राजू श्रीवास्तव: किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार….

राजू श्रीवास्तव: किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार….

मनोरंजन जगत से आज सुबह भारत के महान हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव की मृत्यु की दुखद खबर आते ही देष में षोक की लहर चल पड़ी । भारत के करोड़ो लोग राजू श्रीवास्तव के नये -पुराने गुदगुदाने वाले वीडियो को देखते हुए उन्हे सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए अपनी आंखो में आंसू लिये हुए है ,लेकिन यह आसू पहले की तरह लागतार हंसने के नही हैं ,  बल्कि उस कलाकार को खो देने के है जिसने हास्य विधा में एक नयी परंपरा की षुरूवात की थी। वह थी आम आदमी के दैनिक कार्य परेषानी, उत्सव , त्योहार और लगभग पूरी दिनचर्या को हास्य के रंग में रंगना ,और देष के एक एंसे बड़े मध्यमवर्ग की समस्याओं को हास्य के रूप में परोसकर दूसरे वर्ग के सामने लाना जो इन समस्याओं को लगभग काल्पनिक मानकर इन पर ठहाके लगाते है। बस यही उनकी हास्य की सबसे बड़ी खूबी थी जिससे एक मध्यमवर्गीय ग्रामीण परिवेश अपना जुड़ाव महसूस करता था तो एक सुविधा संपन्न इसे काल्पनिक ठिठोली मानकर ठहाके लगाता था।
कानपुर में सन 1963 में जन्में राजू श्रीवास्तव 20 वर्ष की आयु से ही हास्य विधा में कार्यरत थे हास्य कैरियर की शुरूवात में पहले मंचो पर बालीवुड कलाकारों की मिमक्री करते हुए लोगो का मनोरंजन किया फिर वालीवुड फिल्मों में भी छोटी – मोटी हास्य की भूमिकायें की लेकिन राजू श्रीवास्तव को असली सफलता मिली टेलीविजन पर प्रसारित स्टार वन के स्टैंड अप कामेडी सीरीज के लाफटर चेलेंज शो से ।
सन 2005 से 2008 तक लगातार चार सीरीज में आये कलाकारों में से यदि हर घर तक और समाज के प्रत्येक वर्ग तक पहुुच बनाने में कोई कलाकार सफल हुआ तो वह थे कानपुर से आये राजू श्रीवास्तव और इसमें भी कामेडी की बात यह है कि सर्वाधिक लोकप्रिय होते हुए भी राजू इस कामेडी शो के विजेता नहीं रहे । बस वो तो इस शो में लाये गये अपने अद्भुत प्रयोंगो से लोगो के दिलों पर राज करते रहे उन्हे गुदगुदाते  रहे और अपनी कामेडी के एंसे केरेक्टर रचे जो सदा अमर रहेंगे चाहे वो मुंबई शहर में रहकर अपने दोस्तो को कनपुरिया में बालीवुड के किस्से सुनाने वाला गजोधर हो या बेटी की शादी में परेशान बाप और भाई विनोद । राजू की कामेडी का प्रत्येक किरदार में समाज को मानो अपने घर , पड़ोस की छुपी हुई जिंदगी नजर आयी जिसे किसी के दूसरा नाम देकर सबके सामने ला दिया हो और वो भी इस अंदाज में कि  लोग अपनी  तमाम टेंसन , परेशानियों को भूलकर  सब ठहाके लगा रहे है ।

देश में हास्य विधा की इस अद्भुत अदा का नायाब कलाकार आज हमारे बीच नहीं रहा । पिछले महीने की नौ तारीख को जिम में वर्कआउट करते हुए राजू को दिल का दौरा पड़ा था वो तब से ही कोमा में थे डाक्टर्स तो पहले ही हार मान चुके थे लेकिन राजू श्रीवास्तव के नये पुराने वीडियो देखकर गुदगुदाते हुए करोड़ो लोगो की दुआओं ने उन्हे 40 दिन तक एक आसा से बांधा रखा लेकिन आज सुबह उनके निधन की खबर आते ही उनके हंसाने वाली तमाम यादों को याद करके देश के करोड़ों लोगो की आंख नम है । लगभग हर कोई गमगीन है और यदि आज भी कोई सबसे ज्यादा खुश और दूसरों के दर्द को खुद में समेटकर हंस रहा है तो वो सख्स है राजू श्रीवास्तव।

अभिषेक तिवारी

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