आज भारत सरकार को धन्यवाद देने के साथ ही उसकी निंदा करने का भी दिन है । धन्यवाद इसलिए की उसने पूरे पांच साल लूटने के बाद जनता को डीजल और पेट्रोल के दामों में दो रूपये लीटर की छूट देने का ऐलान किया है और निंदा इसलिए की सरकार ने इलेक्टोरल बांड के जरिये पांच साल में 60 अरब का चन्दा ईडी की नोंक पर वसूल लिया। ये दोनों ही बातें चूंकि तथ्यात्मक हैं इसलिए इन्हें लेकर आप खुद फैसला कर सकते हैं कि आपको आने वाले दिनों में लुटेरी सरकार चाहिए या उसका कोई विकल्प।इसमें कोई दो राय नहीं की हमारी सियासत का ढांचा लोकतान्त्रिक है लेकिन इसमें लूर-खसोट की पूरी गुंजाइश है। पिछले 77 साल में जो भी सत्ता में आया उसने लोक कल्याण के साथ जितना बना देश और देश की जनता को लूटा। किसी ने कम लूटा तो किसी ने ज्यादा लूटा। किसी ने लूटने में उदारता दिखाई तो किसी ने लूटने में पूरी निर्ममता का प्रदर्शन किया। केंद्रीय चुनाव आयोग की वेब साइट पर दर्शाये गए आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि आजादी के बाद कोई सबसे बड़ी लूट मौजूदा सत्ता ने की है। भाजपा की और मोदी की गारंटी वाली सरकार ने पांच साल में इलेक्टोरल बांड के जरिये दस-बीस लाख नहीं बल्कि पूरे 60 अरब रूपये देश के उद्योगपतियों से वसूल किये और वो भी ईडी [प्रवर्तन निदेशालय ] की नोंक पर। आप कहेंगे कि ईडी [प्रवर्तन निदेशालय] कोई चाकू या तलवार तो नहीं है जो उसकी नोंक होती हो, लेकिन हकीकत ये है कि इस संस्था की नोक इतनी पेनी है कि जिस की भी गर्दन पर रखी गयी उसने मन से या बेमन से इलेक्टोरल बांड खरीदकर भाजपा के खाते में डाल दिए। लूट का ये नायाब तरीका कांग्रेस छह दशक तक देश पर राज करने वाली कांग्रेस भी नहीं खोज पायी थी। केंचुआ की वेब साइट पर आयी 762 पृष्ठों की जानकारी का सार ये है कि भाजपा ने पांच साल में कुल 60 अरब रुपये से अधिक के इलेक्टोरल बॉन्ड को भुनाया है। इस मामले में दूसरे नंबर पर तृणमूल कांग्रेस है, जिसने 16 अरब रुपये से अधिक के इलेक्टोरल बॉन्ड को भुनाया है। राजनीतिक दलों के लिए सबसे ज्यादा इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली कंपनी फ़्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज़ है। इस कंपनी ने कुल 1368 बॉन्ड खरीदे, जिसकी क़ीमत 13.6 अरब रुपये से अधिक रही।
लुटेरों की सरताज भाजपा अब यदि रसोई गैस पर 100 रूपये की और पेट्रोल -डीजल पर आपको दो रूपये लीटर की छूट दे रही है तो ये कोई अहसान नहीं बल्कि आने वाले आम चुनावों में आपके अनमोल वोट की सबसे सस्ती कीमत है। अब यदि देश की भोली जनता इस हकीकत को नहीं समझती तो उसका मालिक भगवान ही हो सकता है, कोई राजनीतिक दल नहीं। राजनितिक दल तो चोर-चोर मौसेरे भाई हैं, कोई छोटा लुटेरा तो कोई बड़ा लुटेरा। लूटना सभी के डीएनए में शामिल है। देश की जनता का दुर्भाग्य है कि उसे इन्हीं लुटेरों के गिरोहों में से अपने लिए चौकीदार, सेवक, संरक्षक और भाग्य विधाता चुनना है।मेरा या किसी दुसरे लेखक/पत्रकार का अनुभव मुमकिन है कि कम हो किन्तु रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास के अनुभव से ही हमें सबक लेना चाहिये। खासतौर पर सत्ता के चुनाव के समय के आचरण को देखकर। चुनाव के मौसम मे आखिर जनता के ऊपर उपहारों/रियायतों की बरसात क्यों हो रही है? सरकार इतनी विनयवत क्यों है? क्यों झुक रही है? इस संदर्भ में गोस्वामी तुलसीदास इशारों में कहते हैं कि –
नवन नीच की अति दुखदाई
जिमि धनु, अंकुश, उरग, बिलाई
मतलब साफ़ है। वे उदाहरण सहित समझा गए हैं कि जैसे धनुष, अंकुश, सांप और बिल्ली झुकती है तो दुःख ही देती है अर्थात जिसके स्वभाव में नीचता है वो जब भी झुकेगा आपके ऊपर घात करेगा, इसलिये ऐसे सभी तत्वों से सावधान रहना चाहिये। हमारी सत्ता में धनुष, अंकुश, सर्प और बिल्ली किसी न किसी रूप में विद्यमान है। आज यदि सत्ता रहमदिली दिखा रही है तो समझ लीजिये कि आने वाले दिनों में यही सत्ता आपके ऊपर कहर ढाने वाली है। कहर का रूप कुछ भी हो सकता है। इसे पहचानना आसान नहीं है। ये कभी धाराओं के रूप में होगा तो कभी अध्यादेशों के रूप में। कभी एक देश, एक विधान, एक निशान, एक भाषा, एक वेश के रूप में होगा तो कभी किसी दूसरे रूप में। फिलहाल तो चुनाव इस विनय की वजह हैं।आप कल्पना कीजिये कि जिस सरकार ने पांच साल में अकेले इलेक्टोरल बांड से 60 अरब कमा लिए वो सरकार महंगाई के जरिये आपको भी लगातार लूटती रही और अब जब आम चुनाव सिर पर हैं तो आपको पेट्रोल-डीजल पर दो रूपये लीटर की छूट देकर या रसोई गैस सिलेंडर पर सौ रूपये की छूट देकर बरगलाना चाह रही है। सत्तारूढ़ दल ने चुनावी चंदे से जुटाई गयी रकम के जरिये देश भर में अपनी पार्टी के लिए 450 आधुनिक कार्यालय बना लिए, लेकिन भवन विहीन स्कूलों कि फ़िक्र नहीं की। अस्पताल बनाने को प्राथमिकता नहीं दी। बहरहाल आम चुनाव के जरिये क़ानून हमें और आपको एक अवसर देता है कि हम इस लूट-खसोट करने वाली संस्था से अपना हिसाब बराबर करें या इस लूट-खसोट को लगातार जारी रखें !इलेक्टोरल बांड के जरिये की गयी लूट के जरिये धन वसूली के मामले में तीसरे नंबर पर अखिल भारतीय कांग्रेस समिति है जिसने 14 अरब रुपये से अधिक के इलेक्टोरल बॉन्ड को भुनाया है। इसके बाद भारत राष्ट्र समिति ने 12 अरब रुपये और बीजू जनता दल ने 7 अरब रुपये से अधिक के इलेक्टोरल बॉन्ड को भुनाया है। इस मामले में पाँचवें और छठे नंबर पर दक्षिण भारत की पार्टियां डीएमके और वाईएसआर कांग्रेस (युवासेना) रहीं। इन पार्टियों के बाद तेलुगु देशम पार्टी, शिवसेना, राष्ट्रीय जनता दल, आम आदमी पार्टी, जनता दल (सेक्युलर), सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी, जनसेना पार्टी, अध्यक्ष समाजवादी पार्टी, बिहार प्रदेश जनता दल (यूनाइडेट), झारखंड मुक्ति मोर्चा, शिरोमणि अकाली दल, ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम, शिवसेना, महाराष्ट्रवादी गोमन्तक पार्टी, जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ़्रेंस, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी का नाम शामिल है।
ये आंकड़े मैंने आपको इसलिए बताये ताकि आपको फैसला करने में मदद मिले। आपसब तो केंचुआ कि वेब साइट को खंगाल नहीं सकते। चुनावी साल में राहतों की बरसात में भीगकर जनता अपने दुःख-दर्द को भूलकर क्या फैसला करती है ये तो जनता जाने लेकिन एक बात जरूर है की देश आजदी के बाद के सबसे गंभीर दौर से गुजर रहा है। देश को गरीबी, बेरोजगारी, बीमारी और शिक्षा के तमाम लक्ष्यों के साथ ही धर्मान्धता से भी जूझना पड़ रहा है। देश में बीते 77 साल में ये सबसे सुर्ख साल है जिसमें धर्मान्धता को सत्ता ने पोषित किया है। सत्ता पोषित धर्मान्धता देश की सबसे बड़ी दुश्मन है, अन्यथा धर्म तो सनातन है। इतना विषैला पहले कभी न था। धर्म ने इससे पहले कभी समाज को तोड़ने का काम नहीं किया था, न मुगलों के जमाने में और न अंग्रेजों के जमाने में।
व्यक्तिगत विचार- आलेख
श्री राकेश अचल जी ,वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनैतिक विश्लेषक मध्यप्रदेश ।
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