खुरई विधायक और शिवराज सरकार में नंबर दो माने जाने वले पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह का एक बयान इन दिनो चर्चाओं में बना हुआ है जिसमें उन्होने लोकसभा चुनाव के बाद सियासी उठापठक के संकेत दिये है । राजनैतिक गलियारों में इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे है एसा माना जा रहा है कि खुरई विधानसभा की राजनीति में उनके प्रतिद्धंदी रहे कांग्रेस नेता अरूणोदय चौबे का भाजपा में शामिल होना भूपेंद्र सिंह को रास नहीं आया है और इसी संदर्भ में उन्होने यह बयान दिया है। मध्यप्रदेश की राजनीति में नेतृत्व परिर्वतन के बाद प्रदेश की राजनीति के साथ साथ क्षेत्रीय राजनीति भी परिर्वतन के दौर से गुजर रही है और दो दशक की भाजपा सरकार में सियासी रूतबा लिये सागर शहर भी इससे अछूता नहीं है। सागर जिले में लोकसभा प्रत्याशी का चयन हो या फिर विकास कार्याे को लेकर लिये गये बड़े राजनैतिक निर्णय एक बात स्पष्ट है कि इनमें स्थानीय नेताओं की सहमति मात्र औपचारिकता रही है लंबे अरसे के बाद कंटोल बटन वापिस राजधानी पहुंचा है। बुंदेलखंड में लंबे अरसे तक भाजपा सरमार का चेहरा रहे गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह को मोहन सरकार में मंत्री न बनाये जाने के बाद अब सर्मथको को लोकसभा चुनाव के बाद मंत्रीमंडल में शामिल होने की आस है । तो सागर के वरिष्ठ विधायक शैलेन्द्र जैन और प्रदीप लारिया के सर्मथको के हाव भाव भी बदले हुए है और लोकसभा के बाद बड़ी जिम्मेवारी पर टकटकी लगाये बैंठे है।