व्यंग्य : दान की जमीन और दुनिया की जलन

व्यंग्य : दान की जमीन और दुनिया की जलन

तो गुरू , मानो कलयुग को भी समझ में नहीं आ रिया है कि उसके साथ हो क्या रिया है कभी  बम- बारूद की बात सुनते हैं तो लगता है कि भरोषा नहीं दुनिया 2025 का न्यू ईयर मना पायेगी या नहीं , तो कभी लगता है मियां जकरबर्ग की नई टेक्नोलोजी में आँख पर चस्मा लगाकर नए नए लोगों से मिलने की गुदगुदी का मजा क्या होगा , हो सकता है  चांद में कालोनी कटने की कला भी मानो इसी जन्म में देखने को मिल जाए तो भईया कालचक्र मानो भन्नाये जा रहा है कि कौन सी बात सही है और कौन सी नहीं और दुनिया किस सही बात को गलत कह दे और सही बात को गलत  ससुरा सोशल मीडिया ने दुनिया का माहौल ही कुछ एंसा कर दिया है कि सारे केरेक्टर अस्त व्यस्त हो गये है। बड़े बड़े कथावाचक व्यासगददी पर बैठकर जनता कौन कौन सी फिल्म देखे और कौन सी बायकाट करें इस पर चिंतन कर रिये है , नेता फोकस में आने के लिये कुछ भी अकर बकर बके जा रहें है और हद बेशर्म रंग में डुबकी लगाने को तैयार हैं और जनता, जनता तो गुरू शुरू से ही घनचक्कर रही है । कोरोना के सुरसा जैसे मौत के मुह से निकलने के बाद खुद को बजरंग बली समझने लगी है , साल भर पहले सांस लेने की जुगाड़ में बेसुध फिर रही थी और अब  रूस ,यूक्रेन,चीन अमेरिका,ब्रिटैन, विश्वगुरु ,राहुलगाँधी के रास्ते ,मोदी जी के वास्ते , शाहरुख की पठान, दीपिका की बिकनी सब पर फुल जानकारी चाहती है और उसमे भी हर बात पे शक,  खैर कलयुग है और कलयुग में धर्म ,पुन्य , परोपकार, दान सब शक के दायरे में होते है । अरे दान से याद आया इन दिनों देश के दिल मध्यप्रदेश में एक साले ने अपने जीजा जी को दान क्या दिया सारे देश के दिमाग में दर्द हो रिया है तमाम शादीशुदा लोग अपनी अपनी शादी की सालों का हिसाब लगाने में जुटे है और हर बार बिदाई में 500 का टीका और घूमफिर कर मिलने वाले कटपीस पेंट शर्ट का टोटल हिसाब भी 50 हजार की सीमारेखा पार नहीं कर पा रिया है , और नये नये बने जीजा अपने सालों को ये वाला मेसेज दिन मे चार बार फारवर्ड कर रिये कि है कि “मध्यप्रदेश के राजस्व मंत्री को उनके दोनो सालों ने अपनी कुल 100 एकड़ जमीन में से 50 एकड़ दान कर दी”  तमाम एंसे पति जिनकी नजर अपनी ससुराल के एकाध प्लाट पर लगी हुई है वे इसकी भरपूर तरफदारी कर रहे है कि बात तो सही है यदि सालों को कोई पुण्य करना ही है तो ये सर्वोत्तम शास्त्र सम्मत मार्ग है और जब मंत्री जी ने यह दान लेने से मना नहीं किया तो हमारी तो औकात ही क्या है ।

कुलमिलाकर यह मुददा अब राजनीति का नहीं रहा यह हो रिया है सामाजिक मुददा और वो भी जीजा और साले के सामाजिक समरसता वाले रिश्ते का । इतिहास गवाह है कि सालों ने जीजा को दिया बहुत कम है और अपनी बहन के सुपरपावर का इस्तेमाल कर लिया बहुत ज्यादा है तो अब यदि किसी साले ने इस परंपरा को पलटने का साहस जुटाया है तो इसमें क्या गलत है । अब बताओ आज के घोर कलयुग में यदि कोई साला पुण्य कमाना भी चाहे तो जनता को हजम नहीं हो रिया है अरे भैया दान देने वाले को कोई एतराज नहीं है और लेने वाले को तो होता ही कब है, तो इन खबरबाजों के पेट में क्यों इतना दर्द हो रिया है कि देश में सनातन संस्कृति के पुनःउत्थान,आतंकवाद, पाकिस्तान और मोदी जी के यशस्वी नेतृत्व जैसे मुददों को छोड़कर बेचारे मंत्री जी से जमीन के सवाल पूंछकर इर्रिटेट कर रिये है,  और एंसे पूंछ रहे है कि मंत्री जी को खुद हांथ से माईक धकियाना पड रिया है । अरे भाई मंत्री जी के साले की जमीन थी जो बेचारे ने अपना घर बेचकर यह महादान करने के लिये खरीदी थी और दान करके अपने हिस्से का  पुण्य लेकर खुश है तो आपको क्या परेशानी है।  लेकिन कुछ आग बबूले फिर रहे नेताओं ने तो प्रधामंत्री मोदी से इस जमीन की जांच किये जाने की मांग भी कर दी है। अब बताओ दुनिया के सबसे बड़े नेता और भारत जैसे बड़े देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी चीन की जमीन वापिस लेने में दिमाग लगायें,  2024 आम  चुनाव के पहले के पहले पाकिस्तान से अपनी जमीन लेने में दिमाग लगाएं  , राहुल गांधी जो पिछले चार महीने से जमीन जमीन घूमकर नाक में दम किये है उसमें अपना दिमाग लगाये कि राजस्व मंत्री को दान में मिली जमीन में अपना दिमाग लगायें कौन समझाये इनको । खैर बात चाहे जो भी हो अपन तो खुश है भाई कि किसी साले ने तो सदियों से चली आ रही जीजा से दान लेने की परंपरा के उल्ट कुछ कर के दिखाया अब भले इससे देश प्रदेश भर के जीजाओ और सालों के बीच टेंशन उबल रिया हो अपन तो सालो से फ्री है मतलब बिना साले के जीजा जी हैं सो लेना एक न देना दो । 

अभिषेक तिवारी 

संपादक भारतभवः 

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