नये वर्ष की शुरूवात में पांच राज्यो के विधानसभा चुनावों में भले ही एक बार फिर कोरोना की लहर का साया मंडरा रहा हो , चुनाव की तारीख नियत न हो लेकिन माहौल देखकर यह तय है कि पिछले चुनावों से कोरोना की मिलीभगत के बाद भी चुनावों का टलना असंभव है एंसे में उत्तरप्रदेष में चुनावी घमासान अभी से ही चरम पर है समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेस यादव की विजय रथ यात्रा में जुटती भीड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तरप्रदेष के सघन दौरो से एक बात तय है कि उत्तरप्रदेष चुनाव भाजपा के लिये कितने महत्वपूर्ण है । प्रधानमंत्री अपने लगभग हर दौरे में विकास कार्यो का शिलान्यास और विकास की बांते करने के साथ साथ पुरानी सरकार पर तंज करना भी नहीं भूलते है अभी तक मोदी के जितने भी दौरे उत्तरप्रदेष में हुए है उन्होने इसे धर्म से जोड़ने की कोशिष की है राममंदिर निर्माण, बाबा विश्वनाथ कोरिडोर जैसे हिंदू अवचेतन के सतयुगी सपने जहां धरातल पर है तो मथुरा समेत ऐसे कई मुददे है जिनका सामने आना बाकी है भाजपा इन सबको जहां जनता की आंखो के सामने रख बाकी सब मुददे तुच्छ साबित करना चाहती है तो समाजवादी पार्टी और विरोधी दल किसी भी प्रकार से भाजपा को हिंदुत्व या धर्म के अखाड़े में नहीं उलझना चाहते यही कारंण है कि कांग्रेस से प्रियंका गांधी हो या समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव या आम आदमी पार्टी से संजय सिंह सभी चौतरफा उत्तरप्रदेष में कानून राज , लखीमपुर खीरी जैंसे घटनाओं के साथ साथ कोरोना काल की दूसरी लहर में हुए तांडव की खौफनाक यादों को जनता के जहन से नहीं मिटने देना चाहते । लेकिन इन सभी दलों की ओर से की जा रही सर्तकता की कसर भाजपा के अप्रत्यक्ष सहयोगी कहे जाने वाले राजनैतिक दल एआईएमआईएम के प्रमुख असौबुददीन औवेसी करते हुए नजर आ रहे है । इन चुनावों में मुस्लिम वोटो के बंटवारे को लेकर औवेसी की प्रासंगिकता तो पहले से ही थी फिर राजभर के साथ गठबंधन की खबरों ने एक नये समीकरण के साथ इसे और अधिक मजबूती प्रदान की लेकिन राजभर की पार्टी का गठबंधन समाजवादी पार्टी के साथ होने के बाद औवेसी अपनी ही दम से एंसे बयान और माहौल बनाते हुए दिखाई दे रहे है जिससे प्रदेष में चुनावी माहौल में ध्रुवीकरण हो सके हाल ही में उनके द्धारा दिया गया बयान आने वाले समय में चुनावी माहौल का एक नमूना मात्र है कानपुर की एक सभा में औवेसी ने कहा हमेशा योगी मुख्यमंत्री नहीं रहेगा और हमेशा मोदी प्रधानमंत्री नहीं रहेगा। हम मुसलमान वक्त के तिमार से खामोश जरूर हैं मगर याद रखो हम तुम्हारे जुल्म को भूलने वाले नहीं हैं। हम तुम्हारे जुल्म को याद रखेंगे। अल्लाह अपनी ताकत के जरिए तुम्हारी अंतिम को नेस्तनाबूद करेंगे और हम याद रखेंगे हालात बदलेंगे जब कौन बचाने आएगा तुमको जब योगी अपने मठ में चले जाएंगे मोदी पहाड़ों में चले जाएंगे जब कौन आएगा हम नहीं भूलेंगे।
अब जरा सोचिये अभी तो भाजपा के बड़े बयानवाीर मैदान में आये भी नहीं है वो तो लोहे के गर्म होने की प्रतीक्षा में अपने जुबान के हथौड़े को उठाये बैठै है तो चुनावी मुददे का शिलान्यास करते हुए ओवेसी के दिये गये इस बयान के क्या मायने है और एक बहुसंख्यक आबादी का इस पर क्या प्रभाव पडेगा और भविष्य की चिंता और असुरक्षा की अनहोनी आषंका में जीते आम आदमी का सीधा सा मनोविज्ञान इस बयान को सिर्फ बदले और डर के रूप में स्वीकार करेगा और जो बात भाजपा के नेता प्रत्यक्ष रूप से कहने से बचते है वही बात ओबेसी के बयान पर पलटवार कर कह पायेंगे एक बड़ी आबादी की ओर से धर्म रक्षक बन आंगे आयेंगे आंख दिखाएंगे, आम हिंदू को सांत्वना और सुरक्षा का एहसास करायेंगे और ऐंसा हुआ भी बयान के तुरंत बाद देष भर से भाजपा के बड़े नेतओं ने जहां ओबेसी के बयान की मंशा के माध्यम से हिंदु आबादी को चेताया तो योगी और मोदी को हिंदु अस्तित्व की एकमात्र ढाल के रूप में दिखाने में भी कोई कसर नहीं छोडी ।
एक बात तय है कि विकास और इतिहास की बांतो से शुरू हुई उत्तरप्रदेष की चुनावी यात्रा आने वाले समय में हिंदुत्व के हाईवे से होकर ही गुजरनी है सारे विरोधी दल, जातीय समीकरण, प्रियंका गांधी, अखिलेस यादव जनता के सामने लाख सुषासन,प्रशासन,कोरोना, कानून, किसान ,लखीमपुर चिल्लायें पर हिंदुत्व की वेदी पर होने वाले इस विराट हवन में जब तक औवेसी जैसे नेता अपना होम देते रहेंगे तब तक सार्थक मुददे पर मतदान होना लगभग असंभव होगा।