संभावित चुनावों को लेकर भाजपा और कांग्रेस में कसरत शुरू

संभावित चुनावों को लेकर भाजपा और कांग्रेस में कसरत शुरू

प्रदेश में नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायती राज के संभावित चुनावों को लेकर भाजपा और कांग्रेस में कसरत शुरू हो गई है। टिकट बांटने का क्राइटेरिया तय किया जा रहा है क्योंकि एक अनार सौ बीमार  की स्थिति है। दोनों ही दलों के लिए आसान नहीं है टिकट वितरण करना।

दरअसलए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने रिव्यू पिटिशन दायर की है जिसके संबंध में आज सुप्रीम कोर्ट कोई दिशा निर्देश दे सकता है लेकिन यदि चुनाव हुए तो उनकी तैयारियों को लेकर दोनों दल तैयारियों में जुट गए हैं क्योंकि यह चुनाव 2023 के विधानसभा के चुनाव के पहले सेमीफाइनल के रूप में देखे जा रहे हैं। यही कारण है कि दोनों दल इन चुनाव को लेकर गंभीर हैं कांग्रेस के अधिकांश नेता जिनको निर्णय लेना है वह उदयपुर के चिंतन शिविर से लौटकर अब तैयारियां शुरू कर रहे हैं जबकि सत्तारूढ़ दल भाजपा सरकार के स्तर पर तैयारियों को गति दे रही है।

बहरहालए सोमवार को भाजपा के प्रदेश कार्यालय में बैठकों का दौर चलता रहा नगरीय निकाय चुनाव संचालन समिति की बैठक भी हुई और एक कोर ग्रुप की बैठक भी हुई जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहानए प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्माए केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमरए ज्योतिरादित्य सिंधिया और संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा विशेष रूप से उपस्थित थे। इस बैठक में महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई जिसमें यह भी चर्चा विशेष रूप से हुई कि चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के लिए क्राइटेरिया क्या हो जीतने की योग्यता के साथ.साथ अन्य पहलुओं पर भी विचार किया गया। मसलनए तेरे दृ मेरे समर्थक को टिकट देने की सिफारिश नहीं चलेगी। इसी तरह नेताओं के परिवारजनों को भी चुनाव लड़ने से दूर रखने की कोशिश की जाएगी। केवल जहां जरूरी होगा वहीं पर टिकट दिया जाएगा। पार्टी की चिंता सभी 16 नगर निगम और 98 नगर पालिका अध्यक्षों को जीतने की है। आज प्रदेश में प्रभार जिलों में मंत्री जाएंगे और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे। पार्टी को नगरीय निकाय चुनाव में जीत हासिल करने की रणनीति बनाएंगे।

संगठन के स्तर पर लगातार बैठकों का सिलसिला जारी है और नगरी निकाय चुनाव के लिए सभी क्षेत्रों में चुनाव प्रभारी भी घोषित कर दिए गए हैं। हाल ही में सीएम हाउस में मंत्रियों की बैठक हुई थी जिसमें मंत्रियों से प्रभार जिले में और स्थानीय जिले में पार्टी उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने को कहा गया है। विधायकों से यहां तक कहा गया है कि जिस किसी के विधानसभा क्षेत्र में पार्टी हारेगी उनके विधानसभा चुनाव में टिकट भी कट सकते हैं।

पार्टी और सरकार द्वारा भाजपा विधायक और मंत्रियों को जीत का लक्ष्य देने के बाद उन विधायकों और मंत्रियों के चेहरों की रंगत उड़ गई है जो अब तक फीलगुड में थे और 23 के चुनाव दूर मानकर अपनों से दूरी बनाए हुए थे कार्यकर्ताओं ने और पार्टी पदाधिकारियों ने जिस तरह से पिछले दिनों पार्टी नेताओं को इन विधायकों मंत्रियों की हकीकत बताई थी तब से पार्टी ने और भी सख्त रवैया अब तैयार कर लिया है। यही कारण है कि अब ऐसे विधायक और मंत्री क्षेत्रों में सक्रिय हो गए हैं और अपनों की पूछ दृ परख करने लगे हैं।

कुल मिलाकर संभावित नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायती राज के चुनाव राजनीतिक दलों के लिए ही नहीं विधायकों के लिए भी करो या मरो की स्थिति से सामना करा रहे हैं। वहीं चुनाव लड़ने के इच्छुक टिकट के दावेदारों के अरमानों पर दलों द्वारा तय किए जा रहे क्राइटेरिया भी पानी फेर सकते हैं क्योंकि यह चुनाव दोनों ही दलों के लिए इतने महत्वपूर्ण हो गए हैं जिसमें जीतने की योग्यता और क्षमता ही प्राथमिकता में रहेगा ना कि तेरा मेरा अपना पराया ना नातेदार ना मित्र पार्टी सभी तरह के आकलन के बाद प्रत्याशी घोषित करेगी।

देवदत्त दुबे, भोपाल -मध्यप्रदेश 

Share this...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *