बचपन में जिन हाथों से गिल्ली -डंडा खेला था ,उन्ही हाथों में जब गोल्फ की छड़ियां (क्लब) आए तो पूरे शरीर में फुरफुरी सी हो उठी । जाहिर है कि गोल्फ के विशाल कालीन जैसे मैदान में खेलने का ख्वाब ही आंखों ने कभी नहीं देखा था। गोल्फ एक ऐसा खेल है जो व्यक्तिगत रूप से और टीमों में खेला जा सकता है। इस खेल में खिलाड़ी क्लब की मदद से गेंद को मैदान में मौजूद छेदों के अंदर पहुंचाने की कोशिश करते हैं।इस खेल के आविष्कार को लेकर कोई सटीक जानकारी नहीं है लेकिन ऐसा माना जाता है कि इसकी खोज 15 वीं शताब्दी के आसपास यूरोप में किया गया जिसके बाद ये खेल अमेरिका में लोकप्रिय हुआ और फिर वहां से विश्वभर में प्रचलित हुआ। अमेरिका में बेटे के मित्र दीपक के आग्रह पर फीनिक्स में चतुर्थ वार्षिक वरिष्ठ नागरिक दिवस गोल्फ उत्सव में पहुंच गया। आयोजकों ने स्वागत किया, और एक भव्य स्पोर्ट्स किट के साथ गोल्फ के उपकरणों से सज्जित बैटरी चलित गोल्फ कार्ट सौंप दी।मै और दीपक बैटरी कार में सवार होकर अपने लिए नियत 11 नंबर के मैदान में पहुंच गए। वहां पहले से मौजूद कोच ने हमारा स्वागत किया।वे भारत के प्रशंसक निकले। ताजमहल देख चुके थे। उन्होंने हमें क्लब पकड़ कर पहला शाट लगाना सिखाया। प्लास्टिक की कील पर छोटी सी गेंद रखकर उसे लक्ष्य की ओर भेजने का ये पहला मौका था। हमारी पहली कक्षा में ही बैटरी चलित दूकान पर नाना प्रकार के पेय लेकर एक कन्या प्रकट हुई। कुछ पेय निशुल्क और कुछ सशुल्क थे। जाहिर है हमने निशुल्क पेय उठाया, किंतु कोच ने अतिथि सत्कार करते हुए हमें अपने प्लास्टिक मनी से बीयर केन भेंट की। तभी हमारे असल कोच कहें या गाइड डेविड आ गये। पूरे 72 साल के डेविड मस्त मौला तबियत के निकले। उन्होंने पूरे छह घंटे हमें गोल्फ के मैदान में निचोड़ कर रख दिया। उनके हाथों में गजब की ताकत थी,हम उनका अनुसरण मुश्किल से कर पाते।हर नये लक्ष्य पर प्रायोजकों की ओर से कुछ न कुछ उपहार खिलाड़ियों के लिए थे। कहीं कैप, कहीं चश्मा, कहीं सिंगार, कहीं टावेल, कहीं दृव्य। डेविड हमें आग्रह पूर्वक हर स्टार पर ले जाते और उपहार दिलाते। कम से कम 14 तरह की छड़ियां (क्लब) हमारी किट में थीं। डेविड बताते कि कितनी दूरी तक लक्ष्य भेदने के लिए किस नंबर की क्लब इस्तेमाल करना चाहिए।गेंद हिट करने के बाद उसे लेकर आना खिलाड़ी का काम है। किसी जमाने में इसके लिए सेवक होते थे। लेकिन अब तकनीक,साधन बढ़ गये हैं इसलिए खेल सामंती नहीं रहा। डेविड प्रायोजकों से हमारी तारीफ करते, कहते-‘ पहली बार खेल रहे हैं, लेकिन बढ़िया हिट करते हैं।’ ये व्यावसायिक दक्षता थी डेविड की।हम थक रहे थे, लेकिन डेविड नहीं। उन्होंने हमें एक भी लक्ष्य छोड़ने नही दिया।
खेल के बीच में बैटरी चलित कार से ही हमारा लंच आ गया। रास्ते में एक,दो बार हमें बैटरी कार चलाने में दिक्कत पेश आई तो पलक झपकते ही मददगार हाजिर हो गये।गजब की फुर्ती थी उनमें। गोल्फ खेलने का मैदान काफी लंबा-चौडा और समस्त मैदान हरी-हरी घास से भरा होता है। यह मैदान गोल्फ कोर्स कहलाता है। इसमे जगह-जगह कई गड्ढे बने होते है, जिन्हें हज़ार्ड कहा जाता है और उनके अलग-अलग अंक होते है। खिलाड़ी को इन गड्ढों में गेंद डालकर अंक प्राप्त करने होते है। गेंद को लकड़ी या धातु कि बनी एक छड़ी से हिट किया जाता है, जिसे क्लब कहा जाता है। भारत के अनेक शहरों में अब गोल्फ कोर्स उपलब्ध है। मुझे चंडीगढ़ सिटी में गोल्फ के लिए सबसे बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर नजर आया है। इनमें चंडीगढ़ गोल्फ क्लब और चंडीगढ़ गोल्फ रेंज शामिल है। जहां रोजाना कई युवा, एमेच्योर, क्लब मेंबर रोजाना घंटों अभ्यास करते हैं। यहां पर कुछ युवा सीखने के लिए, खिलाड़ी टूर्नामेंट की तैयारियों के लिए तो कई खुद को फिट रखने के लिए गोल्फ खेलते हैं। किसी जमाने में राजा महाराजाओं का खेल गोल्फ अब बहुत मंहगा नहीं है।खिलाड़ियों के लिए 14 क्लब (गोल्फ स्टिक) की किट 25 हजार से शुरू होती है, जबकि जूनियर के लिए 5 और 10 क्लब (गोल्फ स्टिक) की किट 12 हजार से शुरू होती है।चंडीगढ़ गोल्फ क्लब में नॉन मेंबर भी खेल सकते है ।
इस खेल में अमेरिका को सबसे आगे माना जाता है क्योंकि विश्व रैंकिंग में यूएसए के ज्यादातर पुरुष खिलाड़ी शिर्ष रैंकिंग में होते हैं. हालांकि रियो ओलिंपिक 2016 में पुरुषों के इवेंट को ग्रेट ब्रिटेन के जस्टिन रोज (Justin Rose) ने जीता था, तब वो दुनिया में 11वें स्थान पर थे. रोज ने इस दौरान एक नहीं बल्कि दो इतिहास रचे. उन्होंने पहली बार होल-इन-वन रिकॉर्ड बनाया जबकि 112 साल बाद पहले ओलिंपिक चैंपियन बने. स्पेन, स्वीडन और ऑस्ट्रेलिया से भी कई प्रतिभावान गोल्फर सामने आए हैं.महिला गोल्फ में कोरिया गणराज्य एक बड़ी ताकत है. रियो ओलिंपिक 2016 में जहां प्रत्येक देश को विश्व रैंकिंग में शीर्ष 15 स्थानों से चार एथलीटों को भेजने की अनुमति दी गई थी वहीं कोरिया गणराज्य ने दुनिया के शीर्ष आठ में से चार खिलाड़ियों को मैदान में उतारा था. उस समय दुनिया के दूसरे नंबर के खिलाड़ी इनबी पार्क ने स्वर्ण पदक जीता था. गोल्फ की सबसे आकर्षक विशेषता ये है कि इसमें कोई भी रेफरी या जज नहीं होता, इससे ये पता चलता है कि इस खेल में कितनी निष्पक्षता और विश्वास है, सभी खिलाड़ी सद्भावना की भावना से खेलते हैं जानबूझकर गलत व्यवहार नहीं करते. यही वजह है कि गोल्फरों को सही और योग्य ओलिंपियन माना जाता है। हां इस खेल में बाडी फिजिक्स सबसे महत्वपूर्ण कारक है। पहली बार गोल्फ खेलकर मुझे अगले दिन पूरा आराम करना पड़ा। दर्द निवारक दवा खाना पड़ी सो अलग।
व्यक्तिगत विचार-आलेख-
श्री राकेश अचल जी ,वरिष्ठ पत्रकार , मध्यप्रदेश ।