प्रेरणा “मुझे ग़म भी उनका अज़ीज है, कि ये उन्हीं की दी हुई चीज़ है।” November 27, 2022November 27, 20221 min read मेरे पिताजी की आदत भी अज़ीब थी। खाना खाने बैठते तो एक निवाला तोड़ कर थाली के चारों ओर घूमाते और फिर उसे किनारे रख