शिक्षा

विश्वविद्यालय की कीर्तियात्रा में सहभागी बन डॉ गौर के प्रति कृतज्ञता के पुष्प अर्पित करें- कुलपति

महान दानवीर विधिवेत्ता एवं डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के संस्थापक सर डॉ हरीसिंह गौर की 154वीं जयन्ती के अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो नीलिमा गुप्ता ने सागर शहर के तीनबत्ती पहुँचकर डॉ गौर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और सभा को संबोधित कियाण्उन्होंने जागतिक पुरुषार्थ के कीर्ति स्तम्भ और बुन्देली संकल्प के अद्वितीय नायक डॉ सर हरीसिंह गौर की जयंती पर सभी नगरवासियों का अभिनन्दन करते हुए हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि आज का दिन बुन्देलखण्ड ही नहीं समूचे भारतवर्ष के लिए ज्ञान के संधान का दिन है। आज के ही दिन इस धरा.धाम पर डॉ गौर के रूप में ज्ञान.दान का अप्रतिम सूर्योदय हुआ था। जो आगे चलकर पूरे बुन्देलखण्ड की उज्ज्वल पहचान बन गया। उन्होंने डॉ गौर के जीवन.कर्म को रेखांकित करते हुए कहा कि डॉ गौर का जीवन और कर्म हम सबके लिए एक सबक है। वे पढ़ना चाहते थे एक महान संकल्प में बदलते हुए अपने सागर में विश्वविद्यालय के रूप में ज्ञान का एक महान स्थापत्य खड़ा कर दिया है। कहा जाता है कि उस समय सागर में स्याही तक नहीं मिलती थी। यहाँ के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए बाहर जाना पड़ता था। शैक्षिक दृष्टि से सागर अत्यंत पिछड़ा हुआ था। पर अपनी मातृभूमि के प्रति लगाव और प्रेरणा के चलते डॉ गौर ने अपनी समूची पूँजी का दान कर 1946 में विश्वविद्यालय की स्थापना कर अपने तरह का एक अभिनव कीर्तिमान रच दिया। आज हमारे पास अवसर हैए एक बड़ा और सफल उदाहरण है कि हम चाहें तो अपनी समस्याओं को संकल्प मेंए अभाव को समृद्धि में और हीनताबोध को सकारात्मकता में बदलने की प्रेरणा महामनीषी  गौर से ले सकते हैं। डॉ हरीसिंह गौर ने ज्ञान का जो एक पौधा रोपा था वह अब ज्ञान के एक विशाल कल्पवृ़क्ष में रूपान्तरित हो चुका है। परम्परानुसार शहर के तीनबत्ती से बैंड बाजे के साथ भव्य शोभायात्रा निकली जो प्रमुख मार्गों से होती हुई विश्वविद्यालय पहुँची इस दौरान शहर के नागरिकए जनप्रतिनिधिए विद्यार्थी और आमजन इस शोभायात्रा का हिस्सा बने शोभायात्रा का जगह.जगह स्वागत हुआ
गौर प्रांगण में हुआ मुख्य समारोह
महान दानवीरए विधिवेत्ता एवं डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के संस्थापक सर डॉ हरीसिंह गौर की 154वीं जयन्ती के अवसर पर विश्वविद्यालय के गौर प्रांगण में अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा डॉ गौर के तैल चित्र पर पुष्प अर्पण के साथ मुख्या समारोह प्रारम्भ हुआण् संगीत विभाग के छात्र.छात्राओं ने सरस्वती वंदना एवं गौर गीत की प्रस्तुति दीण् विशिष्ट अतिथियों के रूप में विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोण् संतोष कुमारए पूर्व छात्र एवं पूर्व निदेशक एण्एमण्डीण् हैदराबाद पी एस परिहारए पूर्व शिक्षक एवं मोतिहारी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोण् संजय श्रीवास्तव मंचासीन थेण् सारस्वत उद्‌बोधन विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोण् नीलिमा गुप्ता ने दियाण् कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं पूर्व आईपीएस कन्हैया लाल बेरवाल ने की गौर उत्सव के समन्वयक प्रो प्रदीप कुमार कठल ने गौर उत्सव.2023 का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया
डॉ गौर ने अविकसित क्षेत्र को शिक्षा का उपहार दिया . कुलाधिपति
विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कन्हैया लाल बेरवाल अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ गौर की जीवन यात्रा पर चर्चा करते हुए कहा कि डॉण् गौर शिक्षाविद के साथ.साथ एक महान समाज सुधारक भी थे। छुआछूत जैसी अमानवीय परंपराओं का विरोध किया बुंदेलखंड जैसे अविकसित क्षेत्र को शिक्षा का उपहार दिया। आज देश के कोने.कोने से विद्यार्थी यहां शिक्षा ग्रहण करने आते हैं। हम शिक्षकों का दायित्व है कि हम विद्यार्थियों को उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करें। जिस प्रकार डॉ गौर ने निजी संपत्ति से विश्वविद्यालय की स्थापना की उसी प्रकार यहां से शिक्षा प्राप्त छात्रों को उनका अनुसरण करना चाहिए। जीवन में आप जो भी सीखें उसे समाज के उत्थान के लिए प्रयोग करें। एक संस्कारवान विद्यार्थी के निर्माण के लिए उसे उत्कृष्ट शिक्षा दिया जाना अनिवार्य है।

 

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