पाकिस्तान में आर्थिक संकट

पाकिस्तान में आर्थिक संकट

पिछले आठ साल में भारत और पड़ोसी पाकिस्तान के लिए यादगार रहेगा।भारत की विश्व गुरु बनने की पिपासा ने जनता की रोटी मंहगी कर दी जबकि पाकिस्तान में कुशासन और कट्टरता रोटी पर भारी पड़ी। लेकिन हम अपने जख्म भुलाकर पाकिस्तान की दुर्दशा देखकर खुश हैं क्योंकि हमारे पास तुलना करने के लिए एक कमजोर पासंग है। पाकिस्तान के आर्थिक हालात पहले से खराब हैंकिंतु पिछले 8 साल का दौर सबसे ज्यादा खराब हैं. खबरें हैं कि पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 7.8 अरब डॉलर तक गिर चुका है. पाकिस्तान की करेंसी भी भारी-भरकम गिरावट में है. वहां का एक रुपया डॉलर के मुकाबले 227.8 रुपये तक पहुंच चुका है. डांवाडोल अर्थ व्यवस्था के चलते भारत का रुपया भी लगातार कमजोर हुआ लेकिन अब भी हमारे एक रुपये की कीमत पाकिस्तानी रुपये के मुकाबले लगभग तीन गुनी है ।जो 2.81 रुपये है. वहीं एक अमेरिकी डॉलर की कीमत भारतीय रुपये के मुकाबले 81.44 रुपये है. कहने के लिए 2 दिसंबर 2022 को खत्म हुए हफ्ते में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 1.02 अरब डॉलर की बढ़ोतरी के साथ 561.162 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है। भारत की ही तरह पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार कम हो रहा है. पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ 4.3 अरब डॉलर रह गया है। अर्थात पाकिस्तान के पास सिर्फ़ 3-4 सप्ताह के आयात का ही फंड बचा है। बदनसीब पाकिस्तान में कुशासन के अलावा आसमानी,सुल्तानी आफतें भी कम नहीं आईं। पिछले साल (2022) में बाढ़ ने भीषण तबाही मचाई. बाढ़ के असर से 1700 से अधिक लोग मारे गए और 3.3 करोड़ लोग प्रभावित हुए । कहते हैं कि पाकिस्तान को इस बाढ़ से 30 अरब डॉलर का आर्थिक नुक़सान भी हुआ।

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लोकतांत्रिक रूप से चुने गए प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के विश्वास मत हारने के बाद पद छोड़ने से पाकिस्तान में गंभीर राजनीतिक संकट भी पैदा हुआ है। ये संकट आज भी बरकरार है और इसी वजह से संकट लगातार गहराता जा रहा है, हालांकि सऊदी अरब ने बिरादराना आधार पर पाकिस्तान को फौरी तौर पर अच्छा खासा रियायती कर्ज दे दिया है। पाकिस्तान में मंहगाई ठीक वैसी ही है जैसी हिंदुस्तान में है। फर्क सिर्फ इतना है कि हमारी जनता के सब्र का बांध टूटा नहीं है। जनता धर्म की अफीम चाटकर जुंग में है। राजनीतिक स्थिरता की कीमत भारत की जनता जितना चुका रही है,उसका कोई हिसाब नहीं है। केंद्र में स्थिरता के लिए राज्य सरकारों को लगातार अस्थिर किया जा रहा है। पिछले आठ साल में यही सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है। पाकिस्तान में महंगाई का आकलन इससे लगाया जा सकता है कि देश में सरसों तेल की कीमत 374.6 प्रति लीटर से 532.5 रुपये, दूध की कीमत 114.8 प्रति लीटर से 149.7 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच चुकी है। जबकि, देश में प्याज के भाव 220 पाकिस्तानी रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए हैं। पाकिस्तान में कमर तोड़ महंगाई से आम जनता परेशान हैं। संयोग से पाकिस्तान के साथ हमारा भाईचारा नहीं है।इक्का दुक्का कमजोर पड़ोसियों को छोड़ हमारी सबसे अनबन हे। हमारे किसान, नौजवान , वरिष्ठ जन सब हलकान है। लेकिन खुशनसीब हैं हम कि हमारा हाल पाकिस्तान जैसा नहीं है।अगर हमारी सरकार 80 करोड़ लोगों को मुफ्त की रोटी देना बंद कर दे तो हमें पाकिस्तान बनने में कितनी देर लगेगी। हमारे प्रधानमंत्री जी ने अपने पहले कार्यकाल में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री के साथ खूब गलबहियां की थीं लेकिन उनकी कोशिश उसी तरह नाकाम रही जैसी अटल जी की रहीं थीं।अटल जी कारगिल झेलना पड़ा था और मोदी जी को पुलवामा।अब भारत का रुख सख्त है। पाकिस्तान इस सख्ती पाकिस्तान में अगर आटा 160 रुपए किलो है तो हम भी 40 रूपए किलो बिक रहा है।खाने के तेल की कीमत कमोवेश पाकिस्तान के बराबर है।उनका रुपया हमारे रुपए की तुलना में जो हैसियत रखता है उस अनुपात में हमारा आटा दाल भी गीला ही है। दुश्मन ही सही लेकिन पाकिस्तान की दुर्दशा हमें भी दुखी करती है।हम इस दुरावस्था से खुश नहीं हो सकते। क्योंकि पाकिस्तान की दुरावस्था से हम भी प्रभावित हुए नहीं रह सकते। वैसे भी पाकिस्तान आतंकवाद का गढ़ है और उसके पहले शिकार हम ही हैं।

व्यक्तिगत विचार-आलेख-

श्री राकेश अचल जी  जी ,वरिष्ठ पत्रकार  एवं राजनैतिक विश्लेषक मध्यप्रदेश  । 

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