प्रख्यात सिने अभिनेता मुकेश तिवारी का विद्यार्थियों के साथ संवाद कार्यक्रम
डॉ. हरीसिंह गौर की 153वीं जयंती के अवसर पर गौर उत्सव और सागर गौरव दिवस के अंतर्गत विश्वविद्यालय एवं सागर जिला प्रशासन के संयुक्त तत्त्वावधान में प्रख्यात सिने अभिनेता मुकेश तिवारी का ’विद्यार्थियों के साथ सीधा संवाद’ कार्यक्रम विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में आयोजित किया गया. कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. बलवंतराय शांतिलाल जानी की विशिष्ट उपस्थिति रही।
विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि डॉ गौर को उनके योगदान के लिए हम एक दिन या एक सप्ताह नहीं परन्तु जीवन भर याद करेंगे एवं उनके उद्देश्य को पूरा करेंगे। इस विश्वविद्यालय से हर क्षेत्र के विज्ञान से लेकर सिने जगत के महान कलाकार निकले हैं। गौर उत्सव भी विवि सभी की भागीदारी से मनाया जा रहा है, जिसमे केंद्रीय विद्यालय के बच्चे, महिला क्लब, विवि के कर्मचारी एवं विद्यार्थी सभी के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित हुए। उन्होंने कहा कि मुकेश तिवारी जी जैसे एलुमनाई विवि को अपना मान कर इससे जुड़े हैं। आशा है कि आज के विद्यार्थी भी ऐसे ही इस विवि से हमेशा जुड़े रहेंगे। डॉ आशुतोष एवं संतोष सोहगौरा ने मुकेश तिवारी के साथ संवाद किया. डॉ गौर के बारे में अपने विचारों को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि डॉ गौर के चिंतन की संवेदनशीलता को समझने की आज हमें ज़रूरत है जिन्होंने उस समय, भारत के एक ऐसे क्षेत्र में विवि की स्थापना की जहाँ न कोई उद्योग लगाने की इच्छा रखता था न ही अपनी बेटी की शादी करवाने की. उन्होंने यहाँ के युवाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने हेतु महादान दिया। उनके दृष्टिकोण में डॉ गौर ऐसे व्यक्ति थे जिन्हे अपने सपनों की खूबसूरती पर पूरा यकीन था। डॉ गौर के प्रेरणादायक व्यक्तित्व के बारे में उल्लेख करते हुए कहा कि डॉ गौर सभी के जीवन का अभिन्न अंग होना चाहिए। उनका व्यक्तित्व सिर्फ एक दिन को याद करने के लिए नहीं है. उन्होंने विवि प्रशासन से अनुरोध किया कीया कि डॉ गौर के ऊपर एक लाइट एंड साउंड शो बनना चाहिए जिसे सप्ताहांत में सुनाया जाए ताकि उनके योगदान को लम्बे समय तक लोग याद रख पायें।
सिने जगत से सम्बंधित बातों को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि ‘चाइनागेट’ में नेगेटिव रोल करने के बाद उनके पास १-२ साल तक काम नहीं था पर यह सभी कलाकारो के संघर्ष का हिस्सा होता है। उन्होंने बुंदेली सिनेमा पर अपने विचार रखते हुए कहा कि बुंदेलखंड में सिनेमाघरों की कमी है जिससे इसका प्रदर्शन कम होता है इस कारण बुंदेली सिनेमा आगे नहीं बढ़ पा रहा है। अधिकांश चर्चित हिट फिल्मों में बोली का ही प्रयोग किया जाता है क्योंकि बोली से भाव अभिव्यक्त होते हैं जबकि भाषा सिर्फ विद्वता दर्शाती है। उन्होंने कहा कि मुंबई जैसी नगरी मैंने अपने बुंदेली मानुष को जगाये रखा, क्यूंकि वह जब भी पहली बार स्क्रिप्ट पढ़ते हैं उस को बुंदेली लहज़े में पढ़ते हैं। विद्यार्थियों ने उनसे कई सवाल किये छोटे शहर के लोग जिनके पास संसाधन की कमी है वह कैसे आगे बढ़ें, पुराने एवं नये सिनेमा में क्या अंतर है जिससे उनके हिट या फ्लॉप होना निर्धारित होता है, कॉमेडी रोल को बखूबी निभाने के राज़, अपने पंसीदा किरदार, कॉलेज के दौरान किसी कि रैगिंग की है क्या, कोई किरदार आप के व्यक्तित्व पर हावी हुआ है, रोमांटिक किरदार की चाह रखना आदि शामिल थे।
इस विवि की कौनसी छवि उनको याद आती है, जहां से वह पढ़े है के जवाब में उन्होंने कहा कि इस विवि की छवि उनके लिए एक परिवार की तरह है न की एक विवि की तरह। इस विवि के लोग संर्वागीण विकास की ओर केंद्रित रहते थे। उन्होंने बताया की जब वे गणित विषय में फेल हुए तब उन्हें समझ आया कि उन्हें कला संकाय से जुड़ना चाहिए। सिनेमा के नए स्वरूप और इसकी बढती बाजारवादी प्रवृत्ति पर भी उन्होंने विचार व्यक्त किये.विश्वविद्यालय के छात्र कलाकारों के साथ मुकेश तिवारी ने बधाई नृत्य भी किया. फिल्म चाइनागेट का चर्चित डायलाग भी सुनाया. मुकेश तिवारी की आवाज़ में हरिसिंह गौर की गाथा का संक्षिप्त आडियो प्रसारण भी किया गया. अंत में रैपिड फायर सत्र भी हुआ जिसमें उनके पसंदीदा चीजों और नापसंद चीजों के बारे में प्रश्न पूछा गया. शहर के पत्रकारों, पूर्व छात्रों और अनेक गणमान्य नागरिकों ने भी उनसे कई सवाल किये।
संचालन डॉ. संजीव सर्राफ ने किया. आभार प्रदर्शन डॉ राकेश सोनी ने किया. कार्यक्रम में सागर जिला कलेक्टर दीपक आर्य, पुलिस अधीक्षक तरुण नायक भी अतिथि के रूप में उपस्थित रहे. सागर नगर के अनेक गणमान्य नागरिक, पत्रकार, समाजसेवी, जिला प्रशासन के कई अधिकारी, पूर्व और वर्तमान छात्र, शिक्षक, कर्मचारी सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।