मध्यप्रदेश राजनीतिनामा : पितृपक्ष के बाद निर्णयों की बारी

मध्यप्रदेश राजनीतिनामा : पितृपक्ष के बाद निर्णयों की बारी

भोपाल। पितृपक्ष के बाद भाजपा और कांग्रेस में बहुत सारे निर्णय होने की उम्मीद लगाए बैठे कार्यकर्ताओं और नेताओं को पद मिलने का इंतजार है। सत्तारूढ़ दल भाजपा में जहां विभिन्न निगम मंडलों में नियुक्तियां होना है। वहीं विपक्षी दल कांग्रेस में जिला अध्यक्ष बनाए जाने हैं।

दरअसल, प्रदेश में मिशन 2023 की तैयारियों में राजनीतिक दल तेजी से जुड़ गए हैं। दलों का राष्ट्रीय नेतृत्व भी निगाहें लगाए हुए हैं प्रदेश में राष्ट्रीय नेताओं के दौरे बढ़ गए हैं खासकर सत्तारूढ़ दल भाजपा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गृहमंत्री अमित शाह, पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा एवं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के दौरे और प्रदेश को सौगातों का पिटारा खोलना बता रहा है कि पार्टी प्रदेश के विधानसभा चुनाव को लेकर पूरी तरह गंभीर है। खासकर 2018 के परिणाम के बाद पार्टी सतर्क और सावधान है और किसी भी प्रकार की रिस्क ना लेते हुए चुनावी तैयारियों को गति दे रही है। क्षेत्रीय संगठन महामंत्री जामवाल आदिवासी क्षेत्रों में जिस तरह से सक्रिय है उससे संगठन की चिंता को भी समझा जा सकता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा भी मेहनत करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे पार्टी की विभिन्न बैठकों में मिशन 2023-24 के लिए रोड मैप तैयार कर लिया गया है। उसी के अनुसार नेताओं की मेल मुलाकात चल रही है और यह भी तय किया गया है कि जो भी नियुक्तियां करना है। वे पितृपक्ष के बाद कर लिए जाएं जिससे कि चुनावी तैयारियों को और गति मिल सके। इसके तहत मंत्रिमंडल विस्तार और निगम मंडलों में नियुक्तियों को लेकर पार्टी नेताओं के बीच विचार मंथन हो चुका है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 अक्टूबर को उज्जैन महाकाल मंदिर परिसर में कॉरिडोर का लोकार्पण करने आ रहे हैं। इसके पहले वे अपने जन्मदिन पर चीजों को लेकर आए थे और स्व सहायता समूह माताओं से आशीर्वाद देकर गए हैं और अब महाकाल का आशीर्वाद लेने आ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल कांग्रेसमें संगठन चुनाव की प्रक्रिया चल रही है जिसमें ब्लॉक अध्यक्षों और प्रदेश प्रतिनिधि का चुनाव हो चुका है। अब जिला अध्यक्षों की और सुनाओ और लोगों की है हालांकि 24 सितंबर से नामांकन पत्र भरने की प्रक्रिया शुरू हो गई है लेकिन जैसा कि प्रायः होता आया है। चुनावी औपचारिकता पूरी करने के बाद दिल्ली से ही होगी। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ जो सूची भेजेंगे। लगभग वही फाइनल होकर आ जाएगी दावेदारों में बेचैनी है। पार्टी सूत्रों की माने तो बहुत जल्दी ही नियुक्तियां जो भी शेष रह गई है कर दी जाएंगे क्योंकि अब चुनावी तैयारी है शुरू हो गई है।

पार्टी में जोड़ने और छोड़ने पर एक नई बहस शुरू हो गई है। कमलनाथ के उस बयान पर जिसमें उन्होंने कहा था कि जो भी पार्टी छोड़ ना चाहे उन्हें गाड़ी से छुड़वा दूंगा पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा है कि यह समय छोड़ने का नहीं जोड़ने का है। इस पर भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने भी तंज कसते हुए कहा है इस तरह से तो कमलनाथ को बहुत सारी गाड़ियां खरीदनी पड़ेगी। जाहिर है मिशन 2023 के लिए दोनों दलों में तैयारियां को तेज करने के लिए बहुप्रतीक्षित नियुक्तियों को करना जरूरी माना जा रहा है और पितृपक्ष के बाद दोनों ही दलों में यह अभियान गति पकड़ेगा।

देवदत्त दुबे, भोपाल ,मध्यप्रदेश 

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