आज के तकनीकि युग ने समाज के लगभग हर कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप किया हुआ है और आम आदमी तक सोशल मीडिया की पहुँच ने जनता से सीधे संबध रखने राजनीति जैसे क्षेत्रों में जहां मुश्कििलों को आसान किया है तो कुछ मुश्किलें भी पैदा की है जमाने के साथ किस तरह से परिस्थितियां बदलती है उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब भाजपा में जिला अध्यक्ष वही रहेगा जिसके सोशल मीडिया साईट फेसबुक पर एक लाख फाालोवर्स हो , राजनीति में कभी जमीन पर जननेता का जनाधार देखा जाता था आज सोशल मीडिया पर जनआधार परखा जाता है ।
दरअसल प्रदेश में विधानसभा के 2023 के चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है और राजनीतिक दल हर तरह से मोर्चाबंदी करने में जुट गए हैं किसी भी क्षेत्र में किसी प्रकार की कमी ना रह जाए इसके लिए लगातार प्रयास हो रहे हैं आज के दौर में वातावरण का निर्माण करने के क्षेत्र में सबसे अहम भूमिका सोशल मीडिया की है यही कारण है कि प्रदेश में अपना सकारात्मक माहौल बनाने जनता के बीच पकड़ बनाने के लिए सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी ने पार्टी के प्रत्येक जिला अध्यक्ष को फेसबुक पर कम से कम 1 लाख फॉलोअर्स बनाने का टारगेट दिया है। तभी से मध्यप्रदेश के सारे जिला अध्यक्ष हाईटेक होने के लिए आईटी विशेषज्ञों का सहारा ले रहे हैं
पिछले दिन मांडू में भाजपा का प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया था जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने अपने.अपने ढंग से पार्टी नेताओं को समझाता समझाया था । इसी वर्ग में भाजपा के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव ने स्पष्ट रूप से कहा था कि यदि भाजपा जिलाध्यक्ष के फेसबुक पर 100000 और ट्विटर पर 10000 फालोवर नहीं है वह पद पर रहने के लायक नहीं है । इसके बाद से ही जिन जिला अध्यक्षों पर तलवार लटक गई है वह तेजी से हाईटैक होने का प्रयास कर रहे हैं इसके लिए छोटे.छोटे कार्यक्रम भी फेसबुक और ट्विटर पर शेयर कर रहे हैं । प्रदेश अध्यक्ष मुरलीधर पार्टी जिला अध्यक्षों को सोशल मीडिया के लिए जो टारगेट दिए थे उससे अभी भी अधिकांश जिलाध्यक्ष काफी दूर है और यदि इस मापदंड के आधार पर जिला अध्यक्ष बदले जाएंगे तो कुछ ही जिलाध्यक्ष पदों पर रह जाएंगे ।
वैसे तो अन्य कारणों से जिसमें नगरीय निकाय चुनाव, त्रिस्तरीय पंचायतीराज चुनाव भी शामिल है लगभग एक दर्जन जिला अध्यक्ष बदले जा रहे हैं । जिला अध्यक्ष को लेकर फीडबैक सकारात्मक नहीं आ रहा है कुछ स्थानीय नेताओं में तालमेल नहीं बना पा रहे हैं सूत्रों की मानें तो मुरैना, होशंगाबाद, रीवा, उमरिया और सिंगरौली के जिलाध्यक्ष का बदलना तय माना जा रहा है । अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में ही भिंड, ग्वालियर, अशोकनगर ,गुना और कटनी के जिला अध्यक्षों को बदल दिया गया था कटनी के महापौर चुनाव में निर्दलीय जीत हासिल की थी उसके बाद से ही कटनी का संगठन निशाने पर था । पिछले दिनों पार्टी के बेहद गुपचुप तरीके से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को 18 जिला में भेजा था जहां पार्टी का प्रभाव ठीक नहीं रहा है नेताओं की रिपोर्ट के आधार पर फेरबदल का फैसला लिया जा रहा है मीडिया और सक्रियता को भी आधार बनाया जाएगा । कुल मिलाकर दरी बिछाकर बैठकर काम करने वाले और चने खाकर प्रचार पर निकलने वाली पार्टी भाजपा अब समय के साथ हाईटेक हो गई है और इसी कारण पार्टी शून्य से शिखर तक पहुंची है समय के अनुसार निर्णय लेती रहती है अब जबकि सोशल मीडिया का जमाना है पार्टी ने अपनी जिला अध्यक्षों को सोशल मीडिया के टारगेट निर्धारित कर दिए हैं जिला अध्यक्षों को ऐसे भी उदाहरण दिए गए हैं जो किसी पद पर नहीं है लेकिन उनके लाखों फालोवर्स हैं अब देखना है कि भाजपा जिला अध्यक्ष पार्टी की कसौटी पर कितना खरा उतरते है।
देवदत्त दुबे