मध्यप्रदेष विधानसभा में शिवराज सरकार की चैथी पारी का आखिरी बजट पेश किया गया और इस बजट में जिस तरह से प्रदेष के मूखिया शिवराज सिंह ने प्रदेष के बड़े वोट बैंक को साधने का काम किया है खासकर महिलाओ के लिये कुल बजट का लगभग 33 प्रतिशत राषि का प्रावधान है खासकर मध्यप्रदेष की पहचान बनी लाड़ली लक्ष्मी योजना की प्रसिद्धि और सफलता से उत्साहित होकर बनाई गई लाड़ली बहना योजना पर प्रारंभ मे ही एक बड़ी धनराषि खर्च कर चुनावी माहौल आते आते इसे जमीन पर भुनाने की रहेगी , महिलाओ के लिये सर्मपित इस बजट को देखकर लगता है शिवराज ने आने वाले चुनावी घोषणा पत्र को पूरा करने के लिये भी समय और पैसा दोनो का जुगाड़ पहले ही कर लिया है । पिछले दसक से देश में होने वाले विधानसभा चुनाव में यह ट्रेंड रहा है कि महिलाओं से लिये मासिक भत्ते देने का वचन हर घोषणापत्र में राजनैतिक दलों द्धारा किया गया है और पंजाब में आम आदमी पार्टी को तो हिमांमचल में कांग्रेस को इसका प्रत्यक्ष लाभ भी देखने को मिला है सो भाजपा ने मध्यप्रदेष में इसे घोषणा पत्र से पहले ही बजट में लाकर एक छलांग लगाई है।
मध्यप्रदेष के इतिहास में 2019 से 2023 की चुनावी पारी हमेषा याद रखी जायेगी जिस तरह से शुरुवाती वर्षो में असमंजस की कांग्रेस सरकार और कोरोना के कारण सरकार का आधे से ज्यादा समय व्यर्थ गया उसे आखिर के ढाई सालों में पटरी पर लाने के लिये भी इस बजट को याद किया जायेगा सरकार ने प्रदेष के लगभग प्रत्येक वर्ग को लाभान्वित करने के लिये सीधे प्रयास किये है जिसमें भाजपा ने राष्ट्रवाद के मुददे के साथ साथ खुलकर हिंदुत्व को भी अपने पाले मे लिया है महाकाल लोक की तर्ज पर प्रदेष के अन्य प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों जैसे राम्रजलोक -ओरछा , अद्वैतधम -ओंकारेश्वर आदि की कायाकल्प के लिये भी बजट में भरपूर राषि आवंटित की गई है। महिला, किसान को बड़े फायदे के साथ हवाई जहाज से तीर्थ दर्षन योजना से बुर्जुगों को, तो कक्षा 12 वीं में प्रथम आने पर छात्राओं को स्कूटी लाभ जैसी योजना है , तो नगरीय विकास के लिए पिछले साल कि तुलना में बजट बाध्य गया है खासकर प्रदेश को नै पहचान देने वाले प्रोजेक्ट भोपाल और इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट को 710 करोड़ कि राशि आवंटित कि गयी है , हां युवाओे को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार संबधी कुछ खास नहीं दिखाया देता सरकार का वही एक लाख रोजगार देने का पुराना वादा फिर से कर दिया है । इस बजट से लोकतंत्र में एक बात और स्पष्ट रूप से समझ में आने वाली है कि क्या अब भारत की महिलायें अपने मत का प्रयोग खुद अपने स्वविवेक से करने लगी है और इसके परिणामस्वरूप विभिन्न राजनैतिक दल महिलाओे के वोट बैंक पर फोकस करने लगे है हां यह भारतीय लोकतंत्र में पिछले दषक में हुआ मुख्य परिर्वतन है। बहरहाल बात मध्यप्रदेष की करें तो शिवराज सरकार ने टसल के चुनावी माहौल में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस से दो कदम आगे आकर बजट की घोषणा की है और यदि सरकार क्रियान्वयन के चार पांच महीनों में बजट के 25 प्रतिशत घोषणाओं को भी जमीन पर उतार देती है तो निषिचत रूप् से उसे आने वाले चुनावों में अप्रत्याशित लाभ मिलेगा।
अभिषेक तिवारी
संपादक भारतभवः
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