वर्तमान राजनैतिक परिदृष्य में लोकतंत्र के लिये आवश्यक माने जाने वाला मजबूत विपक्ष लगभग नदारद है कभी देश की सबसे बड़ी पार्टी रही कांग्रेस इस समय सर्वाधिक मुश्किलों के दौर से गुजर रही है शुक्रवार से उदयपुर में कांग्रेस का चिंतन शिविर शुरू हुआ है। देश के साथ साथ प्रदेश के कांग्रेसियों को भी उदयपुर से उत्तरों की प्रतीक्षा है जो कांग्रेस का पुराना वैभव लौटा सके।
दरअसल राष्ट्रीय स्तर पर यदि सोनिया गांधी सक्रिय हैं तो प्रदेश में भी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कांतिलाल भूरिया भी सक्रिय हैं। युवाओं को भी सक्रिय किया जा रहा है। गुरुवार को बेरोजगारी के खिलाफ राजधानी भोपाल में युवक कांग्रेस ने तपती दोपहरी में प्रदर्शन किया लेकिन जिस तरह की सियासी मुश्किलों में कांग्रेस पार्टी फंसी हुई है। उससे निकलने का रास्ता उदयपुर का चिंतन शिविर दिखा पाएगा इसको लेकर प्रदेश के कांग्रेसी प्रतीक्षारत है क्योंकि प्रदेश में हाल ही में त्रिस्तरीय पंचायती राज और नगरी निकाय के चुनाव की संभावना बढ़ गई है और 2023 के विधानसभा चुनाव साथ ही 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर भी प्रदेश कांग्रेश चिंतित दिखाई देती है।
बहरहाल राजस्थान के उदयपुर शहर में कांग्रेस पार्टी के लगभग 400 चुनिंदा नेता 3 दिन तक नव संकल्प चिंतन शिविर में चिंतन करेंगे। जिसमें स्वाभाविक रूप से चुनावी चिंता जरूर रहेगी प्रदेश के भी नेता इस चिंतन शिविर में भाग ले रहे हैं। मध्यप्रदेश एक ऐसा राज्य है जहां कांग्रेस की उम्मीदें 2018 के विधानसभा के चुनाव के बाद बढ़ गई है जब 15 वर्षों की भाजपा सरकार को सत्ता से हटाकर कांग्रेस सत्ता में आई थी लेकिन आपसी अंतः कलह के चलते 15 महीनों में ही सरकार से बाहर भी हो गई और प्रतिशोध की ज्वाला में जल रहे कांग्रेसी 2023 में सरकार बनाने के लिए मेहनत भी कर रहे हैं। और एकजुट भी हो गए लेकिन जिस तरह से भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व और पार्टी की रणनीति का फायदा भाजपा को मिलता है। कांग्रेस को ऐसा नहीं मिल पाता क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी में G- 23 के नाम पर गुटबाजी दिखाई देती है और पार्टी का नेतृत्व भी स्थाई अध्यक्ष की तलाश में हैं। ऐसे में राजनैतिक निर्णय लेने में पार्टी देर कर देती है जिसका खामियाजा पार्टी को अन्य राज्यों की तरह मध्यप्रदेश में भी भुगतना पड़ता है।
उदयपुर में कांग्रेस आत्मचिंतन आत्ममंथन और आत्म अवलोकन करेगी। इसी उम्मीद में कांग्रेसी टकटकी लगाए उदयपुर की ओर देख रहे हैं देश के अन्य राज्यों में भाजपा का मुकाबला कांग्रेस के साथ.साथ क्षेत्रीय दलों से होता है लेकिन मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है जहां कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला होता आया है। यहां तीसरे विकल्प की अब तक गुंजाइश नहीं बन पाई है प्रदेश में अब तक धार्मिक आधार पर और जाति के आधार पर भी ध्रुवीकरण नहीं होता रहा है। इस कारण भी कांग्रेस को लगता है कि मध्य प्रदेश में यदि कांग्रेसी एकजुट होकर चुनाव लड़े तो उनके लिए अच्छी संभावनाएं हैं। उदयपुर के चिंतन समय मध्य प्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ पर विशेष फोकस किया जाना है क्योंकि 2018 के विधानसभा चुनाव में इन्हीं राज्यों ने कांग्रेस को नए सिरे से ऑक्सीजन दी थी।
कुल मिलाकर देश की तरह ही मध्यप्रदेश में भी कांग्रेश के सामने मुश्किलें कम नहीं है एक तरफ भाजपा का जहां मजबूत संगठन काम कर रहा है अनुभवी मुख्यमंत्री लगातार सामाजिक सरोकार की जुड़ी योजनाओं के माध्यम से भाजपा की मजबूती के लिए मेहनत कर रहे हैं और पार्टी के कुछ नेता हार्डकोर हिंदुत्व की लाइन पर काम कर रहे हैं तब कांग्रेस इन सब चुनौतियों से पार पा के सरकार बनाना है और उदयपुर का पार्टी का चिंतन शिविर प्रदेश कांग्रेस की कितनी मदद कर पाता है यह तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा।
देवदत्त दुबे, भोपाल- मध्यप्रदेश