सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने मध्यप्रदेश की राजनीति में एक नया भूचाल ला दिया है दो दिन पहले ही कोर्ट ने बिना आरक्षण के चुनाव कराने के निर्देश निर्वाचन आयोग को दिये इसके तुरंत बाद ही मध्यप्रदेश के दोनो प्रमुख दल खुद को ओबीसी का हितैशी बताने में और प्रतिद्धंदी को निर्णय के लिये जिम्मेवार ठहराने मे जुुट गये साथ ही साथ दोनो तरफ से चुनावी तैयारिया भी तेज हो गई है कहने को स्थानीय निकायों के चुनाव हैं लेकिन इतने हाईप्रोफाइल हो गए हैं चुनाव कि अब चुनाव कराना चुनौती बन गया है चुनाव कराने से पहले चुनावी प्रक्रिया मैं हार जीत दिखाई दे रही है। सियासी फायदे के लिए पिछड़े वर्ग के आरक्षण का जो मुद्दा सियासी दलों ने उठाया वह अब इतना फैल गया है कि सिमट नहीं रहा गांव की चौपालों और शहर के चौराहों से लेकर भोपाल और दिल्ली तक चिकचिक जारी है लेकिन कोई हल निकलता फिलहाल दिखाई नहीं देता।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग जहां चुनावी तैयारियों में तेजी से जुट गया है वही राजनीतिक दल एक बार फिर कलंक से बचने के लिए कवायद कर रहे हैं कोई दल नहीं चाह रहा कि पिछड़े वर्ग के बगैर आरक्षण के पंचायती राज और नगरी निकाय के चुनाव हो और उस पर भी यह कहा जाए कि किस दल के कारण ऐसा हो रहा है यही कारण है सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी प्रयास फिर से जारी हैं कहीं से कोई राहत मिल जाए या तो पिछड़े वर्ग के आरक्षण के साथ चुनाव हो या फिर फिलहाल चुनाव ही ना जबकि यह चुनाव 3 साल पहले हो जाना चाहिए था इनका कार्यकाल बीच.बीच में बढ़ाया गया जबकि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट कहना है की स्थाई निकायों के चुनाव 5 साल में कराए जाना संवैधानिक बाध्यता है रिजर्वेशन एक सतत प्रक्रिया है इससे चुनाव नहीं रोके जा सकते जबकि राजनीतिक दल का पूरा प्रयास है कि रिजर्वेशन के बाद ही चुनाव हो।
बहरहाल प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायती राज और नगरी निकाय के चुनाव कराना सबसे बड़ी चुनौती हो गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक और जहां भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप.प्रत्यारोप का दौर जारी है वही सरकार ने इस मामले में हार नहीं मानी है और बुधवार दोपहर बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा और नगरी प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह विशेष विमान से दिल्ली पहुंचे जहां सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ताओं के साथ ओबीसी आरक्षण पर चर्चा की इस दौरान चौहान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से भी मुलाकात करेंगे।
उधर कांग्रेश पिछड़ा वर्ग विभाग प्रदेश की जिला और ब्लॉक स्तर पर पिछड़े वर्ग की बैठको का दौर जारी है जिससे कि सरकार के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन किया जा सके और यह माहौल बनाया जा सके कि कांग्रेस ने 27 परसेंट आरक्षण दिया था भाजपा के कारण बगैर ओबीसी आरक्षण के चुनाव होने जा रहे हैं जबकि भाजपा लगातार पिछली चुनाव प्रक्रिया पर रोक के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा रही है जिनके याचिकाकर्ताओं के कारण कोर्ट ने दो चरण के बाद मतदान प्रक्रिया को रोका था और बाद में चुनाव निरस्त हो गए थे तब 14 परसेंट आरक्षण पिछड़े वर्ग को मिल भी रहा था लेकिन अब तो बगैर पिछड़े वर्ग को आरक्षण दिए ही चुनाव होने जा रहे हैं।
कुल मिलाकर प्रदेश में स्थानीय निकाय के चुनाव में पिछड़े वर्ग के आरक्षण को लेकर जिस तरह से संसय की स्थिति बन गई है उसके बाद दोनों ही दलों में विधि विशेषज्ञों के साथ अगले कदम की तैयारियां की जा रही हैं खासकर सत्तारूढ़ दल भाजपा में भोपाल से लेकर दिल्ली तक हलचल है।
देवदत्त दुबे ,भोपाल -मध्यप्रदेश