प्रदेश भर में चुनावी रंजिश के चलते चर्चा का विषय बना मकरोनिया का जगदीश यादव हत्याकांड में कल आरोपी भाजपा नेता मिश्रीचंद्र गुप्ता परिवार की चार मंजिला आलीशान होटल जमींदोज कर दी गई यह संभवतः मध्प्रदेश में माफिया के विरूद्ध की गई बड़ी कार्यवाहियों में से एक है । जो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के माफिया और गुंडाराज के खिलाफ अभियान और दृष्टिकोंण दोनो को दर्शाती है लेकिन जिस प्रकार का यह बहुचर्चित घटनाक्रम रहा है उसमेें राजनीति और प्रशासन से सख्त रवैया स्थानीय जनता और समाज का रहा जिसने एक ओर प्रशासन को जहां इस प्रकार की बड़ी कार्यवाही करने के लिये मजबूर किया तो दूसरी ओर राजनेताओं को अपराधी को अपराधी कहने पर ।
मकरोनिया उपनगर में बीच चौराहे पर 22 दिसम्बर की रात बड़े शहरो के आपराधिक पैटर्न की तर्ज पर हुए इस जघन्य हत्याकांड की खबर लगते ही पूरे प्रदेश में सनसनी थी घटनाक्रम के दूसरे दिन स्थानीय समाज और मीडिया में आक्रोश था उसको भांपना आसान नहीं था पहले ही दिन से आरोपी की होटल गिराने की मांग को लेकर चार घंटे तक चक्काजाम की स्तिथि बनी जिसे अतिक्रमण की कार्यवाही और तीन दिन में आश्वाशन देकर शांत कराया गया । तब तक भी यह कार्यवाही संदेहों के घेरे में रही । लेकिन इस मामले को लेकर पीड़ित परिवार के प्रति समाज की संवेदनशीलता , स्थानीय जनमानस का समर्थन और स्थानीय मिडिया की लगातार कवरेज जिसमे आरोपी के आपराधिक इतिहास के तमाम काले चिट्ठे परत दर परत खुलने शुरू हुए तो राजनेताओं की आँखों में भी जलन हुयी और घटना के 4 दिन बाद भाजपा के जिलाअध्यक्ष ने आरोपी नेता जो भाजपा के सांस्कृतिक विचारधारा को सहेजने का कार्य कर रहा था उसे भाजपा से निलंबित किया और कांग्रेस ने मुद्दे को प्रदेशव्यापी जानकर जाँच समिति का गठन किया । कांग्रेस ने खुलकर इसे भाजपा के अपराध का राजनीतिकरण और संरक्षण में हुई घटना बताया , लगातार ख़बरों और बयानबाजी के बाद से ही शाशन प्रशाशन पर आरोपी के खिलाफ बड़ी कार्यवाही करने का दबाब बना तो स्थानीय विधायक प्रदीप लारिया जिन पर आरोपी नेता को संरक्षण देने का आरोप कांग्रेस लगाती रही है वे भी इस घटनाक्रम की गंभीरता को समझते हुए पीड़ित परिवार से मिले और अपने प्रयासों से परिवार की आर्थिक सहायता की, प्रदेश सरकार के मंत्री भूपेंद्र सिंह और मोहन यादव परिवार ने पीड़ित परिवार से मिलकर सान्तवना देकर कठोरतम कार्यवाही की बात कही , कांग्रेस पार्टी और प्रदेश में यादव समाज के नेता कहे जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण यादव पूरे दिन के कर्यक्रम में इसी घटनाक्रम को लेकर सागर आये उन्होंने इसे स्पष्ट रूप से इसे गुंडाराज का नमूना बताते हुए सीधे मुख्यमंत्री से सवाल किये नतीजतन होटल पर की गई औपचारिक कार्यवाही को अंजाम तक ले जाना शासन प्रशासन के लिये चुनौती बना और घटनाक्रम के दस दिनों बाद 3 जनवरी को एक बड़ी एंटी माफिया कार्यवाही संभव हो सकी और यदि आगे भी जड़मूल से उखाड़ने की कार्यवाही होती है तो समाज में सकारात्मक सन्देश जायेगा ।
इस घटनाक्रम में अब तक हुयी कार्यवाही से जहां राजनीति संरक्षण प्राप्त अपराधियों को अपनी हद का पता लगेगा तो समाज में भी एक सख्त संदेश जायेगा लेकिन इससे इतर एक संदेश राजनीति के लिये भी जाना चाहिये कि क्या देश की संसद और विधानसभाओं में लाखों आम जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले मंत्री , सांसद, विधायकों को अपने सार्वजनिक जीवन में इतनी नैतिकता नहीं रखनी चाहिये कि सजे हुए मंचों पर भाषण देने से पहले वह यह तो देख सकें कि आयोजक कौन है और आपके गले में माला पहनाकर वह शासन प्रशासन और इनसे अधिक आम जनता को क्या संदेश देना चाहता है, क्योकि किसी बड़े कांड के बाद आरोपी से नजदीकी के सवाल पर बगलें झाकते नेता लाख कहें की हम या हमारी विचारधारा किसी अपराधी को संरक्षण देने का काम नहीं करते लेकिन जनता तो सब जान लेती है, क्योकि जिस मंच पर आपने किसी अपराधी का और अपराधी ने आपका गुणगान किया था उसके सामने भी वही जनता बैठी हुयी थी और आपकी शह पर कुकृत्यों को भुगतने वाली भी वही जनता है । इसलिये इस चकाचौंध भरी राजनीतिक माहौल में राजनेताओं को भी चाहे वह कांग्रेसी हो या भाजपायी इतिहास में झांककर अपने अपने राजनैतिक पितृपुरूषों के नैतिक जीवन को जरूर याद रखना चाहिये जिन्होने सुविधाहीन राजनैतिक जीवन में भी अपने नीतिगत विचारों और सिद्धांतो से कभी समझौता नहीं किया।
अभिषेक तिवारी
संपादक भारतभवः
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