भोपाल। मध्यप्रदेश में होने जा रहे नगरीय निकाय चुनाव में प्रत्याशी चयन की भरी कश्मकश के बाद अब दोनों ही दलों के सामने एक और नयी चुनौती है और वह है अपने अपने बागी कार्यकर्ताओं को मानाने की , नगरीय निकाय चुनाव में आज नामांकन पत्र वापस लेने का आखरी दिन है। दोनों ही दलों ने अपने-अपने भाइयों को भरपूर समझाइश दी लेकिन जो पार्टी के भरोसे जीत की उम्मीद पाले थे वह तो मान गए और जिन्हें अपने पुरुषार्थ पर भरोसा है वे मैदान में डटे हैं अंतिम तस्वीर शाम तक स्पष्ट हो जाएगी।
दरअसल, स्थानीय स्तर के चुनाव इसलिए ही कठिन माने जाते हैं कि राजनीतिक दल जो वर्षों से जमावट करते हैं इन चुनाव के दौरान अस्त-व्यस्त हो जाती है और विधानसभा चुनाव के पहले यदि नहीं संभाला जाता तो फिर समीकरण का गढबढ़ाने लगते हैं। यही कारण है कि मंगलवार को दिन भर पार्टी नेता माननेमें जुटे रहे पार्टी नेताओं से बात भी कराई और आगामी दिनों महत्त्व देने का आश्वासन भी दिया। पार्टी को पार्षद पद के बागियों से पार्षद की वजह मेयर के चुनाव के गड़बड़ाने की आशंका ज्यादा थी इस कारण बागियों को मनाने पर पूरा जोर दिया गया।
बहरहाल, दोनों ही दलों ने टिकट वितरण में अच्छी खासी कसरत की और अंतिम समय तक टिकट घोषित किए। कई जगह गाइडलाइन भी तोड़नी पड़ी और जीतने वाले प्रत्याशियों को टिकट देने के प्रयासों में परिवारवाद से भी परहेज नहीं किया। कांग्रेस ने जहां दूसरे वार्ड के निवासी को भी प्रत्याशी बनाने में संकोच नहीं किया तो भाजपा में जगह – जगह रिश्तेदार भी टिकट पाने में सफल रहे लेकिन इसके बावजूद भी असंतोष थमा नहीं है।
शहरों से लेकर राजधानी भोपाल तक हल चल रही सागर के इतवारी वार्ड में पहली सूची में भाजपा प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह साथियों के साथ भोपाल में रहे और मंगलवार की शाम को पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती से मुलाकात भी की लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली उमा भारती ने लक्ष्मण सिंह की जगह रिंकू नामदेव को टिकट दिलाया है,और वे उसी पर अडिग रही। अंततः निराश लक्ष्मण सिंह सागर की ओर रवाना हो गए। ऐसे ही अनेकों दावेदार पार्टी मुख्यालय में अपील समिति के सामने अपनी दलील देते रहे और अपील समिति के संयोजक जिला स्तर पर और संभागीय स्तर पर टिकट वितरण समिति के सदस्यों को फोन लगाते रहे और उन्हें समझा-बुझाकर वापस अपने क्षेत्र में जाने और पार्टी के लिए काम करने की समझाइश देते रहे। उधर कांग्रेस पार्टी में मनाने का काम सबसे ज्यादा घोषित प्रत्याशियों ने किया अपने अपने स्तर पर बागियों को मनाते रहे और जरूरत पड़ने पर नेताओं से फोन पर बातें भी कर आते रहे आश्वासन दिलाते रहे जबकि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महाराष्ट्र के घटनाक्रम पर प्रभारी बनाए जाने के बाद मुंबई रवाना हो गए थे।
कुल मिलाकर टिकट ना मिलने से नाराज बागियों के लिए आज आखरी अवसर है कि वे घोषित प्रत्याशी के समर्थन में अपना नामांकन पत्र वापस ले लें प्रयास दोनों ही दलों ने भरसक किए हैं लेकिन नतीजा शाम तक ही पता चलेगा कि मैं नाम से पाए।
देवदत्त दुबे, भोपाल, मध्यप्रदेश