भक्ति के बाद श्रद्धा की हत्या के निहितार्थ

दुनिया में कुछ भी महफूज नहीं हैं।न श्रद्धा और न भक्ति। ये दोनों संज्ञा और सर्वनाम दोनों है। श्रद्धा और भक्ति ऐसे मानवीय गुण हैं