हमारा इतिहास : आईएएस अधिकारियों ने खिचड़ी खाने से मना किया

हमारा इतिहास : आईएएस अधिकारियों ने खिचड़ी खाने से मना किया

आईएएस अधिकारियों ने खिचड़ी खाने से मना किया अक्टूबर 2003 में दशहरे के समय उमा भारती ने प्रदेश के नौकरशाहों के लिए होटल लेकव्यू अशोका में खिचड़ी भोज का कार्यक्रम रखा। अधिकारी उमा भारती की तरफ से ऐसा आमंत्रण पाकर बड़े पशोपेश में पड़ गये। उनके सामने धर्मसंकट उत्पन्न हो गया क्योंकि मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह थे और चुनाव में अभी दो महीने बाकी थे। उमा भारती को बाद में समझ में आया कि उन्होंने राज्य की नौकरशाही को मुश्किल में डाल दिया है। इसलिए आखिरी वक्त पर भोज का कार्यक्रम निरस्त कर दिया। चुनाव जीतने के बाद निरस्त हुये भोज के कार्यक्रम को फिर सरकारी तौर पर प्रशासन अकादमी में आयोजित किया गया। इस बार नौकरशाहों ने बढ़-चढ़कर इसमें हिस्सा लिया। अब उन्हें ऐसा करने में दिग्विजय सिंह का कोई डर नहीं था, क्योंकि अब भोज का निमंत्रण मुख्यमंत्री का था ।
               बारहवीं विधानसभा के लिए 3 दिसम्बर 2003 को जब परिणाम आये तो भाजपा ने शहरी-ग्रामीण, जातियों, आय वर्ग एवं इलाकों के बंधनों को तोड़ते हुए 173 सीटों पर विराट विजय प्राप्त की। 230 सीटों वाली विधानसभा में केवल दो मुसलमान प्रत्याशी भोपाल से आरिफ अकील और बुरहानपुर से राष्ट्रवादी कांग्रेस के हामिद काज़ी जीते। दिग्विजय सिंह सरकार के ज्यादातर मंत्री चुनाव हार गये। मज़ेदार बात यह थी कि वे मंत्री चुनाव नहीं हारे जो दिग्विजय सिंह के विरोधी थे। भाजपा ने जिन 19 महिलाओं को टिकिट दिये थे उनमें से 15 विधायक बन गईं। सबसे ज्यादा 34 महिला विधायक दूसरी विधानसभा में थीं, तब सदस्यों की कुल संख्या 288 हुआ करती थी। उसके बाद आठवीं विधानसभा में 32 महिलायें चुनकर आईं पर तब सदस्य संख्या 320 हो चुकी थी। ज्यादातर समय महिला सदस्य संख्या एक से दो दर्जन के बीच झूलती रही।
वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनैतिक विश्लेषक
श्री दीपक तिवारी कि किताब “राजनीतिनामा मध्यप्रदेश” ( भाजपा युग ) से साभार ।

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