भोपाल। प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के 18 जिलों के 46 नगरीय निकाय कि चुनाव के लिए मंगलवार को मतदान संपन्न हुआ 30 सितंबर को मतगणना के बाद पता चलेगा कि दिग्गज नेताओं ने चुनाव के दौरान जो वादे किए और जीत के जो दावे किए जा रहे हैं उनमें कितना दम है।
दरअसल, 46 नगरीय निकाय के चुनाव प्रदेश के राजनीतिक वातावरण को समझने के लिए जहां लिटमस टेस्ट की तरह माने जा रहे हैं वहीं नेताओं के क्षेत्र में हुए यह चुनाव दिग्गजों के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं थे। प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री गोपाल भार्गव के गृह नगर गढ़ाकोटा नगरीय प्रशासन मंत्री के विधानसभा क्षेत्र खुरई नगर पालिका, मंत्री विजय शाह के क्षेत्र हरसूद, केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के इलाकों डिंडोरी, मंडला, पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के क्षेत्र छिंदवाड़ा, पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया के क्षेत्र झाबुआ सहित भाजपा कांग्रेस के उन विधायकों के क्षेत्र में भी चुनाव थे। जिनकी अपने क्षेत्र में अच्छी पकड़ मानी जाती है। यही कारण कि इन छोटे-छोटे चुनाव में बड़े-बड़े नेताओं ने कसरत की और इसका नतीजा यह भी रहा कि मतदाताओं की सुबह से ही मतदान केंद्रों में भीड़ जमा हो गई थी और शाम 5:00 बजे तक 72% से भी ज्यादा मतदान हो गया। दो – चार स्थानों पर छुटपुट शिकायतों को छोड़कर मतदान शांतिपूर्ण संपन्न हुआ।
बहरहाल, चुनाव कोई भी हो आसान नहीं होता यह बात हर बार साबित होती है। इसके बावजूद भी चुनाव जीतने के बाद अधिकांश नेता यह भूल जाते हैं कि उन्हें 5 साल बाद फिर जनता के बीच जाना है बहुत कम ऐसे नेता होते हैं जो जनता और क्षेत्रवासियों के बीच राजनैतिक नहीं बल्कि पारिवारिक रिश्ता बनाते हैं और आत्मीय संबंधों के चलते हर परिस्थिति में चुनाव जीतते रहते हैं। रहली विधानसभा क्षेत्र से लगातार आठ बार चुनाव जीते पूर्व नेता प्रतिपक्ष एवं मध्य प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री गोपाल भार्गव के गृह नगर गढ़ाकोटा नगरपालिका के भी चुनाव थे। वोट डालने के बाद पत्रकारों से चर्चा करते हुए भार्गव ने भी यही कहा कि हमारे नगरवासियों से आत्मीय संबंध है इस कारण कभी कोई दिक्कत हमें नहीं आती है। सभी जगह भाजपा जीतेगी हालांकि जिस तरह से इन छोटे चुनाव में दिग्गज नेताओं ने पसीना बहाया है उसके बाद लगभग सभी को समझ में आ गया होगा। 2023 विधानसभा के चुनाव की राह आसान नहीं है।
छिंदवाड़ा को अपना अभेद गढ़ मानने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनके बेटे सांसद नकुल नाथ को भी इन चुनावों में अच्छी खासी कसरत करनी पड़ी। लगातार 7 बार विधानसभा का चुनाव जीत रहे मंत्री विजय शाह को भी दिन रात एक करना पड़ा। केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को गली-गली घूमना पड़ा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा लगातार चुनाव क्षेत्रों में दौरे किए सभाएं की और कार्यकर्ताओं को उत्साहित किया है। कोई भी दिग्गज नेता इन चुनावों को हल्के में नहीं ले पाया क्योंकि छोटे चुनाव से बड़ा संदेश जो निकलता है और यह संदेश 2023 के लिए वातावरण बनाने में महत्वपूर्ण रोल अदा भी करेगा। इस कारण किसी ने किसी प्रकार की रिस्क नहीं ली मंत्री भूपेंद्र सिंह के विधानसभा क्षेत्र खुरई नगर पालिका में कांग्रेश पहले ही दौर में मैदान छोड़ चुकी थी जिसके कारण 21 पार्षद निर्विरोध चुने गए हैं और बाकी में भी भाजपा प्रत्याशियों के ही जीत की संभावनाएं जताई जा रही है।
कुल मिलाकर 18 जिलों के 46 नगरी निकाय के चुनाव परिणाम 30 सितंबर को जब आएंगे तब पता चलेगा कि प्रदेश का आदिवासी वर्ग किधर जा रहा है और दिग्गजों के क्षेत्र में मतदाता क्या सोच रहा है।0 दिग्गजों के दावे और वादो में कितनी दम है इसका भी खुलासा हो जाएगा।
देवदत्त दुबे भोपाल मध्यप्रदेश