संस्कृति

कल से सबकी चाल बदलने वाली है

ये साल 2023 का अंतिम आलेख है। अंतिम इसलिए क्योंकि कल से दुनिया अपना साल बदलने वाली है ,कल से सबकी चाल बदलने वाली है। साल और चाल बदलने का ये क्रम नया नहीं है । जब अंग्रेजी कैलेंडर न था तब भी हम अपने पंचांग वाले कैलेंडर के साथ चाल और साल दोनों बदलते थे,फर्क सिर्फ इतना था कि पहले साल और चाल बदलने पर आज की तरह हंगामा नहीं होता था । आतिशबाजियां नहीं होतीं थी। होटल-सोटल आबाद नहीं होते थे।हमें अपने बचपन की याद है कि जब साल बदलती थी तो हम अपने गांव के समीप बहने वाली नदी में स्नान के लिए जाते थे । नए कपडे पहनते थे, मंदिर जाते थे और घर में नए अन्न,शाक के पकवान बनते थे ,हम साल के आखरी दिन आधी रात तक जागकर साल बदलने का इन्तजार नहीं करते थे,क्योंकि हमें पता होता था कि नया साल आएगा तो दबे पांव आएग। शोर-शराबा तो हम लोग करने लगे हैं। हमारा नया साल चैत्र मास की वर्ष प्रतिपदा पर आता है लेकिन जब से दुनिया में ये अंग्रेजी कैलेंडर मान्य हुया है हमारा हिन्दू पंचांग वाला पुराना साल पिछड़ गया है ,हालाँकि एक बार फिर से नागपुरवंशियों ने इस पुराने साल को नए तरीके से मनाने का श्री गणेश जरूर कर दिया है।बाद जाते हुए साल की भी करना है और आते हुए साल की भी । जाता हुआ साल हमें बहुत सी उपलब्धियां,बहुत सी खुशियां,बहुत से गम ,बहुत से जख्म भी देकर जा रहा है। ये साल ही है जो कभी लौट कर नहीं आता, पीछे मुड़कर नहीं देखता। हमने आजतक किसी साल को वापस आते हुए नहीं देखा । आप में से किसी ने देखा हो तो हमें अवश्य बताना। साल आता ही जाने के लिए है। हम भी इस धराधाम पर जाने के लिए ही आये है। हम इस धरती के मूल निवासी है लेकिन हमारी वापसी की तिथि भी तय है,पहले से तय है। अन्तर बस इतना है कि हमारे जिस्म पर अंग्रेजी दवाओं और खान-पान की वस्तुओं की तरह ‘ एक्सपायरी डेट ‘का टैग नहीं लगा। हम अपने निर्माता की इसी गलत की वजह से अपने आपको अजर -अमर समझने की गलती कर बैठते हैं और बहकने लगते हैं।
                                         साल 2023 में भी हमेशा की तरह हमें बहुत कुछ देकर भी जा रहा है और हमसे बहुत कुछ छीन कर भी ले जा रहा है। दुनिया ने ,हमने आपने जाते हुए साल में दुनिया में दो भीषण युद्ध भी देखे हैं। नरसंहार तो अनगिनत देख लिए लेकिन इन्हें रोकने में या टालने में हम नाकाम रहे। इसी साल हम चाँद पर भी पहुंचे। दुनिया की छोड़े तो हमने अपने देश में इस साल में जलता,झुलसता मणिपुर देखा तो अयोध्या में राम मंदिर बनते भी देखा। हमने विकास की और भी कदम बढ़ाये और विनाश की और भी। हम ‘ नौ दिन चले, लेकिन केवल अढ़ाई कोस ही। हमने मुहब्बत की दूकान भी खोली और नफरत की। हमने अपनी आँखों में भी धूल झौंकी और दुनिया की आँखों में भी। ये सिलसिला अनंत है ,आदि है ,अविस्मरणीय है।
साल में गिने-चुने 365 दिन होते हैं ,इन 365 दिन में हम कितना कुछ कर गुजरते हैं ये महत्वपूर्ण होता है । इन्हीं 365 दिनों में तरह -तरह के इतिहास लिखे जाते हैं ,तरह-तरह के कीर्तिमान बनाये और बिगाड़े जाते हैं।हम जीवन के हर क्षेत्र में कुछ न कुछ नया करने की कोशिश करते हाँ,किन्तु हमारी हर कोशिश कामयाब ही हो ये आवश्यक नहीं होता। राजनीति,इतिहास,समाज ,विज्ञान,अर्थ, सब साथ-साथ चलते हैं। कभी इन सबके बीच अद्भुद संतुलन होता है और कभी नहीं भी। हमारी प्रथमिकताएं बदलतीरहतीं है। हम मनुष्य हैं लेकिन साँपों की तरह अपना केंचुल बदलने का प्रयास करते हैं। यदि ये तब्दीली न हो तो सब कुछ उबाऊ लगने लगे।नए साल में हम जो बिगड़ा है उसे फिर से बनाने की बात कर सकते है। हम जंग से मुक्ति की प्रार्थना कर सकते है। हम नफरत से कोसों दूर रहने का संकल्प ले सकते हैं। ये सब हमारे हाथ में है। हमारे हाथ में सत्ता नहीं होती। सत्ता हम कुछ लोगों को चुनकर सौंपते हैं। लेकिन फिर हम लम्बी तानकर सो भी जाते है। बिगाड़ यहीं से शुरू होता है। हमें अपनी तमाम जरूरी क्षमताओं को पहचानकर उनका इस्तेमाल करने की आदत बनाये रखना चाहिए। भारत ने जाते हुए साल में बहुत कुछ पाया और खोया होगा लेकिन जो सबसे घाटे की बात हुयी वो ये कि हमने प्रतिकार करना छोड़ दिय। हमने यथास्थिति को स्वीकार करना आसान समझा। हम इसी का खमियाजा भी भुगत रहे हैं। हम भूल गए की हैं की अच्छा और बुरा सब कुछ हमारे हाथ में हैं ,लेकिन हम इसका ख्याल नहीं करते।बहरहाल साल जा रहा है,उससे जुडी हुई असंख्य स्मृतियाँ हमारे साथ रहने वाली हैं। हम रहेंगे तो बार-बार मिलेंगे,हर साल मिलेंगे। हमें मिलते-जुलते रहना होगा। अन्यथा कुछ नहीं बचेगा इस दुनिया में। इस दुनिया में जो खूबसूरत है,जो मन मोहक है ,जो सुखद है उस सबको बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है। हम फिर मिलेंगे,खुले दिल से मिलेंगे। हमें उम्मीद है की नया साल जाते हुए साल की तुलना में आप सभी के लिए और बेहतर साबित होगा।
राकेश अचल जी ,वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनैतिक विश्लेषक

⇑ वीडियो समाचारों से जुड़ने के लिए  कृपया हमारे चैनल को सबस्क्राईब करें और हमारे लघु प्रयास को अपना विराट सहयोग प्रदान करें , धन्यवाद।

Share this...
bharatbhvh

Recent Posts

खुरई ने सर्वाधिक प्रकरणों का निराकरण कर जिले में प्राप्त किया प्रथम स्थान

राजस्व महा अभियान 2.0  के तहत सागर जिले की खुरई तहसील ने सर्वाधिक प्रकरणों का…

2 days ago

सागर – शहर के 25 किलोमीटर की परिधि में बसों का संचालन होगा शुरू

बसों में लगे सीसीटीव्ही कैमरा एवं जीपीएस को आईसीसीसी से जोड़ने एवं आमजन की सुविधा…

2 days ago

चुनौतीपूर्ण समय में शिक्षकों को अपनी भूमिका का विस्तार करना होगा-कुलगुरु प्रो. नीलिमा गुप्ता

अध्यापक के धर्म, कर्म और मर्म को भारत ने ही विश्व में स्थापित किया है-…

2 days ago

तानाशाह की सनक 30 अधिकारियों को फासी पर टांगा

अपनी तानाशाही के लिये पूरी दुनिया में कुख्यात उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग…

3 days ago

जातिगत जनगणना पर संघ के मन की बात

जातिगत जनगणना का मुददा भारत में इन दिनो लगातार चर्चाओं में है कांग्रेस नेता राहुल…

4 days ago

सत्ता का गुलाम आखिर कौन ?

बहुत दिनों बाद एक ढंग का विषय मिला है । इसके लिए धन्यवाद उत्तरप्रदेश के…

6 days ago