चार साल पहले घर बसाने वाली 32 साल की सरगम कौशल का कौशल प्रणम्य है।प्रणम्य इसलिए कि उसने 63 देशों की विवाहिता महिलाओं की सौंदर्य प्रतियोगिता में भारत के लिए विश्व सुंदरी का खिताब जीता। दरअसल हम ख्वाब विश्व गुरु बनने का देख रहे हैं, लेकिन हमारे ख्वाब अभी अधूरे हैं।सरगम के ख्वाब पूरे हो चुके हैं, इसलिए हम उसका अभिनन्दन कर रहे हैं। भारत को चाहिए तो कोहिनूर हीरा लेकिन कोहिनूर मिल नहीं पा रहा। कोहिनूर किसी प्रतियोगिता से हासिल होने की चीज होती तो शायद अब तक सरगम जैसी कोई महिला कोहिनूर को जीत लाती। लेकिन सौंदर्य शास्त्र और राजनीति शास्त्र दो अलग विषय हैं। राजनीति रुलाती है और सौंदर्य सुखानुभूति कराता है। भारत ही नहीं वल्कि दुनिया में बहुत से देश पुरुष प्रधान हैं।इन देशों में सौंदर्य की अपनी -अपनी परिभाषाएं हैं, मान्यताएं हैं किन्तु एक बात सामान्य है कि सौंदर्य की पूजा सब जगह की जाती है, फिर समाज चाहे प्रगतिशील हो या रूढ़िवादी।गोरा हो या काला।पढ़ा -लिखा हो या अनपढ़।खुला समाज हो पर्दे वाला समाज।
सरगम कौशल ने भारत के लिए 21 साल बाद विश्व सुंदरी का ये प्रतिष्ठित खिताब जीता है। मिसेज इंडिया पेजेंट के ऑफिशियल इंस्टाग्राम हैंडल पर इसकी अनाउंसमेंट की गई है। सरगम कौशल से पहले 21 साल पहले 2001 में डॉ. अदिति गोवित्रीकर ने ये खिताब जीता था।
विश्व सुंदरी 32 साल की सरगम कौशल जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हैं, उन्होंने इंग्लिश लिट्रेचर में पोस्ट ग्रेजुएशन की है। सरगम विशाखापट्टनम में बतौर टीचर भी काम कर चुकी हैं। सरगम ने 2018 में शादी की थी, उनके पति इंडियन नेवी में है आपको बता दूं कि मिसेज वर्ल्ड दुनिया का पहला ऐसा ब्यूटी पेजेंट है, जिसे शादीशुदा महिलाओं के लिए बनाया गया है। इसकी शुरुआत 1984 में हुई थी। पहले इसका नाम मिसेज अमेरिका था, बाद में मिसेज वुमन ऑफ द वर्ल्ड कर दिया गया था। साल 1988 में इसका नाम मिसेज वर्ल्ड पड़ा। पहला मिसेज वर्ल्ड खिताब जीतने वालीं महिला श्रीलंका की रोजी सेनायायाके थीं। भारत में आज जब फिल्म पठान ने नायिका के अंग वस्त्रों के रंग और आकार को लेकर संग्राम चल रहा है ऐसे में सरगम कौशल की उपलब्धि उन अमानुषो के मुंह पर एक तमाचा है जो स्वयंभू सौंदर्य रक्षक बने हुए हैं।इन सौंदर्य रक्षकों के लिए नारी अब भी सजावट की एक चीज है। वे उसे और किसी नजरिए से देखने को राजी नहीं है। भारत इन दिनों विश्व स्तर पर बनाए जाने वाले तमाम सूचकांकों में लगातार फिसल रहा है जहां उसे शीर्ष पर होना चाहिए। खुशी हो, स्वास्थ्य हो,गरीबी हो, महिला उत्पीडन हो या अल्पसंख्यकों से पक्षपात।कयी सूचकांक तो ऐसे हैं जिनमें बांग्लादेश और पाकिस्तान तक हमसे आगे हैं। संतोष की बात है कि सौंदर्य बोध के इस सूचकांक न सही स्पर्धा में 62 देशों में शीर्ष पर हैं। इस उपलब्धि के लिए सरगम कौशल को ढेरों बधाइयां, शुभकामनाएं। सरगम देश की उन युवतियों के लिए प्रेरणा स्रोत बने जो जीवन की आपाधापी में खुद को झोंककर अपने आप को भुला चुकी है। सरगम के लिए हर क्षेत्र खुला है।अब ये उसके ऊपर निर्भर है कि वो देश सेवा के लिए कौन सा क्षेत्र चुनती है।
व्यक्तिगत विचार-आलेख-
श्री राकेश अचल जी ,वरिष्ठ पत्रकार , मध्यप्रदेश ।
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