वर्तमान राजनीतिक दौर में कामयाबी सबसे बड़ी योग्यता के रूप में उभर कर आई है। जो भी नेता को जो दायित्व सौंपे गए वो पूरा कर रहा है, उसे ही आगे कर्णधार बनाया जा रहा है। भाजपा में मोदी और शाह की जोड़ी कामयाबी के कारण ही शिखर पर बनी हुई है तो “भारत जोड़ी यात्रा” के माध्यम से राहुल गांधी ने भी पार्टी में अपनी स्थिति सुधारी है और लगभग यही हाल राज्यों का है जहां कामयाव आगे किए जा रहे है या फिर राष्ट्रीय नेतृत्व आगे आकर कमान संभाल रहा है। दरअसल, बदलते वक्त के साथ चुनौतियां भी बदलती रहती है। एक समय था जब सीधे सज्जन ईमानदार व्यक्तियों को पार्टी बुलाकर टिकट देती थी और विधानसभा लोकसभा में भेजती थी लेकिन जैसे-जैसे प्रतिस्पर्धा बढ़ती गई, दावेदार बढ़ते गए, राजनीतिक दलों मैं टिकट देने की मापदंड भी बदलती रहे। नेतृत्व भी अब दलों को ऐसा चाहिए जो दमखम वाला हो जो विपरीत परिस्थितियों में भी चुनावी नैया पार लगा सके। साम, दाम, दंड, भेद में पारंगत हो। सत्तारूढ़ दल भाजपा में मोदी और शाह ने जो राह दिखाई है इस कसौटी पर राज्यों में भी नेतृत्व को मौका दिया जा रहा है और यदि कसोटी पर राज्य का नेतृत्व खरा नहीं उतर रहा है तो स्वयं राष्ट्रीय नेतृत्व उन राज्यों की चुनावी कमान अपने हाथ में ले रहा है
प्रदेश में 2023 के लिए उल्टी गिनती शुरू हो गई है और 2024 की शुरुआत में ही दोनों प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस अपनी टीम दुरुस्त कर लेना चाह रहे हैं इसके लिए 2022 के आखिरी महीनों में लगातार कसरत होती जा रही है सत्तारूढ़ दल भाजपा में पिछले कुछ महीनों से प्रदेश के नेताओं में सक्रियता सावधानी विशेष तौर पर देखी जा रही है कहीं कोई चूक ना हो जाए इसका बहुत ध्यान रखा जा रहा है प्रदेश के जो भी केंद्र सरकार में मंत्री हैं सभी के व्यवहार में परिवर्तन महसूस किया जा रहा है और प्रदेश के मंत्रियों में तो खामोशी का आलम है क्योंकि गुजरात फार्मूला लागू होने की चर्चाएं इतनी हो चुकी है कि कब क्या हो जाए कोई नहीं समझ सकता जबकि राष्ट्रीय नेतृत्व हर राज्य के लिए अलग-अलग फार्मूला और अलग-अलग कसौटी तय करता रहा है उनकी सबसे बड़ी कसौटी कामयाबी है किंतु परंतु जैसे बहाने सुनने के आदी नहीं है और 2018 की तरह कोई रिस्क नहीं लेना चाहते यही कारण है कि हर पहलू को सुधारा जा रहा है चौथी बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी पैटर्न बदल रहे हैं आजकल सभाओं में एक जगह खड़े होकर भाषण नहीं देते बल्कि किसी क्लास टीचर की तरह पूरे मंच पर घूम घूम करघूम कर संवाद स्थापित करने की कोशिश कर रहे और प्रशासन में कसावट लाने के लिए अधिक कर्मचारियों को दंडित कर रहे हैं और तुरंत निर्णय ले रहे हैं प्रदेश में 2023 के लिए उल्टी गिनती शुरू करने का अभियान भी चला रहे हैं।
भाजपा प्रदेश अध्य विष्णु दत्त शर्मा भी पार्टी संगठन को बूथ तक मज करने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं। प्रदेश प्रभ मुरलीधर राव, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रका क्षेत्रीय संगठन मंत्री जामवाल जिस तरह से प्रदेश मथ रहे है उससे प्रदेश में पार्टी को 2023 के लिए गंभीरता को समझा जा सकता है। वहीं दूसरी ओर विपक्षी कांग्रेस में भी नगरीय निकाय, पंचायती राज विधानसभा के सूत्र के मूल्यांकन के आधार पर नई गठित करने की तैयारी हो रही है। जिलों में जिलाध्यक्ष और प्रदेश पदाधिकारियों में भी परिव करके पार्टी नए साल में नए रूप में आने के लिए ये है क्योंकि 2018 की तरह उसे 2023 में भी कामयाबी मिलने की पूरी उम्मीद है ।
देवदत्त दुबे
वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनैतिक विश्लेषक मध्यप्रदेश
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