बिरसा मुंडा की जयंती पर देश और प्रदेश में जनजातीय जलवा देखने को मिला प्रदेश में राज्य स्तरीय कार्यक्रम शहडोल में तो स्थानीय स्तर पर गांव गांव में कार्यक्रम आयोजित किए गए सत्ता की चाबी माने जा रहे आदिवासी वर्ग को अपनी तरफ करने के लिए भाजपा ने अंततः पेसा एक्ट भी लागू कर दिया। दरअसल पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को गौरव दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया था और इस वर्ष जनजातीय गौरव दिवस पर महामहिम राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू आदिवासियों के बीच शहडोल पहुंची जहां राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया गया था और इस बार गौरव दिवस पर पेसा एक्ट लागू करके राज्य सरकार ने आदिवासियों को अपनी ओर करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है इस एक्ट के लागू हो जाने से जहां एसडीएम बगैर चर्चा के डायवर्सन और भूमि अर्जन नहीं कर सकेंगे वहीं पुलिस भी सीधे गिरफ्तारी या अन्य कार्यवाही नहीं कर सकेगी।
यह एक प्रदेश के 89 आदिवासी विकास खंडों में लागू हो गया है इसमें कहा गया है कि ग्रामसभा की सीमा क्षेत्र में आने वाले सभी जल स्रोत ग्राम सभा के अधिकार क्षेत्र में आएंगे और एक्ट में किए गए प्रावधान के मुताबिक सिंचाई मछली पालन पेयजल आवंटन विस्तार की प्राथमिकता के आधार पर ग्राम पंच ग्राम करेगी यह नहीं यदि ग्रामसभा चाहे तो अपने क्षेत्र में शराब और अन्य मादक पदार्थों की बिक्री के लिए निषेधाज्ञा जारी कर सकेगी और इसका उल्लंघन करने वालों पर ₹1000 तक की पेनल्टी लगा सकेगी देसी शराब की दुकान खोलने की अनुमति भी ग्रामसभा ही देगी किसी व्यक्ति के घर में कितनी वस्तुएं रखी जाएंगी इसका अधिकार भी ग्रामसभा को होगा बाहर आज जिस तरह से बिरसा मुंडा जयंती जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनाई गई है एक बार फिर सत्ता के गलियारों तक पहुंचा है राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू ,राज्यपाल मांगू भाई पटेल ,मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ,उपाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा विशेष रूप से उपस्थित रहे पूरे प्रदेश में कार्यक्रम आयोजित किए गए शहडोल के बाद प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा कार्यक्रम रहली विधानसभा क्षेत्र में हुआ जहां 5 मील पर हजारों की संख्या में महिलाएं कलश लेकर पहुंची मंत्री गोपाल भार्गव अभिषेक भार्गव आदिवासी परंपरा के अनुसार स्वागत किया और उन्हें भोज भी कराया । कुलमिलाकर दूसरे बिरसा मुंडा जयंती पर कार्यक्रम आयोजित किए गए और जिस तरह से पैसा एक्ट लागू किया गया है उसे आदिवासी बाहुल्य गांव और विकास खंडों में आदिवासियों को छोटी-छोटी समस्याओं के लिए गांव में ही ग्राम सभा के माध्यम से समाधान करने के अधिकार मिल गए हैं जिससे जनजातीय वर्ग आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगा और उनकी पूछ परख भी और बढ़ जाएगी।
देवदत्त दुबे
वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनैतिक विश्लेषक