श्री राजेंद्रदास जी महाराज : ऋषि पंचमी पर जन्मे आज के ऋषि

श्री राजेंद्रदास जी महाराज : ऋषि पंचमी पर जन्मे आज के ऋषि

प्राचीन काल से ही भारत में ऋषि मुनियों और संतों का विशेष महत्व रहा है ऋषि मुनि ज्ञान का आधार होते थे जो अपने आश्रमों के द्वारा लोगो को शिक्षित करने समाज को मार्गदर्शन करने के लिए शास्त्रों और स्मृतियों का निर्माण करने जैसे कार्य करते थे वही आज के समय में ऋषि पंचमी के दिन जन्मे मलूक पीठाधीश्वर राजेन्द्रदास जी सनातन परंपरा को आगे बढ़ाने समाज में सामाजिक समरसता बनाए रखने और गौ संवर्धन का जिस शिद्दत के साथ कार्य कर रहे हैं उनके अनुयायी उन्हें आज का ऋषि मानते हैं अनेकों भक्त तो उन्हें सुकदेव जी का अवतार मानते हैं सप्त ऋषियों की उत्पत्ति जहां ब्रह्मा जी के मानसिक संकल्प से हुई थी वहीं राजेंद्र दास जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पंचमी अर्थात ऋषि पंचमी के दिन प्राचीन समय से ही विद्वानों आचार्य और वैदिक ब्राह्मण के घर में मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के अचर्रा गांव में हुआ था राजेंद्र दास जी के पिता का नाम रामस्वरूप जी पांडे जो बहुत ही गुनी पवित्र धार्मिक संत भक्त माने जाते हैं वही माताजी का नाम श्रीमती बृजलता देवी है जबकि रसिक संत अनंत श्री विभूषित श्री गणेश दास जी महाराज से वैष्णो दीक्षा प्राप्त की स्कूली शिक्षा मिडिल तक ही करने के बाद बचपन में ही वृंदावन धाम आ गए और ईश्वर की कृपा से उन्हें सदगुरु देव श्री भक्त माली जी महाराज का सानिध्य प्राप्त हुआ भक्ति माली जी ने सुदामा कुटी निवास में अपने सानिध्य में वैष्णव परंपरा में शामिल किया और और औपचारिक रूप से राजेंद्र दास जी की संस्कृत शास्त्र शिक्षा का प्रारंभ करवाया उन्होंने ही दीक्षित शिष्य का नाम राजेंद्र दास रखा .

सुसंस्कृत वैष्णव छात्र राजेन्द्र दास ने संस्कृत व्याकरण विशेषता और साहित्य का क्रमिक अध्ययन किया और मास्टर डिग्री प्राप्त की 8 जनवरी 2018 को जगतगुरु रामानंदाचार्य की जयंती पर श्री तुलसी पितआदिश्वर दिव्यांग विश्वविद्यालय से माननीय राष्ट्रपति महोदय के हाथों से डिलीट की मानक उपाधि प्राप्त की राजेंद्र दास जी के गुरु अनंत श्री संपन्न श्री गणेश दास जी भक्त माली जी महाराज है जिनका जन्म नैमिषारण्य की पवित्र धरा पर सीतापुर जनपद के अंतर्गत गोमती गंगा के तट पर बसे कुर्सी गांव में काश्यप गोत्रीय काणकुबज विप्र कुल में पंडित लक्ष्मण प्रसाद त्रिपाठी एवं श्रीमती कैलाशी देवी के गृह में 1918 में हुआ जिनका नामकरण पंडित गया प्रसाद त्रिपाठी के रूप में किया गया राजेंद्र दास जी बचपन में स्कूल जाने से मना कर देते थे उनके स्वभाव से माता-पिता बहुत चिंतित होते थे और विचार करते थे कि बेटा राजेंद्र को कैसे शिक्षा दिलाई जाए जबकि वे बचपन से ही बहुत कुशल और परीक्षण प्रतिभा के धनी थे होनहार बिरवान के होत चिकने पात की तर्ज पर यह समझ आने लगा था यह बालक भविष्य में महापुरुष बनेगा जिस तरह बचपन से ही स्वामी विवेकानंद शास्त्र के ज्ञाता संगीत आदि कलाओं में बुद्धि वाले थे आगे चलकर वह एक महापुरुष बने या काहे की चंद्रगुप्त को देखकर चाणक्य ने कहा यही होगा अखंड भारत का भावी राजा जिस तरह कृष्ण जी के बचपन में चमत्कारों को देखकर लोगों ने कह दिया था यह जरूर कोई महान व्यक्ति है और जब बड़े हुए तो उन्होंने इस बात को सच साबित कर दिया जिस तरह हनुमान जी ने बचपन में सूर्य को फल समझकर उसे खाने के लिए चले गए और बड़े हुए तो उनके महान कार्यो ने उन्हें कलयुग का सबसे ज्यादा पूजा जाने वाला भगवान बना दिया कुछ इसी तरह महाराज जी का जन्म बचपन से ही अध्यात्म की ओर झुकाव फिर अनायास ही श्रेष्ठ गुरु का मिलना जैसी घटनाएं आज सिद्ध कर रही है की महान संत का जन्म आज देश की अनेकों समस्याओं को समाधान की ओर ले जाने के लिए हुआ था आज जब सनातन धर्म पर आगे बढ़ने का संकट है परिवार परंपरा बिखर रही है गोवंश भीषणत्तम संकट के दौर से गुजर रही है तब राजेंद्र दास जी महाराज समाज को एक कुशल मार्गदर्शन की तरह राह दिखा रहे हैं ।

इस युग में गौ सेवा के क्षेत्र में महाराज जी का योगदान अतुलनीय है जडखोर धाम पचमेड़ा ओरछा और ललितपुर में चल रही गौशालाओं में लाखों की संख्या में गौ माता की सेवा हो रही है वहीं उनकी प्रेरणा से हजारों जगह गौ सेवा का कार्य शुरू हुआ है हजारों की संख्या में दीक्षित शिष्य और लाखों की संख्या में उनके अनुयाई आज समाज में नई जागृति लाने के लिए महाराज जी की बातों का अनुसरण कर रहे हैं कुल मिलाकर सप्त ऋषियों के बारे हमने सुना है पढा है लेकिन महाराज जी को हम देख रहे हैं और अनुभव कर रहे हैं और आधुनिक युग के ऋषि के रूप में उनके प्रति आस्था रख रहे हैं हित प्रेमानंद जी ने महाराज जी के बारे में बिल्कुल स्पष्ट कहा है कि वही है जो शास्त्र आधारित बात करते हैं महाराज जी किसी प्रकार का चमत्कार नहीं बताते लेकिन यदि उनके प्रवचनों को ध्यान से सुनेंगे तो जीवन में चमत्कार जरूर होगा जहां न तनाव होगा ना अवसाद होगा ना भ्रम होगा तुलसीदास जी की रामायण की चौपाई महाराज जी पर सटीक बैठती है जिसमें वह कहते हैं संत हृदय नवनीत समाना कहा कविनह पर कहा ना जाना महाराज जी भी यदि दिन-रात परिश्रम कर रहे हैं तो समाज और देश के हित के लिए कर रहे हैं स्वास्थ्यगत कारणों से चिकित्सकों ने पूर्ण रूप से आराम करने की सलाह दी तब भी महाराज जी कम समय के लिए ही लेकिन लगातार प्रवचनों के माध्यम से समाज का मार्गदर्शन कर रहे हैं ऋषि पंचमी को आज उनका जन्म दिवस है जिसमें सभी ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं की महाराज जी दीर्घायु हो और वर्षों तक समाज का मार्गदर्शन करते रहें क्योंकि कभी कभार ही ऐसे संत जन्म लेते हैं जिनके जन्म से माता-पिता ही नहीं जन्मभूमि ही नहीं बल्कि समूची धरा अपने आप को और गोरांनवित महसूस करती है।

श्री देवदत्त दुबे जी ,वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनैतिक विश्लेषक 

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