मध्य प्रदेश भाजपा नेताओं के साथ-साथ विपक्ष और राजनीतिक विश्लेषकों के जेहन में एक ही प्रश्न बार-बार कौन रहा है कि प्रदेश भाजपा क्या गुजरात पथ का अनुगमन करेगी क्योंकि जिस तरह से राष्ट्रीय नेतृत्व ने 2023 में सरकार बनाने और 2024 में लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने की सोच रहा है वह क्या गुजरात मॉडल लागू होने पर ही संभव हो पाएगा। दरअसल अब यह लगभग तय माना जा रहा है कि गुजरात चुनाव के बाद प्रदेश में सत्ता और संगठन में बहुत कुछ चुनावी दृष्टिकोण से बदला जाएगा यह बदलाव कितना होगा इसको लेकर कयास लगाए जा रहे हैं गुजरात में जिस तरह से लगातार बदलाव किया जाता रहा है और चुनाव में भी 40 से ज्यादा विधायकों के टिकट काट दिए गए हैं ।
प्रदेश में भी लगभग 50 मौजूदा विधायकों के टिकट काटे जाने की चर्चा अभी से चल रही है संगठन में एक दर्जन से ज्यादा जिला अध्यक्षों को बदलने की चर्चा भी जोरों पर है मंत्रिमंडल विस्तार में कितना गुजरात मॉडल लागू होता है और कितना प्रदेश की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर किया जाता है इसको लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है लंबे समय से मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा चल रही है यह भी चर्चा चल रही है कि non-performing मंत्री हटाए जाएंगे कुछ मंत्रियों के विभाग बदले जाएंगे और खाली मंत्रियों की संख्या भी भरी जाएगी क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बैठाने के साथ-साथ चुनाव जिताऊ चेहरों को मजबूत बनाया जाएगा संगठन स्तर पर कोर कमेटी और सत्ता के स्तर पर लंबे समय से कब आए चल रही है ।
लेकिन जो कि अब प्रदेश में चुनाव होने को 1 साल से भी कम समय बचा है इस कारण गुजरात चुनाव के बाद जो भी परिवर्तन होना है प्रदेश में किया जाएगा बाहर हाल प्रदेश में गुजरात चुनाव के बाद मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा और जोर पकड़ गई है मौजूदा मंत्रियों के विभाग और प्रभार जिले भी बदले जाएंगे खासकर जिनका प्रदर्शन ठीक नहीं माना जा रहा है। चुनाव नजदीक होने के कारण मंत्रियों को निकट के प्रभार जिले दिए जाएंगे जिससे भी प्रभार जिले को भी समय दे सकें और अपने क्षेत्रीय जिले एवं विधानसभा क्षेत्र को भी संभाल सकें रातापानी में पिछले दिनों हुई कोर कमेटी की बैठक के बाद बहुत कुछ निर्णय लागू होने थे लेकिन हिमाचल और गुजरात के चुनाव के कारण दिसंबर तक इसे टाला गया है लेकिन माना जा रहा है कि कोर कमेटी ने ऐसा खाका तैयार कर लिया है कुछ मंत्रियों को संगठन का काम भी सौंपा जा सकता है और कुछ मंत्रियों के विभाग बदले जा सकते हैं कुछ के प्रभार बदले जा सकते हैं क्योंकि कुछ मंत्रियों के बारे में यह रिपोर्ट लगातार आ रही है कि उनकी विभाग में पकड़ नहीं है और कुछ अपने पार्टी जनों को भी समय नहीं दे पा रहे हैं कुल में लाकर चुनावी वर्ष में प्रदेश की राजनीति मैं राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए पार्टी गुजरात परिपाटी का कितना अनुगमन करेगी और किस तरह का बदलाव किया जाएगा इसको लेकर कोर कमेटी यहां लगातार कसरत कर रही है वही आम जनता और राजनीतिक समीक्षकों के बीच तैयारी चल रही है क्योंकि भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व जैसे राजनेता है उसमें ठीक से अनुमान लगाना मुश्किल होता है।
देवदत्त दुबे ,
वरिष्ठ पत्रकार और राजनैतिक विश्लेषक मध्यप्रदेश