लोकतंत्र की यही खूबसूरती है कि यहां राजा कभी भी रंक बना सकता है और रंक राजा।अब देखिए न प्रधानमंत्री का ख्वाब देख रहे राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के बहाने सड़कों पर उतरे हैं तो दूसरी ओर मौजूदा प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी गुजरात जीतने के लिए सड़कों पर शो कर रहे हैं। कायदे से प्रधानमंत्री जी को अपने गृहराज्य में चुनाव प्रचार के लिए जाना ही नहीं था। लोकतंत्र में एक पक्ष खूबसूरत है तो दूसरा विसंगति को । विसंगति ये कि प्रधानमंत्री जी जिस राजनीतिक दल को अपना प्रतिद्वंद्वी मानते ही नहीं हैं उसी के सपने उन्हें सोते -जागते आते हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों के समर्थन में गुजरात में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधा. प्रधानमंत्री मोदी जी के पास अब गुजरात में विकास का कोई माडल नहीं है।मजबूरन उन्हें आतंकवाद पर लौटकर आना पड़ रहा है।
मोदी जी ने कहा, है कि-“गुजरात लंबे समय से आतंकवाद के निशाने पर रहा है. सूरत और अहमदाबाद में हुए धमाकों में गुजरात के लोग मारे गए थे. उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी. हमने उनसे आतंकवाद पर निशाना लगाने के लिए कहा तो उन्होंने मुझे निशाना बनाया”. प्रधानमंत्री जी उस कांग्रेस को आतंकवाद के लिए कोस रहे हैं जिससे लड़ते हुए गांधी परिवार के दो सदस्यों की जान जा चुकी है। आतंकवाद से लड़ते हुए भाजपा और प्रधानमंत्री जी का कितना जाती नुकसान हुआ ये दुनिया जानती है। गुजरात विधानसभा चुनाव में मुद्दा सूबे से बाबस्ता होना चाहिए थे लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा। प्रधानमंत्री जी के पास अब लकीर पीटने के अलावा कुछ नहीं है।वे गड़े मुर्दे उखाड़ कर अपने सूबे की जनता की आंखों में धूल झोंकना चाहते हैं। मोदी जी ने बटला हाउस एनकाउंटर के दौरान कांग्रेस के नेताओं ने आतंकवादियों के समर्थन रोना-रोया. उन्होंने आरोप लगाया कि आतंकवाद कांग्रेस का वोट बैंक है. अब सिर्फ़ कांग्रेस ही नहीं, ऐसी कई और पार्टियां खड़ी हो गई हैं जो शॉर्टकट और तुष्टीकरण की राजनीति में यक़ीन रखती है।
आपको जान लेना चाहिए कि आतंकवाद को चुनावी मुद्दा भाजपा ने सोच समझकर बनाया है।इसी के चलते तमाम भाजपा नेता एक सुर में आतंकवाद का राग अलाप रहे हैं। दो दिन पहले ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुजरात में बीजेपी के लिए प्रचार करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ‘आतंकवाद का समर्थक’ बताया था. मजे की बात ये है कि भाजपा की बी टीम के रूप में बदनाम आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के राहुल गांधी ये चुनाव जमीनी मुद्दों पर लड़ रहे हैं।केजरीवाल ने गुजरात में बिजली बिल ज़ीरो करने, महिलाओं के खाते में हर महीने एक हज़ार रुपये भेजने और युवाओं को बेरोज़गारी भत्ता देने का वादा भी किया है। कांग्रेस के अपने मुद्दे हैं। जानकार कहते हैं कि गुजरात में हालात अब पहले जैसे नहीं हैं। मोदी जी जबसे काशी में गंगा के दत्तक पुत्र बने हैं तभी से गुजरात में भाजपा की दशा खराब होना शुरू हो गई। गुजरात माडल का तो जिक्र ही बंद करना पड़ा भाजपा को। तीन बार मुख्यमंत्री बदलने के बाद भी हालात नहीं सुधरे।अब नौबत ये है कि घर-घर मोदी के नारे से गूंजने वाले गुजरात में मोदी जी को ही घर-घर जाने पर मजबूर होना पड़ रहा है। देश की राजनीति का फैसला अब सड़कों पर ही होगा। राहुल गांधी की पदयात्रा से कांग्रेस को कुछ हासिल हो या न हो किन्तु भाजपा के हाथों से बहुत कुछ निकल सकता है। गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों के परिणाम सड़कों से प्रभावित हों या न हों लेकिन बाकी सब पर सड़कों का असर तो नज़र आने वाला है।
व्यक्तिगत विचार-आलेख-
श्री राकेश अचल जी ,वरिष्ठ पत्रकार , मध्यप्रदेश ।
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