इसके पहले उमा भारती को 2002 में जब भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाने की बात आई तब पटवा गुट द्वारा उनका जमकर विरोध हुआ। विक्रम वर्मा ,सुमित्रा महाजन और ताकतवर संगठन महामंत्री कृष्ण मुरारी मोघे विरोध करने वालों में सबसे आगे थे, पित्र पुरुष कुशाभाऊ ठाकरे भी उमा भारती को प्रदेश की बागडोर देने के पक्ष में नहीं थे। इन सब के बीच समन्वय बनाने और सुंदरलाल पटवा जैसे ताकतवर नेता को उमा भारती के प्रति नियुक्त करने में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी गौरीशंकर शेजवार ने निभाई शेजवार उन दिनों नेता प्रतिपक्ष थे । लालकृष्ण आडवाणी और राष्ट्रीय संगठन मंत्री संजय जोशी के सामने फॉर्मूला तय हुआ कि उमा भारती को मध्यप्रदेश में स्थापित करने के लिए एक पूरी नई टीम बनाई जाए बाद में उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष तो नहीं पर पार्टी का मुख्य चुनाव प्रचारक बना दिया गया।
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मुख्य प्रचारक बनाने के ऐलान के पहले उमा भारती की पसंद पर विक्रम वर्मा को हटाकर कैलाश जोशी को पार्टी अध्यक्ष ,गौरीशंकर शेजवार को हटाकर बाबूलाल गौर को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष एवं संगठन महामंत्री कृष्ण मुरारी मोघे को हटाकर प्रांत प्रचारक कप्तान सिंह सोलंकी को संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी दी गई। विक्रम वर्मा को पार्टी के अध्यक्ष पद से हटाकर केंद्र में अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में मंत्री बनाया गया । इसी समय प्रभात झा को भी मीडिया प्रभारी से हटाकर दिल्ली में पार्टी की पत्रिका कमल संदेश का काम दे दिया गया। यह सब उमा भारती को प्रदेश में स्थापित करने और काम करने के लिए एक मुक्त वातावरण देने हेतु किया गया आते ही उमा भारती ने संपूर्ण प्रदेश में संकल्प यात्रा निकाली उमा भारती को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करवाने में प्यारेलाल खंडेलवाल का बहुत बड़ा योगदान था खंडेलवाल ने पार्टी नेतृत्व को इस बात के लिए तैयार करने के लिए बाकायदा पूरी योजना बनाई। उनका मानना था कि दिग्विजय सिंह के 10 साल के कुशाशन के कारण भाजपा को विरोध के वोट तो मिलेंगे तभी हो पाएगा जब मतदाताओं के सामने भाजपा की ओर से एक ताकतवर चेहरा सामने हो।
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