मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय कार्यवाहक अध्यक्ष मनोहर ममतानी एवं माननीय सदस्य राजीव कुमार टंडन ने तीन मामलों में संज्ञान लेकर संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है।
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने भोपाल शहर के शाहजहांनाबाद रेजीमेंट रोड पर सीवेज वाटर (गंदा पानी) लगातार बहते रहने और इससे फैल रही दुर्गंध से नागरिकों को रही भारी असुविधा पर संज्ञान लिया है। यह गंदा पानी सड़क पर इस वजह से बह रहा है कि सड़क के दोनों ओर बनी नालियां जाम हो चुकी हैं। गंदा पानी निकलने का कोई दूसरा रास्ता नहीं है। इस समस्या से नागरिक, दुकानदार, खरीददार, राहगीर सब परेशान हैं। क्षेत्रीय दुकानदारों ने शासन, प्रशासन, नगर निगम और जनप्रतिनिधियों को इस विकट समस्या से अवगत कराया, परंतु अबतक समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ है। मामले में आयोग ने नगर निगम कमिश्नर, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही का 15 दिन में प्रतिवेदन मांगा है।
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने जिला कलेक्ट्रेट विदिशा मे बीते मंगलवार को हुई एक घटना पर संज्ञान लिया है। घटना के अनुसार जनसुनवाई में एक मजदूर अपनी बेटी का लाड़ली लक्ष्मी योजना के प्रमाण पत्र में नाम सुधरवाने के लिये गुल्लक के पैसे लेकर अधिकारियों को रिश्वत के रूप में देने के लिये कलेक्ट्रेट पहुंच गया। जिले के हैदरगढ़ निवासी पीड़ित जसमन सिंह कुशवाह का कहना है कि उसकी बेटी को लाड़ली लक्ष्मी योजना का प्रमाण-पत्र तो मिला, पर इस प्रमाण पत्र में उसकी बेटी का नाम पलक कुशवाह के स्थान पर आरोशी कुशवाह लिख दिया गया है और नाम सुधरवाने के लिये वह पिछले पांच माह से यहां-वहां दौड़ रहा है। प्रमाण पत्र में नाम सुधारवाने के लिये आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने रूपये भी ले लिये, पर नाम अबतक नहीं सुधारा। इसीलिये वह अधिकारियों को रिश्वत देने के लिये अपनी गुल्लक के पैसे लेकर आया है। मामले में आयोग ने कलेक्टर तथा महिला एवं बाल विकास अधिकारी, विदिशा से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने मुरैना जिले में पुलिसकर्मी द्वारा दो दलित महिलाओं को पुलिस वाहन तक घसीटकर ले जाने की घटना पर संज्ञान लिया है। घटना मुरैना जिले के बारी का पुरा गांव की है। वीडियो वायरल होने पर यह घटना प्रकाश में आई है। वीडियो में यह दिखाई दे रहा है कि एक महिला अपने पुत्र को थाने न ले जाने की गुहार लगाते हुये पुलिसकर्मी के पैर पकड़ लेती है। इसमें महिला की रिश्तेदार भी उसका साथ देती है। पुलिसकर्मी महिलाओं से अपना पैर छुड़ाने की कोशिश किये बगैर उन्हंे उसी अवस्था में घसीटकर पुलिस वाहन तक ले जाता है और अंततः युवक को वाहन में बिठाकर ले जाता है। महिलायें चीखती-चिल्लाती हैं, पर पुलिसकर्मी पर कोई असर नहीं होता। दलित वर्ग से आने वालीं ये महिलायें किसी मामले में संदेही पाये गये युवक को शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न करने के आरोप में पुलिस थाने न ले जाने की गुजारिश कर रही थीं। परंतु पुलिस ने उनकी एक न सुनीं। मामले में आयोग ने पुलिस अधीक्षक मुरैना से जवाब-तलब किया है।
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