सुप्रीम कोर्ट का फैसला बढ़ाएगा सियासी छटपटाहट

सुप्रीम कोर्ट का फैसला बढ़ाएगा सियासी छटपटाहट

प्रदेश में ओबीसी वर्ग के आरक्षण को लेकर सियासत गरमाई हुई है कल सुप्रीम कोर्ट से इस संबंध संबंध में फैसला आना है जिसको लेकर दोनों दल पिछड़ा वर्ग के हितैसी होने का दावा पेश करेंगे दरअसल उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे जातीय समीकरण वाले राज्यों में भले ही अब जातीय संघर्ष उतार पर हो हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में जातीय राजनीति करने वाले दलों को इसका परिणाम भुगतना पड़ा है चाहे बासपा का सिमटना हो या समाजवादी पार्टी से मुस्लिम मतदाताओं का मोहभंग होना हो इससे यह स्पष्ट है कि प्रदेश में जाति राजनीति अपनी अंतिम सांसे गिन रही है हाल ही में पटना में स्वतंत्र भारत में कश्मीर हिंदुओं का जाति विध्वंस विषय पर चर्चा का आयोजन किया गया जिसमे  भाग लेने पहुंचे दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा का कहना था कि बिहार में अब जातिवाद की राजनीति खत्म हो रही है और टुकड़ों में बटा हिंदू समाज एकजुट होगा अर्थात जब उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में जातीय राजनीति उतार पर है तब मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में जाति का एक्सीलेटर दबाया जा रहा है  ।

बहरहाल प्रदेश की राजनीति में कल सुप्रीम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर खुसर-फुसर तेज है प्रदेश में पंचायत एवं नगरी निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर सुनवाई पूरी हो चुकी है और कल 10 मई को इसमें सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना है ऐसे में संभावना यही जताई जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सियासत सुर्ख होगी दोनों ही दल तैयारियों में लगे हुए हैं यदि सुप्रीम कोर्ट इस बार के पंचायती एवं नगरीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के बगैर चुनाव कराने का आदेश देता है तो इन चुनावों में ओबीसी आरक्षण खत्म करने का ठीकरा कांग्रेश के सिर फोड़ेगी।  वहीं कांग्रेस लगातार यही कह रही है कि कांग्रेस की सरकार ने 14 फ़ीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण किया था लेकिन भाजपा की सरकार आने के बाद से ही भाजपा ओबीसी वर्ग के आरक्षण को समाप्त करने का षड्यंत्र रच रही है । कमलनाथ का कहना है कि शिवराज सरकार नहीं चाहती कि ओबीसी वर्ग को आरक्षण मिले भाजपा सरकार की नकारात्मक एवं कमजोर पैरवी क कारण प्रदेश में बिना आरक्षण के पंचायत चुनाव की तैयारी की जा रही थी तब हमने सड़क से लेकर सदन तक लड़ाई लड़ाई की सुनिश्चित किया था कि बगैर आरक्षण चुनाव ना हो अभी भी हमारा दृढ़ संकल्प है कि प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी आरक्षण के पंचायत चुनाव नहीं हो भाजपा सरकार ने ऐसा किया तो हम संघर्ष करेंगे । वहीं भाजपा की तरफ से ओबीसी वर्ग की लड़ाई के अगुआ बने मध्य प्रदेश सरकार के नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह का कहना है कांग्रेश और उसकी सरकार ने कभी भी ओबीसी वर्ग के किसी कल्याण के प्रयास नहीं किए, झूठ बोलती रही, देश को धोखे में रखा, षड्यंत्र करती रही .भाजपा सरकार ने आयोग गठित कर मध्यप्रदेश में सर्वे कराया रिपोर्ट तैयार कर सुप्रीम कोर्ट में पेश किया ओबीसी वर्ग के नागरिकों की सामाजिक राजनीतिक आर्थिक मजबूती के लिए पूरी गंभीरता के साथ आंकड़े की हमारी सरकार ने पंचायतों में ओबीसी के लिए भागीदारी की पहल की कुल मिलाकर के आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सभी की निगाहें लगी हुई है और प्रदेश के दोनों प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस पर आरोप प्रत्यारोप करेंगे लेकिन इसके बावजूद भी पंचायती राज चुनाव हो पाएंगे या नहीं इस पर सस्पेंस बना रहेगा क्योंकि 2023 में विधानसभा के चुनाव होना है और स्थानीय निकाय के चुनाव से राजनीतिक दलों के समीकरण गड़बड़ा जाते हैं शायद इसी कारण सुप्रीम कोर्ट के फैसले के इंतजार में राजनीतिक दलों की गई है छटपटाहट बढ़ गई है।

देवदत्त दुबे , भोपाल-मध्यप्रदेश 

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