पहली बार सुना स्पेशल कोर्ट का यह अजीब मामला
– परिवहन विभाग के चर्चित पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा ने प्रदेश की अफसरशाही और राजनेताओं की सांसें अटका रखी हैं। दिसंबर में उसके ठिकानों पर छापा पड़ा था। छापे में बड़ा खजाना बरामद हुआ था। सौरभ विदेश न भाग जाए, इसलिए उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी हुआ था। अचानक छापे के 41 दिन बाद वह भोपाल की स्पेशल कोर्ट के सामने हाजिर हो गया। यहां जो हुआ, उसे सुनकर हर कोई चौक गया। जिस आरोपी को ईडी, लोकायुक्त पुलिस सहित तीन एजेंसियां तलाश रही थीं, वह कोर्ट में हाजिर हुआ और जज साहब ने उसे कस्टडी में लेेने के निर्देश देने की बजाय कह दिया कि आप कल आना। उन्होंने जांच एजेंसी से डायरी भी तलब कर ली। ऐसा पहले कभी नहीं सुना गया था कि इतना बड़ा आरोपी जिसकी गिरफ्तारी के लिए लुकआउट नोिटस तक जारी हो, वह कोर्ट में हाजिर हो और उसे जाने दिया जाए। कानून के जानकार भी ऐसे निर्णय से हैरान थे। हालांकि अगले दिन वह कोर्ट में हाजिर होने फिर आ रहा था, तब लोकायुक्त पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। सौरभ के वकील ने गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताया। उनका कहना था कि आरोपी कल कोर्ट के सामने हाजिर हो चुका है। आज कोर्ट के निर्देश पर आ रहा था, ऐसे में उसे पुलिस कैसे गिरफ्तार कर सकती है? उनका तर्क गलत भी नहीं था। यह मामला अब तक चर्चा में है।
जिलाध्यक्षों के चुनाव में ‘न्याय’ नहीं कर सकी भाजपा
– प्रदेश भाजपा जिलाध्यक्षों के चुनाव को न निष्पक्ष रख सकी, न नियमों-मापदंडों के अमल पर अडिग रही और न ही हर वर्ग के साथ न्याय कर सकी। चुनाव इसलिए निष्पक्ष नहीं रहे क्योंकि रायशुमारी का नाटक हुआ, लेकिन चयन नेताओं की मर्जी से। इसीलिए कई जिलों के चुनाव अटके रहे। चार साल पहले कांग्रेस से भाजपा में आए नेता और 60 साल से ज्यादा उम्र के दो अध्यक्ष बनाकर नियमों, मापदंडों को तिलांजलि दी गई। उम्मीद थी कि चुनाव में अजा-जजा- महिला वर्ग के साथ न्याय होगा लेकिन ऐसा भी नहीं हो सका। रायशुमारी के बाद पैनल बनाने को लेकर निर्देश थे कि उसमें अजा-जजा और महिला दावेदारों के नाम जरूर शामिल किए जाएं। बैठक में कहा गया था कि चुनाव में महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। चर्चा यहां तक थी कि महिलाओं को 33 फीसदी जगह मिल सकती है। पर ऐसा नहीं हुआ। 62 में से सिर्फ 7 महिलाओं को जिलाध्यक्ष बनाया गया अर्थात कुल 11 फीसदी। दूसरा, उम्मीद थी कि अजा-जजा वर्ग बाहुल्य जिलों में इस वर्ग के जिलाध्यक्ष बनेंगे लेकिन इस पर भी ध्यान नहीं दिया गया। 62 में से अजजा वर्ग के 4 और अजा वर्ग के सिर्फ 3 जिलाध्यक्ष बनाए जा सके। शेष जिलाध्यक्ष सामान्य और पिछड़े वर्ग के बीच लगभग बराबर-बराबर बांट दिए गए। यह अजा-जजा और महिला वर्ग के साथ न्याय तो नहीं है!
गोपाल से सीखें खाली समय का सार्थक उपयोग
– विधान सभा के लगातार 9 चुनाव जीत चुके वरिष्ठ विधायक गोपाल भार्गव पहली बार राज्य मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हैं। पार्टी ने उन्हें कोई बड़ी जवाबदारी भी नहीं सौंपी है। ऐसे में उन्होंने खाली समय के उपयोग का सार्थक तरीका निकाला है। क्षेत्र में सामूहिक कन्या विवाह और बीमार लोगों के इलाज से सामाजिक समरसता की मिसाल वे पहले ही प्रस्तुत कर चुके हैं। अब उन्होंने कृष्ण शिला से निर्मित अष्टविनायक की स्थापना करा कर बड़ा धार्मिक काम किया है। गढ़ाकोटा के प्राचीन गणेश मंदिर में 10 दिन तक अष्टविनायक की स्थापना का विध विधान से पूजन चला। अब तक कई मंदिरों की स्थापना का माध्यम बने गोपाल इसमें पहली बार यजमान बन कर लगातार 18 घंटे तक पूजा में बैठे। अयोध्या में बाल स्वरूप राम की मूर्ति ‘कृष्णशिला’ से ही बनी है। खास बात यह है कि महाराष्ट्र में पुणे, रायगढ़, अहिल्यानगर जिलों में सात सौ किलोमीटर की दूरी पर अष्टविनायक के आठ मंदिर हैं। दुर्गम स्थानों पर बने इन मंदिरों का दर्शन करने में श्रद्धालुओं को कम से कम तीन दिन का समय लग जाता है। पर अब गढ़ाकोटा धाम में श्रद्धालु ‘अष्टविनायक’ की मनोहारी मूर्तियों का दर्शन एक ही स्थान पर कर सकेंगे। खाली समय का इससे अच्छा उपयोग और कैसे हो सकता है? भार्गव को इस काम की प्रेरणा 60 माह पहले मिली। इसे उन्होंने कम से कम समय में अंदर पूरा कराया है।
मल्लिकार्जुन ही फेर गए जीतू की मेहनत पर पानी
– बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जन्मस्थली महू में 27 जनवरी को आयाेजित जय बापू, जय भीम, जय संविधान रैली के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने जी-तोड़ मेहनत की थी। इसका नतीजा था, महू में उमड़ी भीड़। इसे देख कर पटवारी के साथ रैली में शामिल होने आए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी गदगद थे। पर खरगे द्वारा महाकुंभ में स्नान को लेकर की गई टिप्पणी ने इस मेहनत पर पानी फेर दिया। यहां महाकुंभ स्नान का जिक्र करने की जरूरत नहीं थी, लेकिन खरगे जी बहक गए और कुंभ स्नान का मजाक उड़ा डाला। उन्होंने कहा कि कुंभ में डुबकी लगाने की होड़ लगी है। जब तक टीवी में डुबकी अच्छी नहीं आती, तब तक डुबकी मारते रहते हैं। खरगे ने सवाल उठाया कि क्या डुबकी लगाने से युवाओं को रोजगार मिलेगा? क्या गरीबी दूर होगी? हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि धर्म में सबकी आस्था है, लेकिन धर्म के नाम पर किसी समाज का शोषण नहीं होना चाहिए। लेकिन क्या यह सवाल उठाने के लिए महाकुंभ को जरिया बनाना ठीक है, जहां से करोड़ों लोगों की श्रद्धा जुड़ी है। भाजपा ने तत्काल मुद्दे को लपका और देश भर में खरगे के पुतले जला डाले। सोनिया गांधी-राहुल गांधी से इस्तीफे की मांग की गई। नतीजे में सफल आयोजन करने के बावजूद कांग्रेस बैकफुट पर आ गई।
गुटबाजी को कैंसर कह जीतू ने किया ‘सेल्फ गोल’
– प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी बीच-बीच में सेल्फ गोल करने के आदी हो चले हैं। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के अपमान को लेकर कांग्रेस द्वारा चलाए अभियान के दौरान उनके द्वारा कई बार ऐसा हुआ। पहले बाबा साहेब के फोटो का पोस्टर अपने घुटने में रख कुछ लिखने लगे। इसके बाद अपने बंगले में मीडिया से बात की तो बापू और अंबेडकर के फोटो मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से नीचे लगे दिखाई पड़ गए। भाजपा ने इन्हें मुद्दा बनाने में देर नहीं की। जय बापू, जय भीम, जय संविधान अभियान के तहत महू में होने वाली रैली की तैयारी को लेकर सभाओं के दौरान पटवारी पार्टी नेताओं को भी नाराज कर बैठे। उन्होंने कह दिया कि कांग्रेस के अंदर गुटबाजी कैंसर की तरह है। इसे खत्म न किया तो यह कांग्रेस को खत्म कर देगी। जीतू का यह ‘सेल्फ गोल’ जैसा था। आखिर, प्रदेश अध्यक्ष खुद स्वीकार कर रहे हैं कि कांग्रेस के अंदर गुटबाजी बड़े स्तर पर है। भाजपा के साथ इसकी कांग्रेस के अंदर भी आलोचना हुई। वैसे भी कांग्रेस में दिग्गज नेता पटवारी के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार, उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह आपस में जुड़ने लगे हैं। पटवारी के ये कथन मुसीबत बढ़ाने वाले ही हैं।
राज -काज
श्री दिनेश निगम त्यागी जी ,वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनैतिक समीक्षक, मध्यप्रदेश
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