मध्यप्रदेश में होने वाले 2023 के विधानसभा चुनाव संभवतः अब तक के सबसे ज्यादा कांटे की टक्कर होने वाले है इसीलिये दोनो प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस ने चुनावों से बहुत समय पहले ही अपनी तैयारी शुरू कर दी है। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भी मध्यप्रदेश में होने वाले चुनावों को 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों के गणित के हिसाब से इस बाद ज्यादा महत्वपूर्ण मान रहा है क्योकि देश में पिछले दो लोकसभा चुनावों में जिन प्रदेशोें से भाजपा ने अच्छी खासी बढत बनायी थी वहां अब तक के समीकरण भाजपा के खिलाफ है बिहार महाराष्ट पंजाब जैसे राज्यों में बिना पुराने सहयोगियों एवं गठबंधन के भाजपा को नुकसान होना तय है इसीलिये वह उत्तर भारत की अपनी थोकबंद सीटों पर कोई भी जोखिम नहीं उठाना चाहती ।
खासतौर पर मध्यप्रदेश में जहां कमलनाथ सरकार गिरने के बाद से ही कांग्रेस और कमलनाथ विधानसभा चुनावों में जीत के लिये जमीनी तैयारी में लगे है और सिंधिया के भाजपा में आने के बाद से गुटों में बटी भाजपा को कमजोर करने के प्रयास जारी है। इसीलिये भाजपा के दो शीर्ष नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने उज्जैन और ग्वालियर के कार्यक्रम में शिवराज और सिंधिया दोनो की जुगलबंदी करवाकर नेतृत्व परिर्वतन की अटकलों पर विराम लगाते हुए विधानसभा चुनावों की पिच तैयार की । मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ लगातार एंसे भाजपा नेताओं पर नजर बनाये है जो पार्टी में उपेक्षित या नाराज है। और कांग्रेस का पूरा जोर उपचुनाव में उसके हांथ से निकली लगभग 30 साीटों पर है जहां कांग्रेस से जीते प्रत्याशियों ने सिंधिया के साथ भाजपा सरकार बनवायी थी एंसे क्षेत्रों में भाजपा के नये और पुराने कार्यकर्ताओं मे अब तक वह समरसता नहीं आ पायी है और भाजपा नये और पुराने कार्यकर्ताओं में पूरी तरह बटी हुई है । मसलन अभी बीते सप्ताह मध्यप्रदेश के राजस्व एवं परिवाहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के एक पुराने कार्यकर्ता और जिला किसान अध्यक्ष ने जब विधानसभा चुनावों में अपनी दावेदारी जताई तो आनन फानन में उन्हें पहले तो अध्यक्ष पद से हटा दिया गया और दूसरे ही दिन उन्हे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया । परिणामस्वरूप उपेक्षित और निर्वाचित नेता ने पत्रकार वार्ता कर भाजपा में अपने 30 साल पुराने कार्यकर्ता होने की दुहाई देते हुए जहाँ पुराने भाजपा कार्यकर्ताओं की उपेक्षा के आरोप लगाए वहीँ संगठन, सरकार और मंत्री पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए आने वाले चुनावों में परिणाम भुगतने की धमकी दी ।
यह वाक्या विधानसभा चुनावों के पहले उपचुनाव वाले विधानसभा क्षेत्रों मेे आम होने वाला है पूर्व मुख्यमंत्र कमलनाथ भी इसी का फायदा उठाकर इन क्षेत्रों में अपने दौरे कर रहे है। और कांग्रेस की सरकार फिर बनाने का दावा करते हुए किसान कर्ज माफी और पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की प्रभावी बात भी कर रहे है। टसल के होने वाले इन चुनावों में उपचुनाव वाले क्षेत्रों में नये और पुराने भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच तारतम्य बनवाना जहां भाजपा के लिये सबसे बड़ी चुनौती है तो कांग्रेस के लिये सुहानुभूति के साथ साथ प्लस प्वाइंट है।