विश्वगुरु तब हो सकते हैं जब हम असल में गुरू बनें – कुलपति प्रो.नीलिमा गुप्ता

विश्वगुरु तब हो सकते हैं जब हम असल में गुरू बनें – कुलपति प्रो.नीलिमा गुप्ता

11 नवम्बर को डॉ.हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में आमंत्रित व्याख्यान संपन्न हुआ। कार्यक्रम का आयोजन शिक्षाशास्त्र विभाग ने किया। ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिप्रेक्ष्य में अध्यापक शिक्षा के उन्नयन में अध्यापक शिक्षकों की भूमिका’ विषय पर व्याख्यान में मुख्य अतिथि जय प्रकाश विवि, छपरा (बिहार) के पूर्व कुलपति प्रो.हरिकेश सिंह थे और कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि ये नवम्बर का महीना हमारे लिए शिक्षा की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों चाहिए कि वो छात्रों को वैज्ञानिक तरीके समझायें तथा छात्रों से आपस में बातचीत करें ताकि वो समझ सकें।

कुलपति प्रो.नीलिमा ने ऑनलाइन शिक्षण प्रणाली को प्रत्यक्ष शिक्षा का विकल्प बनाने से बचने को कहा. उन्होंने कहा कि यदि ऑनलाइन शिक्षण प्रणाली अच्छी होती तो आज हम यहाँ प्रत्येक रूप में नहीं मिल रहे होते। प्रत्यक्ष शिक्षण प्रणाली से शिक्षक,छात्रों को आपस में जुड़ने का मौका मिलता तथा कुशल नेतृत्व और व्यक्तित्व निर्माण भी। एक शिक्षक को ऊर्जावान, उत्साही तथा उत्सुक होना चाहिए. यदि शिक्षक ऊर्जावान, उत्साही और उत्सुक नहीं है, तो वो कैसे छात्रों को प्रोत्साहित करेंगे। शिक्षक में गुणवत्ता होना अहम है। शिक्षक दिवस, शिक्षक के बिना पूरा नहीं ह़ो सकता। अंत में उन्होंने कहा कि विश्वगुरु हम तब हो सकते हैं जब हम असल में गुरू बनें। अच्छा शिक्षक वही है जो प्रेरक की भूमिका निभाये- प्रो. हरिकेश सिंह प्रो. हरिकेश सिंह ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिप्रेक्ष्य में अध्यापक शिक्षा के उन्नयन में अध्यापक शिक्षकों की भूमिका विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में डॉ. हरिसिंह गौर जैसा शिक्षाविद और विद्वान कोई दूसरा नहीं दिखता। सर गौर ने अपनी संपत्ति से आजादी के साल पहले अंग्रेजों से जमीन खरीदकर सन् 1946 विश्वविद्यालय कि स्थापना की। देश के युवाओं को उच्च शिक्षा मिल सके इसलिए उन्होंने ऐसा किया। उन्होंने देश के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद को याद करते हुए कहा कि आजाद का देश की शीर्ष शिक्षण संस्थाओं के निर्माण में बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि जब देश का आचार्य थकता नहीं है, तब ही देश आगे बढ़ता है। एक शिक्षक को प्रेरक होना चाहिए जो हमेशा छात्रों को प्रेरित करता रहे। शिक्षकों को चाहिए कि वो अपने स्तर के बारे में सोचें कि वो कहाँ हैं। जब शिक्षक दौड़ते हैं, तो छात्र चलते हैं और जब शिक्षक चलते हैं,तो छात्र खड़े रहते हैं।

उन्होंने नई शिक्षा नीति पर कहा कि संविधान में वर्णित प्रावधानों को ध्यान में रखकर नीति को लागू किया जाना चाहिए नहीं तो कोई भी नई नीति बनाने से कुछ नहीं हो सकता। शिक्षा के उन्नयन के लिए कहा कि शिक्षा का उन्नयन तभी हो पाएगा जब नवीन शिक्षा तथा शिक्षकों में सुधार प्रक्रिया लागू किया जाए। शिक्षक और छात्र अपना काम करेंगे तो निश्चित तौर भारत आगे बढ़ेगा। शिक्षासंकाय के संकायाध्यक्ष प्रो़. गणेश गिरि ने शिक्षा विभाग के उन्नयन के इतिहास से परिचय कराया और विभिन्न गतिविधियों की जानकारी देते हुए कहा कि शिक्षा का उद्देश्य समग्र विकास है। इस अवसर पर विभाग के दो विद्यार्थियों प्रियेश पटेल, कपिल देव साहू को बेस्ट प्यूपिल अवार्ड भी दिया गया. स्वागत वक्तव्य डॉ. रश्मि जैन ने दिया. संचालन डॉ. बुध सिंह ने किया. अतिथि परिचय डॉ. धर्मेन्द्र सर्राफ ने दिया. आभार कार्यक्रम की संयोजक डॉ. रानी दुबे ने माना. इस अवसर पर विभिन्न विभागों के शिक्षकगण, अधिकारी तथा छात्र उपस्थित रहे।

संवाददाता सागर, मध्यप्रदेश 

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