मप्र मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष श्री मनोहर ममतानी ने ‘‘तीन मामलों में संज्ञान’ लेकर संबंधितों से जवाब मांगा है।
भोपाल शहर के गांधी मेडिकल काॅलेज में जूनियर डाक्टर्स की आत्महत्या के दूसरे मामले में काॅलेज प्रबंधन को एक बार फिर सवालों के घेरे में ला दिया है। जीएमसी की जूनियर डाक्टर बाला सरस्वती की आत्महत्या के पीछे कंसलटेंट और सीनियर्स के व्यवहार, वर्कलोड और मानसिक तनाव को जिम्मेदार माना जा रहा है। इस मामले को लेकर मेडिकल छात्र लामबंद हो रहे हैं। जानकारी के मुताबिक डाक्टर सरस्वती पीजी फस्र्ट ईयर मंे बीमार हो गई थीं, जिससे वह कोर्स में अन्य साथियों से करीब छह महीने पीछे चल रही थीं। छात्रों ने बताया कि कंसलटेंट डाक्टर सरस्वती को थर्ड ईयर की परीक्षा और प्रैक्टिकल मंे शामिल नहीं होने दिया। चर्चा में यह भी है कि सीनियर्स ने थीसिस पर साइन करने के लिये अबाॅर्शन का दबाव बनाया था। इन सबसे डाक्टर सरस्वती मानसिक रूप से परेशान थीं। मामले में संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने डीन (अधिष्ठाता), गांधी मेडिकल काॅलेज, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर एक माह में जवाब मांगा है।
गंदे पानी की आपूर्ति करोंद निवासियों के लिये बनी बीमारियों की वजह
भोपाल शहर के जोन क्रमांक-17 के अंतर्गत उपनगर करोंद क्षेत्र मंे आने वाले पांच वार्डों के निवासी इन दिनों नगर निगम द्वारा प्रदाय किये जा रहे गंदे पानी की आपूर्ति से बेहद परेशान हैं, क्योंकि गंदे और बदबूदार पानी का उपयोग करने से वे बीमार हो रहे हैं। रहवासियों ने वार्ड के पार्षद से लेकर नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारियों से भी इस बात की शिकायत की, पर समस्या अब भी जस की तस बनी हुई है। मामले में संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने कमिश्नर, नगर निगम, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर प्रथमतः वार्ड क्रमांक 16 व 17 के सहायक यंत्रियों (एई) को उनके क्षेत्राधिकार के संबंध में स्थिति स्पष्ट करायें और इसके उपरांत गंदे पानी की आपूर्ति की समस्या के समाधान के संबंध में की गई कार्यवाही के बारे में 15 दिन मंे जवाब मांगा है।
गढ्ढे में डूबने से दो बच्चों की मौत
मंदसौर जिले के बुआखेड़ी गांव में स्टेडियम निर्माण के लिये खोदे गये दस फीट गहरे गढ्ढे में भरे पानी में डूबने से दो बच्चों की मौत हो गई। गढ्ढे के पास से गुजर रहे कुछ ग्रामीणांे ने बच्चों के कपड़ो से उनकी पहचान की। मृत बच्चों के परिजनों ने स्टेडियम निर्माण करने वाली एजेंसी पर लापरवाही का आरोप लगाकर कहा है कि इतना गहरा गढ्ढा खोदकर निर्माण एजेंसी ने उसे खुला ही छोड़ दिया, ठेकेदार पर सख्त कार्यवाही होनी चाहिये। माामले में संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर एवं एसपी, मंदसौर से प्रकरण की जांच कराकर उपेक्षा के लिये दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध की गई कार्यवाही तथा मृत बालकों के वैध वारिसों को शासन के नियम/योजनानुसार देय मुआवजा राशि प्रदाय के संबंध में की गई कार्यवाही के बारे में एक माह में जवाब मांगा है।
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