मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने चार मामलों में संज्ञान लिया है। आयोग के माननीय कार्यवाहक अध्यक्ष श्री मनोहर ममतानी ने संज्ञान लेकर संबंधित विभागाधिकारियों से समय-सीमा में जवाब मांगा है।
मप्र मानव अधिकार आयोग ने भोपाल शहर में स्थित पुलिस कार्यालयों में रैम्प की सुविधा नहीं होने से दिव्यांगजनों को कार्यालय में प्रवेश करने में होने वाली परेशानी के संबंध में प्रकाशित एक मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। खबर के मुताबिक डीसीपी (ट्रेफिक) कार्यालय में एक भी रैम्प नहीं है। पुलिस मुख्यालय में एक रैम्प है वह भी सिर्फ एक भवन में। जबकि केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 2016 में पारित दिव्यांगजनों के मानव अधिकार अधिनियम में यह स्पष्ट प्रावधान है कि हर सार्वजनिक भवन में दिव्यांगजनों की सुविधा के लिए रैम्प की सुविधा अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। मामले में आयोग ने पुलिस कमिश्नर, भोपाल एवं मुख्य अभियंता, लोक निर्माण विभाग, भोपाल को प्रकरण की जांच कराकर दिव्यांगजनों के हित के लिए अपेक्षित सुविधाओं की व्यवस्था कराकर एक माह में प्रतिवेदन देने को कहा है।
मप्र मानव अधिकार आयोग ने भोपाल जिले के ढ़ाई सौ वन कर्मचारियों को दो महीने से वेतन नहीं मिलने की खबर पर संज्ञान लिया है। राजधानी परियोजना प्रशासन (सीपीए) के खात्मे पर सरकार ने भले ही सालभर पहले मुहर लगा दी, लेकिन इसमें कार्यरत् वन विभाग के कर्मचारियों के विलय का पेंच फंस गया है। ढाई सौ वन कर्मचारियों को इसके चलते दो महीने से वेतन नहीं मिला। जबकि सीएम के स्पष्ट आदेश थे, कि दीवाली के पहले वेतन भुगतान करें। राजधानी परियोजना प्रशासन (सीपीए) 20 अगस्त 2021 को खत्म कर राज्य सरकार ने यहां के वन अमले को 31 मार्च 2022 को वन विभाग में समाहित करने का आदेश दिए। इस बारे में प्रक्रिया के साथ फाइल सामान्य प्रशासन विभाग में अटकी हुई है। वहां से आदेश और नोटिफिकेशन के बाद ही वन कर्मचारी बन पाएंगे। प्रक्रिया के समय को लेकर वन अधिकारियों के पास स्पष्ट जवाब नहीं है। मामले में आयोग ने अतिरिक्त मुख्य सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग, मप्र शासन, मंत्रालय एवं डीएफओ, राजधानी परियोजना प्रशासन, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।
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मप्र मानव अधिकार आयोग ने गुना जिले के कुंभराज थानांतर्गत अज्ञात चोरों द्वारा एक व्यक्ति की तीन दर्जन बकरा-बकरियां चोरी होने की खबर पर संज्ञान लिया है। घटना को एक महीने होने के बावजूद अभी तक पुलिस ने कोई भी कार्यवाही नहीं की। जिससे नाराज प्रार्थी और उसके परिजनों ने कलेक्ट्रेट में हुई जनसुनवाई में पहुंचकर फरियाद लगाई। फरियादी चैनसिंह ने बताया कि उनके परिवार के जीवन उपार्जन का एकमात्र साधन पशुपालन है। कस्बे में अन्य अमीर लोगों के यहां कोई घटना होती है, तो पुलिस 24 घंटे कार्यवाही कर देती है। हमारी तो कहीं भी सुनवाई तक नहीं हो रही है। बमुश्किल पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। लेकिन उसके बाद कोई भी कार्यवाही नहीं की। मामले में आयोग ने पुलिस अधीक्षक, गुना से प्रकरण की जांच कराकर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।
मप्र मानव अधिकार आयोग ने बैतूल जिले में एक छात्रा को जूते की माला पहनाकर घुमाये जाने की घटना पर संज्ञान लिया है। बैतूल जिले के भीमपुर ब्लाॅक के दामजीपुरा क्षेत्र में बालिका छात्रावास में पांचवी की छात्रा पर 400 रूपए चोरी का आरोप लगाकर उसका मुंह काला कर जूतों की माला पहनाकर छात्रावास में घुमाए जाने का मामला सामने आया है। ग्रामीणों ने अधीक्षका पर छात्रा को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। मामले में आयोग ने कलेक्टर, बैतूल से प्रकरण की जांच कराकर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।
समाचार शाखा भोपाल
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