मध्यप्रदेश राजनीतिनामा : सर्वे रिपोर्ट से बढ़ रहा संशय

मध्यप्रदेश राजनीतिनामा : सर्वे रिपोर्ट से बढ़ रहा संशय

प्रदेश में मिशन 2023 की तैयारियों में जुटे दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस का संकट सर्वे रिपोर्ट बढ़ा रहे हैं क्योंकि पूरे प्रदेश में एक जैसे सैंपल नहीं आ रहा है कहीं विधायकों से नाराजगी ,कहीं पार्टी से नाराजगी, तो कहीं स्थानीय मुद्दों पर नाराजगी ,तो कहीं राष्ट्रीय मुद्दों पर भी नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है पूरे प्रदेश में एक जैसा फार्मूला दोनों ही दल नहीं आजमा सकते हैं दरअसल किसी भी दल को अपनी रणनीति बनाने में उस समय आसानी हो जाती है जब उसको सही फीडबैक मिल जाता है लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है कि पूरे प्रदेश में अलग अलग तरह का फीडबैक आ रहा है एक समानता जरूर है कि दोनों ही प्रमुख दलों को अधिकांश जगह अपने मौजूदा विधायकों के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का सामना करना पड़ रहा है।  यही कारण है कि दोनों दलों ने अपने विधायकों को सुधारने के लिए कहा है क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में टिकट काटना भी मुश्किल हो सकता है दोनों ही दल चुनावी दृष्टि से संगठन को मजबूत और बूथ स्तर पर कमेटी बनाने का काम कर रहे हैं जिससे एन वक्त पर प्रत्याशी बदलने या प्रत्याशी द्वारा दल बदलने से वैकल्पिक व्यवस्था पार्टी के पास रहे बाहर हाल सत्तारूढ़ दल भाजपा में बैठकों का दौर जारी है।
                               मुख्यमंत्री निवास पर हाल ही में नेताओं की बैठक हुई जिसमें विधायकों की सर्वे रिपोर्ट पर चर्चा हुई और आगामी दिनों में सत्ता और संगठन में जो भी परिवर्तन किया जाएगा उस पर भी मंथन किया जाएगा इसका असर कुछ दिनों में दिखाई भी देगा 17 दिसंबर को कटनी में भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक आयोजित की गई है उसके पहले महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाने की संभावना जताई जा रही है संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय की तीन दिवसीय भोपाल  यात्रा को भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है संगठन में कसावट लाने की दृष्टि से जहां 20 जिला अध्यक्ष नियुक्त होने की चर्चा है वही प्रदेश पदाधिकारियों की सूची भी जारी की जा सकती त्रिस्तरीय पंचायती राज नगरी निकाय चुनाव और भारत यात्रा के दौरान परफॉर्मेंस के आधार पर भूमिका तय की जाएगी ।
                               कुल मिलाकर प्रदेश के प्रदेश के राजनीतिक वातावरण में चुनावी दृष्टि की तैयारियों से दोनों ही प्रमुख दलों में संशय की स्थिति बनी हुई है क्योंकि सर्वे रिपोर्ट और फीडबैक प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से अलग अलग तरह का आ रहा है इस कारण दलों का अलग तरह की रणनीति बनानी पड़ रही है और सर्वे रिपोर्ट के आधार पर मौजूदा विधायकों को परफारमेंस सुधारने के लिए कहा गया है दूसरी तरफ चुनाव जीत सकने वाले उम्मीदवारों की तलाश भी अभी से शुरु हो गई है बूथ स्तर पर जमावट पार्टी के आधार पर की जा रही है जिससे ऐन चुनाव के वक्त पर मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़े जाहिर है सर्वे रिपोर्ट से जो संचरण बन रहा है उससे छुटकारा पाने की बेताबी है और इसी कारण बैठकों का दौर जारी है जिससे चुनावी दृष्टि से निर्णय लेकर जमावट की जा सके।

 देवदत्त दुबे

वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनैतिक विश्लेषक मध्यप्रदेश 

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