पतंजलि मध्य प्रदेश पूर्व के प्रभारी श्री भगत सिंह जी द्वारा योग क्रिया को निरंतर करना खान-पान का विशेष ध्यान रखना एवं अपने से तनाव को दूर रखना आदि विषय पर योग क्रिया के साथ मार्गदर्शन दिया एवं आगामी 23 मार्च को होने वाले कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी इससे पूर्व डॉक्टर भानू राणा जी बहन एस वाजपेई जी मनोज जैन जी दीप प्रज्वलितकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया योगाभ्यास के बाद रंग पंचमी उत्सव मनाया गया अंत में पतंजलि के सह जिला प्रभारी श्री दामोदर प्रजापति जी की बहन श्रीमती मीरा प्रजापति (देवरी कलां )की आकस्मिक निधन हो जाने के कारण आज दो मिनट का मौन धारण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई
रंग पंचमी का योग और आध्यात्मिक महत्व प्रकाश डालते हुए भगत सिंह योगाचार्य ने योगाभ्यास कराते हुए कहा कि रंग पंचमी त्यौहार भारतीय संस्कृति का पर्व अधर्म पर सत्य की विजय का प्रतीक है। सभी मिलकर उत्सव मनाते हैं सात्विक ऊर्जा का संचार होता है ।यह पर्व नकारात्मक ऊर्जाओं को हटाकर सात्विक ऊर्जा को बढ़ाने का प्रतीक है। पंचमी तिथि का संबंध सूक्ष्म सकारात्मक ऊर्जा से होता है, जो ध्यान और साधना के लिए अनुकूल होती है। रंगों का आध्यात्मिक प्रभाव – योग और आयुर्वेद के अनुसार, प्रत्येक रंग का एक विशिष्ट आध्यात्मिक कंपन (वाइब्रेशन) होता है। इस दिन उड़ाए जाने वाले गुलाल और प्राकृतिक रंग सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं और मन में प्रसन्नता लाते हैं।चित्त की शुद्धि और आनंद – योग में, आंतरिक शुद्धि और आनंद का बड़ा महत्व है। रंग पंचमी पर हर्ष और उल्लास से मन की अशुद्धियाँ दूर होती हैं, जिससे व्यक्ति सहज रूप से ध्यान और साधना में प्रवृत्त हो सकता है। माया से परे जाने का प्रतीक – रंग पंचमी सांसारिक जीवन के रंगों में रमने और फिर उसे त्यागकर परम सत्य की ओर जाने का संदेश देती है। यह योग के वैराग्य तत्व को भी दर्शाती है, जहाँ भौतिक रंगों के बीच रहकर भी साधक अपनी आत्मा के शुद्ध स्वरूप को पहचानता है।भक्ति और साधना का पर्व – इस दिन कई स्थानों पर विशेष रूप से भक्ति संगीत, कीर्तन और ध्यान साधना की जाती है, जिससे व्यक्ति ईश्वर से और अधिक निकटता महसूस करता है।इस प्रकार, रंग पंचमी केवल रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि योग, साधना और आत्मिक आनंद को अनुभव करने का एक दिव्य अवसर है। पांच चक्रों से योगनिद्रा का व्यहारिक ज्ञान कराया। द्वितीय सत्र में योग शिक्षक मनोज जैन ने प्रणायाम कराते हुए प्राण साधना में आध्यात्मिक पथ पर प्रकाश डाला। बननाली सिंह ने बृज के भजन गाकर नृत्य करते हुए साधकों को मंत्रमुग्ध किया। प्रमुख रूप से डॉ भानु राणा पूर्व विधायक, दामोदर प्रजापति,दिनेश दुबे,डॉ संध्या गौतम, कपिल कुमार साहू, सविता सैनी,एसके सैनी, शैलेंद्र साहू बननाली सिंह राजपूत, काशीराम कोरी ,इंजी कैलाश पौराणिक , निलेश गोर, इंजी रमेश चौधरी, जगदीश परिहार ,सविता सैनी ,सविता रैकवार सुनील पॉल, रवि शंकर रजक, आनंद राय नमिता खरे आदित्य सिंह , के एस ठाकुर, रामस्वरूप जायसवाल, विजय विधवानी, विजय छाबड़ा, सहित अनेक योग साधक भाई बहन उपस्थित थे ।
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