भाजपा के बागी नेता आम आदमी पार्टी से चुनावी दंगल में

भाजपा के बागी नेता आम आदमी पार्टी से चुनावी दंगल में

मध्यप्रदेश में भाजपा-कांग्रेस की जारी प्रत्याशियों सूची पर मचे घमासान के बीच अब आम आदमी पार्टी की आमद भी हो चुकी है जैसा कि पहले अनुमान लगाया जा रहा था मध्यप्रदेश में भाजपा कांग्रेस के बागी प्रत्याशी आम आदमी पार्टी का ग्राफ बढायेंगे उसके संकेत आने लगे है । कल आम आदमी पार्टी की जारी प्रत्याशी सूची में सागर जिले की आठ में से तीन विधानसभा सीट पर मुकाबले को त्रिकोणीय होने की संभावना हो चली है । आम आदमी पार्टी ने भाजपा से टिकिट की आस लगाये पिछले कई सालों से क्षेत्र में अपनी जमीन तैयार कर रहे बागी नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा है सागर से भाजपा छोड़कर मुकेश जैन आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी होंगे मुकेश पिछले 15 सालों से सागर विधानसभा से चुनावी तैयारियों में जुटे है और इस बार भी जब उन्हे ंभाजपा से प्रत्याशी नहीं बनाया गया तो आम आदमी पार्टी की सदस्यता लेकर सागर से चुनावी मैदान में होगे सागर से भाजपा के विधायक शैलेन्द्र जैन लगातार चौथी बार भाजपा के प्रत्याशी है तो महापौर चुनाव में भाजपा को दमदार टक्कर देने वाली निधी सुनील जैन को कांग्रेस ने टिकिट दिया है एंसे में मुकेश जैन जातीय एवं स्थानीय समीकरण बिगाड़ सकते है जहां भाजपा को नुकसान होने की संभावना ज्यादा

आम आदमी पार्टी से चुनावी मैदान मंे आने वाला दूसरा बड़ा नाम सुधीर यादव का है जो पूर्व सांसद और जिले के यादव वोट बैंक पर पकड़ रखने वाले पुराने नेता लक्ष्मीनारायण यादव के पुत्र है पिछले दिनो ही पूर्व सांसद ने भाजपा हाईकमान को अंधा बहरा और तानाशाह बताते हुए चुनावी बगावत के संकेत दिये थे और अब वे भी खुलकर पुत्र सुधीर यादव के सर्मथन में है पिछले दो सालो ंसे बंडा विधानसभा में जनसंपर्क में लगे सुधीर यादव बंडा में लोधी वोटबैंक के सहारे जीत की आस लगाये भाजपा और कांग्रेस के दोनो के लिये मुसीबत का सबब हो सकते है । तीसरा नाम अरविंद तोमर का है जो नरयावली विधानसभा में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार है तोमर भाजपा से नाराज होकर चुनावी मैदान में है तोमर का नाम लाईमलाईट में ज्यादा तो नहीं है लेकिन उनके दावे बड़े है और नरयावली में भाजपा के प्रदीप लारिया और कांग्रेस के सुरेंद्र चौधरी के पुराने मुकाबले से उब चुकी जनता के लिये विकल्प तो हैं ही।इस बार आम आदमी पार्टी का आधार बगावत का नयापन लिये हुए है और बागी प्रतयाशियों को भी राष्टाीय स्तर पर एक नामी ठौर मिला है जो निर्दलीय मैदान में उतरने से बेहतर है और दबाव की राजनीति से बचने का मजबूत तरीका भी है इससे इतर यदि भाजपा के बागी और अब आप आदमी पार्टी के प्रत्याशी विधानसभा स्तर पर भी एक दूसरे प्रत्याशियों के सर्मथन में और पार्टी के लिये प्रभावी मेहनत करते है तो बागियों द्धारा किये जाना वाला नुकसान चुनावी परिणाम को भी प्रभावित कर सकता है।

अभिषेक तिवारी 

संपादक भारतभवः 

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