पिछले तीन वर्षों से चुनावी राजनैतक भूचालों की आदि हो चुकी मध्यप्रदेष की राजनीति एक बार फिर चर्चा मे है
वजह है सत्ताधारी दल भाजपा में होने वाली पीढ़ी परिवर्तन की सम्भावना।
मध्यप्रदेष में भले ही आने वाले उपचुनावों की सतही तैयारी हो रही है लेकिन असल तैयारी अगले विधानसभा चुनाव की ही हो रही है जहां कांग्रेस में सिंधिया के प्रभावमुक्त होने के बाद बाकी बचे दिग्गीराजा और कमलनाथ में समन्वय है और कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ही मध्यप्रदेश कांग्रेस के सर्वे सर्वा हैं तो भाजपा में अगले मुख्यमंत्री की होड़ के साथ साथ पीढी परिर्वतन की खलबलाहट अंदरूनी है जिसे भाजपा के प्रदेष प्रभारी मुरलीधर राव के एक बयान ने सामने लाकर रख दिया है राजधानी भोपाल में रविदास जयंती के एक कार्यक्रम मे राव ने जो बयान दिया उसने कई दिग्गजों के जले पर नमक छिड़कने का कार्य किया है तो युवा राजनेताओं जो बीते दो ढाई दषको से पार्टी की सेवा करते करते प्रौढ हो चले है को उम्मीद की किरण भी दिखाई है।
प्रदेष प्रभारी राव ने दो टूक शब्दो में कहा है कि “लगातार जनप्रतिनिधि 15.16 वर्षो तक सत्ता में रहते है और फिर कहते है कि मौका नहीं मिला उन्होने कहा कि कुछ जनप्रतिनिधि 25 30 सालो से जीत रहे है पांच छह बार के सांसद विधायक है फिर भी कहते है कि मौका नहीं मिला रोते रहते है एंसे लोगो को में नालायक कहूंगा ।”
लेकिन प्रदेश प्रभारी राव को षायद मध्यप्रदेष सरकार में विधायको की स्थिति का भी पूरा भान नहीं है यह कटु सत्य है कि विधानसभा क्षेत्रो मे विकास की परिभाषा मंत्री बनने के बाद ही लिखी जा सकती है पूरे प्रदेष के विकास की जिम्मेवारी अपने कंधे पर लिये मंत्री खुले मंच से अपनी विधानसभा को प्रदेष में अव्वल बनाने की बात करते है और मंत्री पद के प्रभाव से विधानसभा क्षेत्र मे कई योजनाओं का लाभ भी सुनिष्चित करते है अब वेचारे विधायक कितने भी वरिष्ठ हो जायें लेकिन उनके लिये बिना मंत्री बने क्षेत्र का विकास असंभव सा जान पड़ता है तो तीसरे चौथे कार्यकाल में वो आस लगाये बैठे जाते है इस प्रक्रिया में नुकसान परिर्वतन और नयापन का होता है ।
राव की बात भारतीय जनता पार्टी में पिछले एक दषक की राजनीतिक आंकलन करने पर बिल्कुल सटीक जान पड़ती है जहां भाजपा में अगली पीढी के नौजवान कार्यकर्ताओं को आगे बढाने का कार्य न के बराबर हुआ है खासकर सत्ता में भागीदारी के संदर्भ में, प्रदेष में ऐंसे विधायको की भी एक लंबी सूची है जो दो या तीन बार से लगातार एक ही विधानसभा से चुनाव जीतकर आते है और उपलब्धि के नाम पर षून्य है विधानसभा क्षेत्रों को मेनेजमेेंट का अडडा मानकर चलने वाले ये वरिष्ठ विधायक इस बात की कल्पना भी नहीं करते कि दो दषक बाद पार्टी इनका टिकिट काट भी सकती है कार्यकता तो दूर की कौड़ी है कई स्थानो पर हालात ऐंसे है कि वरिष्ठ जन अपने पारिवारिक सदस्यो को भी विकल्प के रूप में स्वीकार नहीं करते एंसे हालातो में 2018 विधानसभा चुनाव हारने के बाद प्रदेष अध्यक्ष विष्णुदत्तषर्मा की ताजपोषी से प्रदेष भाजपा में पहला संकेत मिला था कि मध्यप्रदेष भाजपा में जल्द ही अनिवार्य सेवानिवृत्ति योजना लागू हो सकती है और संगठन में नियुक्तियों से यह सिद्ध भी हुआ दमोह उपचुनाव में पूर्व वित्तमंत्री जयंत मलैया की राजनैतिक विरासत पर प्रश्नचिन्ह लगाकर निर्णय लिये गये तो अब प्रदेष प्रभारी मुरलीधर राव के बयान से वरिष्ठो के दिव्यस्वपनों को जोरदार झटका लगा है बहरहाल भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से यह स्पष्ट संदेष के रूप में देखा जा रहा है कि मध्यप्रदेष में अगले विधानसभा चुनाव में नई पीढी को मौका मिलेगा और वरिष्ठजनों को “जो प्राप्त है वहीं पर्याप्त है” के वोध – वाक्य के साथ सन्यास दिलाया जायेगा ।
धन्यवाद ।