हमारा इतिहास : प्रणव मुखर्जी के भाषण के लिए बंगाली श्रोताओं का इंतजाम

हमारा इतिहास : प्रणव मुखर्जी के भाषण के लिए बंगाली श्रोताओं का इंतजाम

चुनावों में भाजपा की तरफ से केन्द्रीय कानून मंत्री अरुण जेटली को मध्यप्रदेश में चुनाव का प्रभारी बनाया गया था। जेटली ने उस साल प्रदेश में खूब यात्रायें की और पन्द्रह दिन भोपाल में रहकर दिग्विजय सिंह से लोहा लिया। पुरानी विधानसभा के सामने दिग्विजय सिंह और अरुण जेटली की ‘बिग फाईट’ खूब चर्चा में रही। एनडीटीवी के पत्रकार राजदीप सरदेसाई द्वारा संयोजित इस कार्यक्रम के लिए दिग्विजय सिंह के सामने भाजपा ने उमा भारती के स्थान पर अरुण जेटली को जिम्मेदारी दी थी। जेटली ने तब उमा भारती का बचाव यह कहकर किया कि उन्होंने राजनीति में आने से पहले 55 देशों की यात्रा की है और इतने धरने-प्रदर्शन में हिस्सा लिया है, जितने हम दोनों ने मिलकर नहीं किये होंगे।

कृपया यह भी पढ़ें –

दिग्विजय सिंह ने 2003 के चुनावों के लिए पूरे साल भर में एक हजार सभाओं का टारगेट रखा। जनवरी से लेकर नवंबर तक उन्होंने ये सभाएं कीं जिसमें वे ही स्टार प्रचारक थे। कांग्रेस की तरफ से प्रचार करने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणव मुखर्जी भोपाल आये। कम हिन्दी जानने वाले अंग्रेजी और बंगलाभाषी मुखर्जी की सभा कहां कराई जाये, पार्टी के सामने यह बड़ी समस्या थी। आखिरकार बीएचईएल के कालीबाड़ी मंदिर के नज़दीक एक सभा आयोजित की गई। कांग्रेसी उम्मीदवार शिवकुमार उरमलिया के पक्ष में प्रचार करने के लिए आये मुखर्जी की सभा में विशेष रूप से बीस-तीस बंगाली सज्जनों को आगे की कुर्सियों पर बैठाया गया, जिससे कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता को असहजता न लगे।” उस समय कोई यह नहीं जानता था कि नौ साल बाद मुखर्जी भारत के राष्ट्रपति बनेंगे।

वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनैतिक विश्लेषक
श्री दीपक तिवारी कि किताब “राजनीतिनामा मध्यप्रदेश” ( भाजपा युग ) से साभार ।

⇓ वीडियो समाचारों के लिये कृप्या हमारे चैनल की लिंक पर क्लिक कर हमारे चैनल को सबस्क्राईब करें , धन्यवाद।

https://www.youtube.com/c/BharatbhvhTV

 

Share this...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *