उम्मीदों के उम्मीदवार का चयन बना चुनौती

उम्मीदों के उम्मीदवार का चयन बना चुनौती

भोपाल। नौतपा के बाद भी एक तरफ जहां मौसम में तपिस बढ़ती ही जा रही है तो वहीं नगरीय निकाय और पंचायती चुनाव को लेकर राजनैतिक सरगर्मी भी गांव से लेकर शहर तक गरमाई हुई है। दोनों ही दलों का पूरा फोकस उम्मीदवारों पर बन गया है। बेहतर उम्मीदवार जनता के सामने देकर जीत की उम्मीदें कायम की जा रही है। यही कारण है कि दोनों दलों के संगठन पदाधिकारियों को प्रत्याशी चयन में पसीना आ रहा है।

दरअसल, संशय और द्वंद के चलते आखिर प्रदेश में दोनों ही त्रिस्तरीय पंचायती राज और नगरीय निकाय के चुनाव एक साथ आ गए। पंचायती राज चुनाव में जहां अगर पार्टी के चुनाव चिन्ह के होना है वहीं नगरीय निकाय के चुनाव पार्टियों के चिन्ह पर होने जा रहे हैं। इस कारण गांव और शहर में चुनाव पर फोकस बनाए रखना दोनों दलों के लिए जरूरी हो गया है। आज 6 जून को प्रथम चरण के पंचायती राज के चुनाव के नामांकन दाखिल करने का आखरी दिन है। इस कारण दोनों ही दलों से कोशिश की जा रही है की एक ही दल के कार्यकर्ता आपस में एक – दूसरे के खिलाफ चुनाव ना लड़े इसके लिए पहली कोशिश यही है कि नामांकन पत्र भी दाखिल ना किए जाएं जबकि अगले कदम के रूप में नामांकन पत्रों को वापस कराया जाएगा। जिससे कि आपस की टकरा हटना हो 7 वर्षों के बाद होने जा रहे चुनाव के लिए कार्यकर्ताओं में चुनाव लड़ने की बेताबी है। कहीं कोई सीट पहली बार अनारक्षित हुई है तो सामान्य वर्ग के उम्मीदवार चुनाव लड़ना चाहते जबकि इसी सीट पर पिछले वर्षों में पिछड़े वर्ग के या अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के प्रतिनिधि चुनते आए हैं और जिन सामान्य सीटों वह आरक्षित किया गया है वहां पर भी आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के बीच चुनाव लड़ने को लेकर मान मनौव्वल चल रहा है क्षेत्रीय विधायकों को भी अपने समर्थकों को बनाने के लिए हां सी कसरत करनी पड़ रही है।

वहीं दूसरी ओर नगरीय निकाय के चुनाव को लेकर शहरों में कशमकश शुरू हो गई है। खासकर महापौर के प्रत्याशी के लिए चयन करना दोनों ही दलों के लिए मुश्किल भरा कार्य हो गया है। सबसे ज्यादा कसरत सत्तारूढ़ दल भाजपा को करना पड़ रही है क्योंकि वहां दावेदारों की संख्या ज्यादा है। कहीं-कहीं एक दर्जन से ज्यादा टिकट के दावेदार है। ऐसे में पार्टी नेताओं को समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर किसी चुनाव लड़ाया जाए। सूत्रों की माने तो पार्टी अब चौकाने वाले नामों को खोज रही है जो नाम चर्चा में है इससे इतर समाज सेवा शिक्षा स्वास्थ या न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े प्रत्याशी खोजे जा रहे हैं लेकिन इसमें एक संभावना यह भी है। सभी कार्यकर्ता दावेदार कहीं नाराज ना हो जाए। यही कारण है कि कांग्रेस ने जहां 16 में से 12 नगर निगमों पर अपने संभावित उम्मीदवारों के संकेत दे दिए लेकिन भाजपा अभी तक इस तरह के संकेत देने से बच रही है। बीच में कुछ सीटों पर विधायक को महापौर का प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चा थी लेकिन अब इस पर भी सहमति नहीं बन पा रही है।

कांग्रेस ने 9 जून को उम्मीदवार चयन के लिए राजधानी भोपाल में एक बड़ी बैठक बुलाई है। जिसमें जिला अध्यक्ष के साथ जिला प्रभारियों को पढ़ाया गया है। साथ ही क्षेत्र के विधायक भी इस बैठक में शामिल होंगे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के साथ होने वाली 9 जून की बैठक से पहले नगरी निकाय चुनाव के लिए बनाए गए प्रभारियों और सह परिवार यू से जिलों में जाकर बैठक करने एवं सभी नगर निगम क्षेत्रों की 7 जून की मंगलवार शाम तक बैठक करने को कहा गया है। इन बैठकों में जिला अध्यक्ष की भूमिका को महत्वपूर्ण माना जा रहा है जबकि सत्तारूढ़ दल भा जा पा ने 7 और 8 जून तक सभी जिला प्रबंध समितियों की बैठक करने के निर्देश दिए हैं। जिला अध्यक्ष सुनिश्चित करेंगे इन बैठकों को जिसमें पंचायती राज के चुनाव में पार्टी समर्थित उम्मीदवार को जिताने की रणनीति बनाई जाएगी। इसी तरह नगरी क्षेत्र में पार्षदों और महापौर की पैनल बनाकर अंतिम रूप देने को कहा गया है।

कुल मिलाकर गांव से लेकर शहर तक जीत हासिल करने के लिए दोनों ही दल गर्मी की परवाह ना करते हुए दिन रात पसीना बहा रहे हैं। पहली कोशिश दोनों दलों की बेहतर उम्मीदवार मैदान में देने की है और जीत की उम्मीदों के लिए उम्मीदवार चयन पर पूरा फोकस बना हुआ है।

देवदत्त दुबे ,भोपाल ,मध्यप्रदेश 

Share this...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *