन को समय नहीं दे पा रहे हैं ऐसे लोगों को पदों से मुक्त किया जाएगा और उन्हें अपने क्षेत्र में ध्यान देने के लिए कहा जाएगा कुछ मोर्चा संगठनों के प्रमुख भी इस फार्मूले के तहत बदले जाएंगे जिला अध्यक्षों से भी स्पष्ट तौर पर कह दिया गया है की स्थानीय जनप्रतिनिधियों से चर्चा करके सक्षम जिला कार्यकारिणी के लिए पैनल भेजें जुलाई के अंत तक यह अगस्त माह के प्रथम पखवाड़े तक जिला निगम कार्यकारिणी का गठन पूरे प्रदेश में हो जाएगा और इसके बाद मंडलों में नियुक्तियां की जाएगी वार्ड और पंचायत स्तर पर दीनदयाल समिति का गठन किया जाएगा जन भागीदारी की जिला स्तर पर समितियां का गठन किया जाएगा कोई दूसरी ओर विपक्षी दल कांग्रेस में संगठन स्तर पर बदलाव के लिए पार्टी वाला कमांड है जो फार्मूला बनाया है उसके कारण देरी जरूर हो रही है लेकिन मजबूत जिला अध्यक्ष बनने पर पार्टी का जोर है जिला अध्यक्ष के चयन में एआईसीसी केवल यह नहीं दिखेगी की पैनल में आया नाम पार्टी के लिए समर्पित है साथ ही वह यह भी देख रही है कि संबंधित जिले में जाति समीकरण फिट हो रहे हैं या नहीं जिस जाति या समुदाय का प्रभाव जिस जिले में ज्यादा है उसकी प्राथमिकता मिलेगी साथ ही पार्टी यह भी देख रही है कि संगठन को चलाने के लिए आर्थिक स्थिति मजबूत है या नहीं जाहिर है पार्टी तन मन धन से सक्षम जिला अध्यक्ष की तलाश कर रही है इसके लिए जुलाई की बजाय अगस्त तक जिला अध्यक्षों की घोषणा हो सकती है कुल मिलाकर प्रदेश के दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस देरी की चिंता किए बगैर संगठन को दुरुस्त करने में जुट गए हैं और माना जा रहा है अगस्त तक दोनों ही दलों में जिला स्तर पर संगठन गठन का काम हो जाएगा।

व्यक्तिगत विचार-आलेख-
श्री देवदत्त दुबे जी ,वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनैतिक समीक्षक, मध्यप्रदेश
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