मध्यप्रदेश – भोपाल – देवदत्त दुबे
देश के दो प्रमुख राजनैतिक दल कांग्रेस और भाजपा के लिये 2024 के आमचुनाव की क्या अहमियत है यह इन चुनावों के फाईनल से पहले मुख्य राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों से समझा जा सकता है मध्यप्रदेश में मिशन 2023 को फतह करने की तैयारियों में जुटे दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस के नेताओं की छटपटाहट वह फीडबैक बढ़ा रहा है जिसमें दोनों ही दलों के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है और 2018 के विधानसभा चुनाव का परिणाम भी हर वक्त एक अलार्म की तरह काम कर रहा है जो दोनो ही दलों को अपनी की गई पुरानी गलतियों को न दोहराने की याद दिला देता है यही कारण है कि दोनों दलों में एकता और सक्रियता दिखाने की होड़ शुरू हो गई है जिससे कि कार्यकर्ताओं में जोश जुनून जगाने के लिये यह संदेश दिया जा सके कि अबकि प्रदेश में सरकार अपनी ही बनेगी।
दरअसल देश और प्रदेश में जिस तरह की राजनीतिक परिस्थितियां बन रही है उसको देखते हुए कोई भी दल 2023 के चुनाव परिणामों के प्रति निश्चिंत नहीं हो पा रहा है और अतिरिक्त प्रयास करने पर जोर दे रहा है इसके लिए एक तरफ जहां फीडबैक लिया जा रहा है सर्वे कराए जा रहे हैं कार्यकर्ताओं की मजबूत टीम तैयार की जा रही है। वहीं दोनों ही दलों में अनुभवी नेताओं की पूंछ परख बढ़ गई है जो अब तक हाशिए पर पड़े हुए थे । क्योंकि 2023 का चुनाव दोनों ही दलों के लिए करो या मरो का संदेश है और 2018 का चुनाव परिणाम दोनों ही दलों के लिए एक समान रूप से उम्मीद बनाने वाला है।
सत्तारूढ़ भाजपा पिछले बार की तरह इस बार अति आत्मविश्वास में कोई निर्णय नहीं लेना चाहती यही कारण है कि सत्ता और संगठन ने अपनी रणनीतिक सक्रियता को इस कदर बढ़ा दिया है जैंसे प्रदेश में अभी – कभी चुनाव हो । इसी तारतम्य में 22 अप्रैल को भाजपा के रणनीतिकार और केंद्रीय मंत्री अमित शाह के दौरे को लेकर पार्टी में सनसनी है । एक तरफ जहां जंबूरी मैदान में तैयारियों का जायजा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने लिया वहीं दूसरी ओर अंदरूनी तौर पर तैयारियां की जा रही हैं वजह है कि गृहमंत्री अमित शाह 2 घंटे के लिए भाजपा कार्यालय पहुंच रहे हैं इस दौरान वे संगठन की तैयारियों और सरकार के बारे में अलग.अलग फीडबैक देंगे साथ ही चुनिंदा नेताओं के साथ बैठक करके चुनाव की तैयारियों का रोडमैप भी देखेंगे।
वहीं दूसरी ओर प्रमख विपक्षी दल कांग्रेस के खेमे राष्टीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से प्रदेश के नेताओं की लगातार हुई मुलाकातों और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के प्रदेश के चुनाव में भूमिका को लेकर प्रदेश के दिग्गज कांग्रेसी नेताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की जिसमें कमलनाथ के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया विशेष रूप से उपस्थित रहे। बैठक में इन नेताओं ने भाजपा से मुकाबले के लिये आगामी कार्यक्रम तय किये तो पार्टी में एकता का संदेश देते हुए प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी और कलह की खबरों को विराम दिया।
कुल मिलाकर एक तरफ जहां मौसम में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी पड़ रही है वहीं दूसरी ओर सियासत में भी पारा दिन प्रतिदिन ऊपर चढता जा रहा है जिस प्रकार का फीडबैक दोनों दलों को मिल रहा है उसके हिसाब से पार्टी नेता आगे बढ़ रहे हैं कांग्रेस में सबसे बड़ा फीडबैक यही था कि जब प्रदेश में पार्टी नेता ही एक नहीं है तो कार्यकर्ता क्या करे ? इसी को दूर करने के लिए पार्टी नेता एकता का संदेश दे रहे हैं वहीं भाजपा में ओवरकॉन्फिडेंस की स्थिति है जिसे समय रहते धरातल पर लाने के लिए प्रयासों को गति दी जा रही है।