चहचहाना केवल चिड़ियों का एकाधिकार नहीं रह गया है । अब मनुष्य भी चहचहाना सीख गया है। चिड़ियों के चहचहाने को हिंदी में कलरव कहते हैं लेकिन अंग्रेजी में इसे ट्वीट करना कहते हैं। पच्छियों को तो चहचहाने का जन्मसिद्ध अधिकार प्राप्त था किन्तु मनुष्यों को ये अधिकार 17 साल पहले डोरसी और इवान विलियम ने दिया। उन्होंने ही मनुष्यों को चहचहाना सिखाया। आज दुनिया का हर आदमी चहचहाना सीख रहा है । आम आदमी से लेकर ख़ास आदमी को चहचहाने का अधिकार है। कालानतर में ये चहचआहट गले की हड्डी बन गयी है।चहचहाना अब एक धर्म भी है और सम्प्रदाय भी। आज दुनिया में इस चहचआहट को सुनने वाले असंख्य है। जिसकी जितनी चहचहाहट सुनी जाती है, उसे उतना बड़ा गुरु माना जाता है। चहचआहट सुनने वालों को ‘फॉलोअर’ कहा जाता है। हिंदी में इसे अनुयायी कहते हैं। अनुयायी पहले केवल धार्मिक गुरुओं के होते थे लेकिन अब नेताओं के भी होने लगे हैं। अब एक चहचआहट क्रान्ति ला सकती है । उथल-पुथल मचा सकती है। आपको रातों-रात हीरो बना सकती है और खलनायक भी।चहचहाना एक तरह से रक्तविहीन कत्ल जैसा है। आप कह सकते हैं कि -‘ करते हैं कत्ल हाथ में तलवार भी नहीं ‘ जैसा।हमारे देश में चहचहाकार कत्ल करने वालों की कमी नहीं है। ट्विटर के कातिल अपने काम से डरते भी नहीं हैं । हमारे मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह इस मामले में सबसे आगे हैं। पचहत्तर पार के दिग्विजय सिंह खानदानी आदमी है। राघौगढ़ के पूर्व राजा है। लोग उन्हें प्यार से दिग्गी राजा कहते हैं। दिग्गी राजा जब भी ट्वीट करते हैं ,लोग पढ़कर न सिर्फ चहक जाते हैं बल्कि सीधे पुलिस थाने या अदालत की शरण लेते हैं। क्योंकि उनका विश्वास आज भी पुलिस और अदालतों पर बरकारार है। ये एक तरह से शुभ संकेत है ,अन्यथा भारत में अब सियासत ने सभी को अविश्वसनीय बना दिया है।
बहरहाल मै दिग्गी राजा के चहचहाने की बात कर रहा था। उन्होंने हाल ही में ट्विवटर की डाल पर बैठकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के आदि पुरुष गुरु गोलवलकर के बारे में एक ट्वीट कर दिया,यानी चहचहा दिया। दिग्विजय सिंहने चहचहाकार कहा कि-‘ गुरु गोलवलकर दलितों,पिछड़ों और मुस्लिमों के जल , जंगल और जमीन के अधिकार के खिलाफ थे। दिग्विजय सिंह की यही चहचहाअट अधिवक्ता राजेश जोशी को खल गयी और वे इंदौर के तुकोगंज थाने में अपनी शिकायत लेकर पहुँच गए।। राजेश जोशी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छवि खराब करने और धार्मिक भावनाओं को भड़काने का आरोप लगाते हुए पुलिस से इस मामले की शिकायत की। शिकायत के बारे में पुलिस अधिकारियों ने बताया कि दिग्विजय सिंह ने अपने ट्विटर अकाउंट पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर की तस्वीरों के साथ एक अनर्गल पोस्ट प्रसारित की थी, जिसे लेकर शिकायत मिली थी, जिसपर एफआईआर दर्ज की गई है। तुकोगंज थाना पुलिस ने बताया कि दिग्विजय सिंह के खिलाफ़ धारा 153 ए, 469, 500 और 505 IPC के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।पुलिस अब इस मामले में आगे की जांच कर रही है।दिग्विजय सिंह को भाजपा की नेत्री सुश्री उमाभारती ने ‘ बंटाधार ‘ की उपमा से विभूषित किया था ,ये बात 2003 की है। तब संयोग से दुनिया में मनुष्यों को चहचहाने की सुविधा उपलब्ध नहीं थी ,अन्यथा मुमकिन है कि उसी समय दिग्गी राजा उमा जी के खिलाफ पुलिस थाने में चले जात। लेकिन वे नहीं गये । वे राजनीतिक वनवास पर चले गए और 2018 में मध्यप्रदेश में भाजपा की डेढ़ दशक पुरानी सरकार का बंटाधार करके ही वापस लौटे। दुनिया में दिग्विजय कि चहचआहट सुनने वालों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं है,फिर भी दो लाख लोग तो उन्हें सुन ही लेते हैं।
ट्विटर सम्प्र्दाय में सबसे ज्यादा पूछ-परख अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की है । ओबामा का ट्विटर हैंडल @BarackObama के नाम से है। वर्तमान में उनके ट्विटर पर 133.3 मिलियन फॉलोअर्स हैं जिसके कारण वो दुनिया की सबसे ज्यादा फॉलोअर्स वाली हस्ती बने हुए हैं। सबसे ज्यादा फॉलोअर्स की संख्या में ओबामा राजनीति समेत मनोरंजन, खेल, व्यापर समेत सभी क्षेत्र के लोगों से आगे हैं।युगावतार हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी भी चहचहाने के मामले में पीछे नहीं हैं। वे भले ही भारतीय प्रेस के सामने न बोलते हों लेकिन जब भी कुछ अच्छा-बुरा होता है वे चहचहाते जरूर है। लोग उनके चहचहाने का इन्तजार करते हैं। मोदी जी का ट्विटर हैंडल @narendramodi के नाम से है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 84 मिलियन फॉलोअर्स हैं। इस कारण भारत में तो वह सबसे ज्यादा फॉलोअर्स वाली हस्ती हैं। वह दुनिया की भी टॉप फॉलोअर्स लिस्ट में रहते हैं। वह दुनिया के सबसे ज्यादा फॉलोअर्स वाले प्रधानमंत्री हैं जिसके कारण वह टॉप 10 में हमेशा बने रहते है। उनकी तमाम उपलब्धियों में से एक बड़ी उपलब्धि ये भी है। राहुल गाँधी के ट्विटर फॉलोअर की संख्या मोदी जी के मुकाबले बहुत कम यानी दो करोड़ है।बात दिग्विजय सिंह के चहचहाने और इसे लेकर उनके खिलाफ पुलिस में रपट लिखाये जाने की है। दिग्विजय सिंह ने लगता है जान-बूझकर अपने पांवों पर कुलहाड़ी मारी है । उन्हें नहीं पता कि आजकल डबल इंजिन की सरकार हो या सिंगल इंजिन की सरकार मानहानि और भावनाएं भड़काने के मामले में बहुत गंभीर है । गौतम गंभीर भी अपने खेल के प्रति उतने गंभीर नहीं होंगे जितनी कि हमारी सरकारें मुकदमें कायम करने और उन्हें अदालत तक ले जाने के मामले में हैं। सरकारों के साथ ही अदालतों की ही गंभीरता का परिणाम है कि आज कांग्रेस के राहुल गांधी मानहानि के मामले में सजायाफ्ता हैं और लोकसभा की ससदयता गंवा बैठे हैं। दिग्गी राजा भी शायद यही चाहते हैं। अन्यथा उन्हें क्या जरूरत थी किसी के गुरू के बारे में चहचहाने की ?संघ के गुरू जैसे भी हैं उनके अपने है। पूजनीय हैं। दिग्गी राजा से किसी ने ये तो नहीं कहा था कि आप भी संघ के गुरू गोलवलकर जी को पूजिये ! मत पूजिये लेकिन खामोश तो रहिये। अब देखिये न एक ज़रा सी चहचहाहट की वजह से कितने संघी भाइयों-बहनों की आत्मा को दुःख पहुंचा है। दिग्गी राजा पहले भी इसी तरह संघ को लेकर चहचहा चुके हैं। वो तो उनकी किस्समत है कि अब तक किसी अदालत ने उन्हें जेल नहीं भेजा,मामला अदालत में ही निबट-सुलझ जाता है ,लेकिन अब जमाना बदल गया है । दिग्गी राजा को एहतियात बरतना चाहिए। कांग्रेस को उनकी अभी बहुत जरूरत है । उनके बेटे को उनकी बहुत जरूरत है। कहीं किसी अदालत ने उन्हें जेल भेज दिया तो कांग्रेस और उनके बेटे का क्या होगा ?मुमकिन है कि आपको दिग्गी राजा खलनायक लगते हों, बंटाधार दिखाई देते हों ,किन्तु वे मुझे आज की सियासत का एक अहम किरदार लगते है। मै उनका फॉलोअर तो नहीं लेकिन प्रशंसक जरूर हूँ । किसी की प्रशंसा करना किसी की भावनाओं को भड़काने से ज्यादा बेहतर है । मै दरअसल डरपोक आदमी हूँ । इसलिए मैंने आजतक ट्विटर पर अपना खाता नहीं खोला । मुझे लगता है कि ट्विटर पर चहचहाना ‘नक्कार खाने में तूती बजाने’ जैसा है।आजकल कोई, किसी की नहीं सुनता है । नीचे से लेकर सब अनसुना करने वाले बैठे हैं। राजेश जोशी तो भावुक आदमी हैं सो उन्होंने दिग्गी राजा के चाह्चाहने को गमभीरता से ले लिया ,अन्यथा कहते हैं कि दिग्विजय सिंह को कभी किसी ने गंभीरता से लिया ही नहीं। सिवाय राहुल गांधी के।अपनी बात समाप्त करने से पहले मेरी अपने पाठकों,मित्रों,शुभचिंतकों को एक ही सलाह है कि वे चहचहाने से बचें । मन की बात मन में रखें और जब चुनाव हों तो ईवीएम के जरिये अपनी बात कहें । ईवीएम पर अपना ख्याल जाहिर करने से एफआईआर का खतरा बिलकुल नहीं रहता।कलिकाल में ईवीएम ही हम सबकी भाग्य विधाता है।
राकेश अचल जी ,वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनैतिक विश्लेषक
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