मध्य्प्रदेश में विकास यात्राओं के टोटके

मध्य्प्रदेश में विकास यात्राओं के टोटके

मध्यप्रदेश में विधानसभा के चुनाव सर पर हैं और इन्हीं के मद्देनजर सत्तारूढ़ भाजपा की विकास यात्राएं भी शुरू हो गयीं हैं ,जो दरअसल चुनाव यात्राएं हैं .23 मार्च 2020 को चौथी बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने श्री शिवराज सिंह चौहान इन विकास यात्राओं के टोटकों के जरिये चुनावी वैतरणी पार करना चाहते हैं . साम,दाम,,दंड और भेद से कांग्रेस की सरकार का अपहरण कर मुख्यमंत्री बने श्री शिवराज सिंह चौहान को अपने चौथे कार्यकाल में विकास करने का मौका ही नहीं मिला .उनके पूरे तीन साल कांग्रेस से भाजपा में आये और भाजपा को वापस सत्ता में लाये अतिथि नेताओं को साधने में ही गुजर गए ,लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अब विकास यात्राओं के जरिये आने वाले सात-आठ महीने में वे अपने पक्ष में लोकप्रियता की आंधी खड़ी करना चाहते हैं .प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा को सारथि बनाकर वे अब विकास यात्राओं के जरिये जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं को विकास का रंगीन चश्मा पहनाने की कोशिश कर रहे हैं . प्रदेश में भाजपा की नयी जुगल जोड़ी 05 फरवरी से विकास यात्राओं पर निकली है .मुख्यमंत्री शिवराज विकास यात्रा की शुरुआत भिंड से की हैंजबकि बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कटनी से यात्रा की शुरुआत की। अगले 21 दिन तक चलने वाली यह विकास यात्रा हर विधानसभा क्षेत्र के गांव, वार्ड तक जाएगी। बीजेपी का लक्ष्य इन 21 दिनों में 5 करोड़ लोगों तक पहुंचने का है।भिंड और कटनी दोनों ऐसे इलाके हैं जो भाजपा के लिए चुनौतियां खड़ी करते रहे हैं .भिंड विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता डॉ गोविंद सिंह का गृह जिला भी है .
                                            भाजपा को यात्राओं का अभूतपूर्व अनुभव है. रथयात्रा से लेकर धन्यवाद यात्राएं तक निकाल चुकी भाजपा को लगता है की यात्राएं ही पार्टी की,सियासत की और सूबे की तकदीर बदल सकती हैं .हाल की कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा की कामयाबी ने यात्राओं के प्रति भाजपा का विश्वास और बढ़ा दिया है .दरअसल इस बार प्रदेश में विधानसभा के चुनाव ‘ शिवराज बनाम महाराज ‘ महाराज नहीं हैं ,क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में जिन महाराज की वजह से शिवराज सिंह को सत्ताच्युत होना पड़ा था वे ज्योतिरादित्य सिंधिया यानि महाराज अब भाजपा के ही सारथी हैं .अब मुकाबला कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के साथ है.  भाजपा ने इस बार चुनावी वैतरणी पार करने के लिए संत रवउदास यानि रैदास जी का सहारा लिया . विकास यात्रा को लेकर मंत्रियों और विधायकों को यह निर्देश दिए गए थे कि वे अपने विधानसभा क्षेत्र के किसी रविदास मंदिर से इस यात्रा की शुरुआत करें। विकास यात्रा के उद्घाटन कार्यक्रम में स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ पार्टी के कार्यकर्ता और तमाम योजनाओं के हितग्राहियों को भी बुलाकर उनसे संवाद करें। भाजपा के कई मंत्री और विधायक ऐसे हैं जिनके मैदान में न जाने को लेकर संगठन को लगातार शिकायतें मिलतीं रहतीं हैं। विकास यात्रा के दौरान पूरे हो चुके निर्माण कार्यों के लोकार्पण और नए विकास कार्यों का भूमिपूजनकिया जा रहा है । मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान में जोडे गए हितग्राहियों को स्वीकृति पत्र थमाए जा रहे हैं । केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं से छूटे हितग्राहियों को जोड़ने की कवायद भी की जा रही है। विकास यात्रा में चलने वाले प्रचार रथ के वाहन को लेकर भी विशेष सावधानी बरती जा रही हैं। इसमें वाहनों का चयन करने से पहले उसका बीमा, फिटनेस जांचा-परखा गया है ताकि विपक्ष को कोई मौक़ा न मिले है। हर विधानसभा में एक प्रचार रथ संचालित कियाजा रहा है ।
भाजपा की विकास यात्राओं का मुकाबला कांग्रेस कैसे करेगी,अभी पता नहीं है लेकिन सत्ताचुएट कांग्रेस सरकार के मुखिया रहे प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ भाजपा की विकास यात्राओं को भाजपा सरकार की िवादी यात्रा मानते हैं .सत्ता पाकर अठारह माह में ही सड़कों पर आये कमलनाथ की हालत घायल शेर की तरह है .वे अगले विधानसभा चुनाव में किसी भी तरह वापस सत्ता पाना चाहते हैं .वे खुद मुख्यमंत्री बनें या न बनें लेकिन उनका सपना भाजपा को सत्ताच्युत करना है .इस बार उनके पास पिछले विधानसभा चुनाव की तरह कोई महाराज नहीं है जो शिवराज को चुनौती दे सके .ये काम उन्हें खुद और राजा कहे जाने वाले दिग्विजय सिंह को करना है क्योंकि प्रतिपक्ष के नेता डॉ गोविंद सिंह या पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के बेटे ाज्य सिंह राहुल ‘ महाराज ‘ यानि ज्योतिरादित्य सिंधिया का विकल्प नहीं है .
                                       भाजपा की विकास यात्राओं का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने भी तैयारी की है .कांग्रेस ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के क्रम में हाथ से हाथ जोडों अभियान चलाने का निर्णय लिया है .इसमें प्रदेश के सभी गांवों में एक माह तक पदयात्रा की जाएगी। चौपाल लगाकर ग्रामीणों से संवाद किया जाएगा इसमें तत्कालीन कमलनाथ सरकार की उपलब्धियां बताने के साथ केंद्र और राज्य सरकार की असफलता गिनाई जाएगी। कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा में उठाये गए महंगाई, बेरोजगारी, अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग पर हो रहे अत्याचार, पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण का लाभ न मिल पाना, महिला सुरक्षा और किसानों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करेगी . जिला स्तर पर सम्मेलन भी आयोजित किए जाएंगे, जिसमें वरिष्ठ नेता भाग लेंगे। राज्य स्तर पर महिला मार्च और महा रैली होगी, जिसमें पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा हिस्सा लेंगी। पार्टी की तैयारी इस अभियान से कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने के साथ जन जन तक पहुंच बनाने की है। प्रदेश में इन सियासी यात्राओं से एक बार फिर सरकारी मशीनरी ठप्प होती दिखाई दे रही है. कलेक्टरों पर परदे के पीछे से भाजपा की विकास यात्राओं को कामयाब बनाने के लिए सहयोग करने का दबाब है .मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विकास यात्राएं शुरू करने से पहले ही प्रदेश के कलेक्टरों और कमिश्नरों को भोपाल बुलाकर उनकी क्लास ले ली थी .मुख्यमंत्री ने जिन जिलों में कलेक्टर मुफीद नहीं थे उन्हें पहले ही बदल लिया है .अब देखना ये है कि कर्ज के बोझ से लदे मध्यप्रदेश में भाजपा की विकास यात्राएं कितनी कामयाब होती हैं ? आपको याद होगा कि मध्यप्रदेश के ऊपर 3 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज है .अगले माह 5 मार्च 2023 को अपने जीवन के 64 वे वर्ष में प्रवेश करने जा रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए सम्भवत : ये आखरी विधानसभा चुनाव है .वे जीतें या हारें उन्हें मध्य्प्रदेश से तो जाना ही पड़ सकता है .क्योंकि उनकी अपनी पार्टी में ही उनका बहुत विरोध है. पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ,केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल और भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय न जाने कब से शिवराज सिंह चौहान की विदाई के लिए साधनारत हैं लेकिन उनकी साधना पर साधना भाभी की साधना भारी पड़ जाती ही.

व्यक्तिगत विचार-आलेख-

श्री राकेश अचल जी  जी ,वरिष्ठ पत्रकार  एवं राजनैतिक विश्लेषक मध्यप्रदेश  । 

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