पद्म पुरूस्कार: अधिकारों के निर्मल नवाचार पर असहमति के दाग…

पद्म पुरूस्कार: अधिकारों के निर्मल नवाचार पर असहमति के दाग…

वर्ष 2021 में कुल 141 लोगो को पुरूस्कार से सम्मानित किया गया इनमें से भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से 7 लोकप्रिय हस्तियां एवं पद्म भूषण से 10 हस्तियों को सम्मानित किया गया पद्म श्री के लिये 102 अपने क्षेत्र के कर्मवीरो को चुना गया और 16 हस्तियों को मरणोपरांत यह सम्मान दिये गए । राष्ट्रपति भवन में हुए भव्य समारोह में इस बार भी कुछ एंसे चेहरो को इन पुरूस्कारो से सम्मानित किया गया जिनकी अजीवन तपस्या इनकी असल हकदार है या फिर मानो इन पुरूस्कार की चमक या गरिमा इन ही हांथो में षोभायमान होने के लिये रची गयी है। जैंसे कर्नाटक की आदिवासी महिला तुलसी गौड जिन्होने अपने जीवनकाल में लगभग 30000 पौधो को तैयार किये और बिना किसी शिक्षा  के उन्हे उन पौधो की विषेषताओं का संपूर्ण ज्ञान है। इसके अलावा अयोध्या के मोहम्मद शरीफ  जिन्होने अपने जीवन में हुई एक दुर्घटना को अपने जीवन का लक्ष्य बनाकर अब तक लगभग 25000 शवों का अंतिम संस्कार किया है या हरेकला हरब्बा जिन्होने अपनी जीवन भर की कमाई जो फुटपाथ पर संतरे बेचकर अर्जित की थी उसे अपने गांव में स्कूल बनाने मे दान की हो और भी ऐंसे बहुत से नाम है जो पदम पुरूष्कारों के वास्तविक हकदार है।
परंतु राज्य सरकारोें और केंद्रीय संस्थानो से सिफारिस होन के बाद चयनित किये गये इन नामो में कुछ नाम ऐंसे होते है जो आमजनमानस के मन में पुरूस्कार और प्रक्रिया दोनो के प्रति सम्मान की गरिमा को ठेस पहुंचाते है इन महत्वपूर्ण पुरूष्कारो की चयन कसौटी पर सवाल उठना तब लाजिम हो जाता है जब इस सूची में कंगना रानावत या एकता कपूर जैसे नाम अपनी छाप छोड़ देते है क्या पदम पुरूष्कार प्राप्त करने की कसौटी लोकप्रियता है या किसी भी क्षेत्र में निरंतर कर्म इनके हकदार होने का पैमाना हो सकता है इन दोनो ही पहलुओ में भी इनके उददेष्य में,सकारात्मकता या नकारात्मकता का समावेष हो सकता है मसलन एकता कपूर ने मनोरंजन जगत में जो कर्म किये है निःसंदेह वो लोकप्रिय हो सकते हैं लेकिन क्या उनका उददेष्य देषहित में था भारतीय समाज को एकता कपूर द्धारा निर्देषित या निर्मित मनोरंजन कार्यक्रमो से कौन सा लाभ हुआ इन कार्यक्रम ने मनोरंजन जगत या सिनेमा में नये प्रयोग के नाम पर भारतीय परंपरा को गौरवान्वित किया या उसे नुकसान पहुंचाया है़? ये कार्यक्रम देषहित के लिये थे या इनका उददेष्य व्यवसायिक लाभ के लिये था ? इसी प्रकार फिल्म अभिनेत्री कंगना रानावत ने भी अपने जीवन में या सिनेमाइ सफर में एंसा कौन सा कार्य किया है जिनसे वो पदम पुरूस्कार की हकदार हो सकती है यदि सिनेमाई सफलता के लिये उनका चयन होना था तो राष्ट्रीय फिल्म पुरूष्कार में उनका चयन पर्याप्त था पदम पुरूष्कारो में उन हस्तियों के बीच उन्हे सम्मानित करना जिन्होने अपना पूरा जीवन किसी एक क्षेत्र में देषहित में लगाया हो या जिनका सार्वजनिक या व्यक्तिगत जीवन नागरिको के लिये प्रेरणादायी हो किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं ठहराया जा सकता। इसके विपरीत कंगना के कई अटपटे एंव सदभाव बिगाड़ने वाले होते है उनका ताजा बयान है कि आजादी हमें 2014 में मिली है उसके पहले जो 1947 में मिली थी वो भीख थी एंसा कहकर उन्होने भारत के महान स्वतंत्रता सेनानियो का अपमान तो किया ही है साथ ही प्राप्त पदमश्री को भी लज्जित किया है उनके बयान किसी सरकार के पक्षधर हो सकते हैं लेकिन ये पदम पुरूष्कार प्राप्त करने की कसौटी नहीं हो सकते।
यद्धपि मोदी सरकार में इन पुरूष्कारो चयनित नयापन एवं सम्मान का भाव आया है निःस्वार्थ कर्म की निरंतरता एवं परोपकारी जीवन के हांथो में ऐंसे सम्मान देखकर आम जनता में सम्मान की भावना एवं प्रेरणा दोनो का जागरण होता है फिर भी कुछ नाम इस महानता पर दाग की तरह छूट जाते है।

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