जब शिवराज सिंह मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद शताब्दी एक्सप्रेस से भोपाल आये तब वही सब मंत्री और विधायक जो उमा भारती के खास सिपहसालार बने हुये थे एक-एक करके रेलवे स्टेशन पहुँच गये। इसके पहले ग्वालियर स्टेशन पर शताब्दी को बम की अफवाह के चलते दो घंटे रोका गया। यह विलंब सुनियोजित था। सबसे ज्यादा आश्चर्य लोगों को तब हुआ जब उमा भारती के कट्टर समर्थक माने जाने वाले गोपाल भार्गव दोपहर तक उमा भारती के बंगले पर रहे और जैसे ही उन्हें शिवराज सिंह के आने की सूचना मिली वे चुपचाप वहाँ से निकल कर रेलवे स्टेशन पर शिवराज सिंह को माला पहनाने पहुँचे।
कैलाश विजयवर्गीय उन दिनों शिवराज सिंह के समर्थन में दिल्ली में मुहिम चला रहे थे। उस दिन जब शिवराज सिंह शताब्दी से भोपाल उतरे तो उन्हें लेने मात्र 60 विधायक ही पहुँचे। शिवराज ने वहाँ कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए पहली बार कहा “मध्यप्रदेश मेरा मंदिर है, यहाँ की जनता मेरी भगवान और उसका पुजारी मैं शिवराज सिंह चौहान । ” यह वाक्य आने वाले सालों के लिए शिवराज सिंह का सिग्नेचर डायलॉग बन गया।
वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनैतिक विश्लेषक
श्री दीपक तिवारी कि किताब “राजनीतिनामा मध्यप्रदेश” ( भाजपा युग ) से साभार ।
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